विज्ञान और तकनीकी ने मानव जीवन को बेहतर और आसान बनाया है, खासकर मेडिकल की दुनिया में इनका बड़ा योगदान रहा है और इनके चलते सेहत से जुड़ी कई जटिलताएं आसान हुई हैं। लेकिन कहते हैं न हर चीज के दो पहूल होते हैं... देखा जाए तो तकनीकी का भी लोगों की सेहत पर काफी हद तक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। तकनीकी संसाधनों पर जितनी अधिक लोगों की निर्भरता बढ़ी है, उतना ही अधिक इसके नुकसान भी देखने को मिल रहे हैं, जैसे कि अब बात फिल्टर पानी की ही कर लें।
आमतौर पर लोग बीमारियों से बचने के लिए फिल्टर पानी के सेवन को बेहतर मानते हैं, जो काफी हद तक सही भी है। लेकिन वहीं इसके दूसरे पहलू पर गौर करें तो यही फिल्टर पानी आपको शारीरिक रूप से कमजोर बना कर बीमारियों का खतरा भी पैदा करता है। ऐसे में दिन पर दिन फिल्टर पानी के सेवन का चलन जिस तरह से बढ़ रहा है, यह जानना और समझन जरूरी हो जाता है कि फिल्टर पानी का सेवन, सेहत की लिहाज से कितना फायदेमेंद या नुकसानदेह हो सकता है।
इस बारे में हमने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में कार्यरत डॉ. सतीश कुमार से बात की और उनसे फिल्टर पानी के सेवन से होने वाले नुकसान (Side Effects of Filter Water) के बारे में जाना।

हमारे हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. सतीश कुमार बताते हैं कि असल में पानी को साफ करने वाले फिल्टर का अविष्कार उन क्षेत्र विशेष के लोगों के लिए किया गया था, जहां पर पानी में क्लोरीन और दूसरे हानिकारक अवयव अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्र में मिलने वाले प्राकृतिक पेय जल में क्लोरिन की मात्रा काफी अधिक होती हैं, ऐसे में इसे फिल्टर कर पीने के योग्य बनाने की जरूरत होती है। इसलिए पहाड़ी क्षेत्र के लोगों के लिए फिल्टर वाले पानी का उपयोग सही है, लेकिन मैदानी क्षेत्रों में पाए जाने वाला भूजल काफी हद तक पीने योग्य होता है और ऐसे में इसे फिल्टर करने की जरूरत नहीं है।
फिल्टर का पानी कैसे बन जाता है हानिकारक?
अब बात करें कि आखिर मैदानी क्षेत्र में पाए जाने वाले पानी को क्यों फिल्टर करने की जरूरत नहीं है या फिल्टर किया गया पानी सेहत के लिए क्यों नुकसानदेह हो सकता है। तो इस बारे में हमारे हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. सतीश कहते हैं कि “फिल्टर की प्रक्रिया में आरओ (RO) यानि रिवर्स ऑस्मोसिस तकनीक का प्रयोग में लाई जाती है, वहीं इस तकनीक द्वारा पानी को साफ करने की प्रक्रिया के दौरान पानी में मौजूद माइक्रोन्यूट्रिएंट्स यानि कि खनिज तत्व बाहर निकल जाते हैं, जबकि ये माइक्रोन्यूट्रिएंट्स शरीर के लिए बेहद जरूरी होते हैं। ऐसे में इन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स यानि कि खनिज तत्वों की कमी से कई सारी बीमारियों का खतरा बढ़ता है”।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी से बढ़ता है इन बीमारियों का जोखिम
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी के कारण किन बीमारियों का जोखिम बढ़ता है, ये समझने से पहले आपको जानना होगा कि आखिर ये माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते क्या हैं? तो हमारे हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. सतीश बताते हैं कि असल में शरीर के लिए दो तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता है... मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स। इनमें से मैक्रो न्यूट्रिएंट्स वो पोषक तत्व हैं जिनकी अधिक मात्रा में शरीर के लिए आवश्यकता होती है, जैसे कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा । वहीं माइक्रोन्यूट्रिएंट्स वो पोषक तत्व होते हैं, जिनकी हमारी शरीर के लिए बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है, पर ये पोषक तत्व भी शरीर के लिए उतने ही जरूरी होते हैं जितने की मैक्रोन्यूट्रिएंट्स।
मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के अंर्तगत विटामिन और मिनरल्स आते हैं, जो शरीर के विकास और दूसरी जरूरी प्रक्रियाओं में अहम भूमिका निभाते हैं। गौरतलब है कि जहां कुछ मैक्रोन्यूट्रिएंट्स को हमारी बॉडी खुद ही बनाने सक्षम होती है, तो वहीं कुछ जरूरी विटामिन और मिनरल्स को बाहर से आहार के रूप में लेने की आवश्यकता होती है। इनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे मिनरल्स पानी में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं, पर जब हम पानी को फिल्टर कर देते हैं तो ये मिनरल्स बाहर निकल जाते हैं। ऐसी स्थिति में शरीर में इन मिनरल्स यानि खनिज तत्वों की कमी हो जाती है और इनकी कमी से हड्डियों का कमजोर होना, हृदय संबंधी रोग और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
इसके अलावा फिल्टर के पानी के सेवन से कैंसर का जोखिम भी बढ़ता है, क्योंकि ज्यादातर वॉटर प्यूरीफायर की प्लेट में लेड का इस्तेमाल होता है। जबकि यह लेड सेहत के लिए काफी खतरनाक होता है और जब आप रोजाना इस तरह के वॉटर प्यूरीफायर से निकले पानी का सेवन करते हैं तो पानी के साथ लेड भी काफी मात्रा में शरीर में पहुंचता है और इसके कारण कैंसर का खरता बढ़ता है।
फिल्टर पानी की तुलना में नल का सामान्य पानी है बेहतर
डॉ. सतीश कुमार कहते हैं कि सेहत की लिहाज से देखा जाए तो फिल्टर पानी की तुलना में नल का सामान्य पानी ही बेहतर है। क्योंकि इसमें शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स और पोषक तत्व बने रहते हैं। हां, आपको पानी की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए कि आपके नल में साफ पानी आ रहा है या नही। वहीं आजकल मार्केट में ऐसे भी वॉटर प्यूरीफायर मौजूद हैं, जो फिल्टर की प्रकिया में जरूरी मिनरल्स को बनाए रखते हैं। ऐसे में अगर आपके पास इस तरह के वॉटर प्यूरीफायर उपलब्ध हैं तो आप उस फिल्टर पानी का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन उसमें भी किस मात्रा में खनिज तत्व मौजूद रहते हैं, आपको इस बात की पुष्टि कर लेनी चाहिए।
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Image Credit:Freepik
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