सत्यानाशी का पौधा महिलाओं के 8 रोगों को रख सकता है दूर, ऐसे करें इस्‍तेमाल

अगर आप भी हेल्‍दी रहने के लिए किसी प्राकृतिक चीज की तलाश में हैं, तो हमारे आस-पास पाया जाने वाला सत्यानाशी का पौधा मददगार हो सकता है। सत्यानाशी अपने एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-फंगल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-डायबिटिक कई रोगों को आपसे दूर रखता है। 
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आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बदलती जीवनशैली और खान-पान की बिगड़ती आदतें महिलाओं के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रही हैं। तनाव, अनियमित दिनचर्या, नींद की कमी और फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड्स का बढ़ता चलन अनजाने में ही कई रोगों को न्‍यौता दे देता है। इससे, हार्मोनल असंतुलन, पाचन संबंधी समस्याएं, त्वचा रोग और इम्‍यून सिस्‍टम में कमी जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं आम हो गई हैं। ऐसे में, हर किसी के मन में यह विचार आता है कि डाइट में किसी ऐसी प्राकृतिक चीज को शामिल किया जाए, जो न केवल आसानी से उपलब्ध हो, बल्कि जिसे खाने से कोई साइड इफेक्ट्स भी न हों। इसके लिए, हमारे आस-पास पाई जाने वाली कई जड़ी-बूटियां मददगार साबित हो सकती हैं।

यदि आप भी उन महिलाओं में से एक हैं, जो रोगों को दूर रखने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किसी असरदार एवं सुरक्षित जड़ी-बूटी की तलाश में हैं, तो 'सत्यानाशी' का पौधा आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।

सत्यानाशी के पौधे को आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों के कारण 'स्वर्णक्षीरी' (सोने जैसा दूध देने वाली), 'भड़भाड़' या अंग्रेजी में 'मैक्सिकन प्रिकली पॉपी' जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। यह आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण औषधि है, जिसका इस्‍तेमाल सदियों से कई रोगों के उपचार में किया जाता रहा है। सत्यानाशी अपने एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-फंगल, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-डायबिटिक और एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) जैसे बहुमूल्य गुणों के लिए फेमस है। इस पौधे की खास बात यह है कि इसके पत्ते, जड़, फूल और पौधे से निकलने वाला पीला दूध (लेटेक्स)– सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। ये गुण कई तरह के इंफेक्‍शन, सूजन, फंगल समस्याओं और दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

सत्यानाशी का पौधा कौन-कौन सी बीमारी में काम आता है?

क्या आप जानती हैं कि यह साधारण सा दिखने वाला पौधा महिलाओं को केवल एक-दो नहीं, बल्कि लगभग 10 विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर रखने में सहायक हो सकता है? प्रसिद्ध लेखक और अनुभवी चिकित्सक, डॉक्‍टर अबरार मुल्तानी हमें सत्यानाशी के अद्भुत फायदों से परिचित करा रहे हैं। आइए, उन्हीं से जानते हैं कि यह पौधा महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार एक वरदान साबित हो सकता है।

1. यूरिन से जुड़ी समस्याएं (Satyanashi Plant for Urinary Problems)

Satyanashi Plant for Urinary Problems

महिलाओं में यूरिन संबंधी समस्याएं जैसे यूरिन के समय जलन होना, यूरिन का रुक-रुक कर आना या यूरिन मार्ग में किसी प्रकार का संक्रमण (UTI) काफी आम हैं। सत्यानाशी अपने मूत्रवर्धक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण इन समस्याओं में राहत पहुंचा सकता है। सत्यानाशी का काढ़ा बनाकर पीने से यूरिन की जलन शांत होती है, यूरिन का फ्लो सुधरता है और यह यूरिन मार्ग को साफ करने में भी मदद करता है। साथ ही, यह शरीर से टॉक्सिंस बाहर निकालने में भी मदद करता है, जिससे यूरिन सिस्‍टम हेल्‍दी रहता है।

काढ़ा बनाने के लिए लगभग 200 मिलीलीटर (एक गिलास) पानी में 15-20 ग्राम सत्यानाशी का पंचांग (पत्ते, तना, जड़) डालकर मीडियम आंच पर तब तक उबालें, जब तक पानी लगभग आधा न रह जाए। इसके बाद इसे छानकर, गुनगुना ही पिएं। इसे दिन में एक या दो बार लिया जा सकता है, लेकिन एक्‍सपर्ट की सलाह लेना सही रहता है।

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2. सांसों से जुड़ी समस्याएं (Satyanashi Plant for Respiratory Issues)

बदलते मौसम या एलर्जी के कारण होने वाली सांस संबंधी समस्याएं जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और खांसी में सत्‍यानाशी बहुत फायदेमंद हैं। सत्यानाशी में पाए जाने वाले एंटी-एलर्जिक और कफ निस्सारक (Expectorant) गुण इन समस्याओं में राहत दे सकते हैं।

इसके पत्तों का काढ़ा या इसकी जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ मिलाकर लेना खांसी और ब्रोंकाइटिस में फायदेमंद होता है, क्योंकि यह जमे हुए कफ को बाहर निकालने में मदद करता है। सत्यानाशी की जड़ को पानी में उबालकर बनाया गया काढ़ा विशेष रूप से सूखी और पुरानी खांसी को ठीक करने में प्रभावी हो सकता है।

3. त्वचा संबंधी रोग (Satyanashi Plant for Skin Disorders)

