गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए एक बेहद कठिन समय होता है। इस दौर में महिला को सिर्फ अपना ही नहीं, बल्कि अपने गर्भ में पल रहे शिशु का भी अतिरिक्त ख्याल रखना होता है। अपने खानपान से लेकर दवाईयों व व्यायाम तक में उसे कोताही बरतनी होती है। आमतौर पर महिलाएं गर्भधारण करने के लिएएक्सरसाइज को लेकर तरह-तरह के मिथ्स मन में पाल लेती हैं। खासतौर से, उन्हें योगा करना चाहिए या नहीं, या फिर उन्हें पहले तीन महीने के बाद ही योगा शुरू करनी चाहिए या फिर प्रेग्नेंसी में केवल महिलाएं योगा कर सकती हैं, जो पहले से इसका अभ्यास करती आ रही हैं।
इस तरह के कई उलझनें उनके मन में होती है। हो सकता है कि आप भी प्रेग्नेंसी में योगा को लेकर कई तरह के मिथ्स पर भरोसा करती हों। तो चलिए आज इस लेख में वुमन हेल्थ रिसर्च फाउंडेशन की फाउंडर व प्रेसिडेंट और योगा गुरू नेहा वशिष्ट कार्की गर्भावस्था में योगा से संबंधित कुछ मिथ्स व उनकी वास्तविक सच्चाई पर प्रकाश डाल रही हैं। योगा गुरू नेहा कार्की ने योगा फॉर प्रेग्नेंसी नामक किताब भी लिखी है, जो हिन्दी व इंग्लिश दोनों भाषाओं में अवेलेबल है-
सच्चाई- यह पूरी तरह से एक मिथ है। आप प्रेग्नेंसी टेस्ट करने या उसके कंफर्म होने के बाद से ही योग शुरू किया जा सकता है। लेकिन प्रेग्नेंसी के इस दौर में आपको एक अच्छे योग गुरू के निर्देश में ही योगाभ्यास करना चाहिए। शुरूआती तीन माह में महिला को कुछ बेसिक आसन व प्राणायाम का ही अभ्यास करवाया जाता है। कई आसनों को उन्हें नहीं करना चाहिए। इसलिए यह जरूरी है कि गर्भवती महिला एक सर्टिफाइड योग गुरू की देख-रेख में भी योगाभ्यास करें
सच्चाई- यह भी प्रेग्नेंसी में योगा को लेकर एक पॉपुलर मिथ है। आमतौर पर यह माना जाता है कि गर्भावस्था में केवल उन्हीं महिलाओं के लिए योग करना सुरक्षित है, जो पहले से इसका अभ्यास करती आई हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि प्रेग्नेंसी योगा कोई भी महिला कर सकती है। बस गर्भावस्था में योगा बहुत ध्यान से करवाया जाता है। महिला के स्टेमिना व टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर एक योग एक्सपर्ट महिला के लिए योगा सेशन डिजाइन करता है।
सच्चाई- यह भी केवल एक मिथ ही है। अमूमन ऐसा माना जाता है कि खेल जगत से जुड़ी महिलाएं गर्भावस्था में भी बेहद हार्ड वर्कआउट या योगासन कर सकती हैं। जबकि सच्चाई यह है कि गर्भावस्था में योगासनों को ट्राइमेस्टर व अल्ट्रासाउंड के अनुसार करवाया जाता है। जिस तरह महिला की रिपोर्ट आती है व उसकी गर्भावस्था का समय बढ़ता है, उसे ध्यान में रखकर ही योग किया जाता है, ना कि महिला के बैकग्राउंड को ध्यान में रखकर।
इसे ज़रूर पढ़ें-फर्स्ट ट्राइमेस्टर में अल्ट्रासाउंड - डेटिंग स्कैन और एनटी स्कैन के बारे में जानें
सच्चाई- कुछ महिलाएं सोचती हैं कि अगर वह गर्भावस्था में योगाभ्यास करती हैं तो इससे उनकी डिलीवरी समय से पहले ही हो जाएगी। जबकि ऐसा नहीं होता। सच्चाई तो यह है कि प्रेग्नेंसी में योगा का अभ्यास करने से समय पर नार्मल डिलीवरी होने के चांसेस काफी बढ़ जाते हैं। साथ ही मां और बच्चे पर किसी तरह का कोई खतरा नहीं मंडराता है। इतना ही नहीं, प्रेग्नेंसी में योगाभ्यास करने से पोस्ट प्रेग्नेंसी के बाद होने वाली कई सारी समस्याओं से भी निजात मिलती है।
इसे ज़रूर पढ़ें-क्या आप प्रेग्नेंट हैं? प्रेग्नेंसी कन्फ़र्मेशन टेस्ट्स के बारे में जानें
सच्चाई- ऐसा कहा जाता है कि अगर महिला पैरों को क्रॉस करके आसन करती हैं तो इससे गर्भ में बच्चे की नाल उसके गले से लिपट जाती है। यह पूरी तरह से एक मिथ है। पैरों को क्रॉस करके आसन करने और बच्चे की नाल का आपस में कोई कनेक्शन नहीं है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब बच्चा गर्भ में बड़ा हो रहा होता है और वह स्वतः ही घूम जाता है तो उसकी नाल गले में लिपटने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन योगाभ्यास के दौरान पैरों को क्रॉस करना और नाल का गले में लिपटने का कोई भी आपसी संबंध नहीं है।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: Freepik.com
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।