दाद, खाज और खुजली से परेशान महिलाओं के लिए सत्यानाशी की पत्तियां फायदेमंद हो सकती हैं। इसमे एंटी-फंगल और एंटी-बैक्‍टीरियल गुण होते हैं। साथ ही, यह एक्जिमा और सोरायसिस में भी मददगार होती हैं। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की सूजन और इन्फेक्शन को कम करते हैं।

सत्यानाशी की पत्तियों का रस या पीले दूध को नारियल तेल में मिलाकर लगाने से दाद और खुजली में राहत मिलती है। सत्यानाशी का पत्तों का रस पुराने घावों, फोड़े-फुंसी और त्वचा के इन्फेक्शन को ठीक करने में प्रभावी होता है। आयुर्वेद में इसका इस्‍तेमाल कुष्ठ रोग के इलाज के लिए किया जाता रहा है।

4. पाचन संबंधी समस्याएं (Satyanashi Plant for Digestive Issues)

Satyanashi Plant for Digestive Issues

बिगड़ा हुआ पाचन तंत्र और भूख न लगना कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। सत्यानाशी का इस्‍तेमाल पाचन क्रिया को सुचारू बनाने और भूख बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसमें रेचक गुण होते हैं, जो कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं।

सत्यानाशी के पौधे से निकलने वाले पीले दूध (लेटेक्स) का इस्‍तेमाल सीमित मात्रा में और एक्‍सपर्ट की देखरेख में करने से पेट दर्द और अपच जैसी समस्याओं में आराम मिलता है। यह पेट के कीड़ों को खत्म करने में भी मदद करता है।

5. पीलिया और लिवर की समस्याएं (Satyanashi Plant for Jaundice and Liver Issues)

पीलिया लिवर की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी का संकेत है। सत्यानाशी को लिवर के लिए टॉनिक माना जाता है और यह लिवर को मजबूत करके उसकी कार्यक्षमता को सुधारने में मदद करता है।

सत्यानाशी का रस या तेल गिलोय के रस के साथ मिलाकर सेवन करने से पीलिया में फायदा होता है। यह लिवर को मजबूत करने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।

6. डायबिटीज (Satyanashi Plant for Diabetes)

Satyanashi Plant for Diabetes

डायबिटीज मेटाबोलिक डिसऑर्डर है। सत्यानाशी में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसके पत्तों का रस रेगुलर पीना डायबिटीज में फायदेमंद होता है।

एक्‍सपर्ट की सलाह से इसके पत्तों का रस रेगुलर लेने से ब्‍लड शुगर लेवल को मैनेज करने में मदद मिलती है। हालांकि, इस बात का ध्‍यान रखना जरूरी है कि यह एलोपैथिक दवाओं का विकल्प नहीं है, बल्कि एक सहायक उपचार हो सकता है।

7. पीरियड से जुड़ी समस्‍याएं (Satyanashi Plant for Period Problems)

सत्यानाशी का इस्‍तेमाल पीरियड को रेगुलर करने और फर्टिलिटी को बढ़ाने में किया जाता है। माना जाता है कि यह यूट्रस को मजबूत बनाता है और हार्मोनल संतुलन में मदद करता है, जिससे पीरियड्स रेगुलर होते हैं और रिप्रोडक्टिव सिस्‍टम में सुधार हो सकता है।

8. मलेरिया और बुखार (Satyanashi Plant for Malaria and Fever)

सत्यानाशी में एंटी-पायरेटिक गुण होते हैं, जो मलेरिया और बुखार को कम करने में मदद करते हैं। इसकी पत्तियों का उपयोग मलेरिया के इलाज में किया जाता है। इसकी पत्तियों का काढ़ा या रस मलेरिया के लक्षणों को कम करने और शरीर के तापमान को सामान्य करने में मदद करता है। यह शरीर के इम्‍यून सिस्‍टम को भी मजबूत करता है।

सत्यानाशी के इस्‍तेमाल का तरीका

satyanashi plant benefits for helath

  • काढ़ा: जड़, पत्तियों या पूरे पौधे को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और 10-20 मिली मात्रा में पिएं।
  • रस: पत्तियों या पंचांग (पौधे के सभी भाग) का रस निकालकर 5-10 मिली की मात्रा शहद या पानी के साथ सेवन करें।
  • लेप: पत्तियों या फूलों को पीसकर त्वचा पर लगाएं।
  • तेल: सत्यानाशी का तेल त्वचा के लिए उपयोगी होता है। इसके पंचांग को किसी आधार तेल (जैसे तिल का तेल या नारियल तेल) में पकाकर औषधीय तेल तैयार करें। इसकी त्वचा के रोगों और जोड़ों के दर्द में मालिश करने से आराम मिलता है।
  • दूध (लेटेक्स): पीले दूध का बाहरी रूप से इस्‍तेमाल करें।

सावधानियां

सत्यानाशी के बीज और ज्‍यादा मात्रा में सेवन जहरीला हो सकता है और ड्रॉप्सी (पेट में पानी भरना) जैसी समस्या पैदा कर सकता है। साथ ही, इसका ज्‍यादा सेवन करने से उल्टी, दस्त या अन्य साइड इफेक्‍ट्स हो सकते हैं। इसका इस्‍तेमाल करने से पहले गर्भवती महिलाएं, बच्चे और पुरानी बीमारी से पीड़ित लोग आयुर्वेदिक एक्‍सपर्ट या डॉक्टर से सलाह लें।

अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: Freepik & Shutterstock

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