जैसे कड़वे शब्द रिश्तों को जला सकते हैं, वैसे ही तेज मिर्च-मसाले वाला खाना हमारे शरीर के सबसे नाज़ुक हिस्सों में परेशानी पैदा कर सकता है। जी हां, जब हम बहुत ज्यादा तीखा, तला हुआ या खट्टा खाना खाते हैं, तब अग्नि बढ़ जाती है, जिससे शरीर के अंदर गर्मी का संतुलन बिगड़ जाता है। आयुर्वेद में इसे पित्त दोष का बढ़ना कहते हैं। इससे महिलाओं के योनि में जलन, ड्राईनेस, खुजली या यूरिन करते समय परेशानी हो सकती है।
खाना ऐसा होना चाहिए जो हमें ताकत दे, हमारे शरीर को संतुलित रखे और हमें अंदर से अच्छा महसूस कराए। लेकिन, जब हम बहुत तीखा या ज्यादा मसालेदार खाना खाते हैं, जिसे आयुर्वेद में "राजसिक" भोजन कहते हैं, तब यह हमारे शरीर और दिमाग दोनों पर बुरा असर डालता है। तीखा खाना हमारे शरीर में गर्मी बढ़ाता है, लिवर पर ज्यादा जोर डालता है और शरीर के हार्मोनल और रिप्रोडक्टिव बैलेंस को बिगाड़ सकता है।
योनि एक ऐसा अंग है, जो खुद को साफ रखता है और जिसका पीएच बहुत सेंसिटिव होता है। बहुत ज्यादा गर्म और तीखा खाना खाने से वजाइना का नेचुरल बैक्टीरियल बैलेंस बिगड़ सकता है और शरीर में एसिडिटी बढ़ सकती है। इससे ये समस्याएं हो सकती हैं-
अगर आप भी योनि में जलन को दूर करने के लिए केमिकल युक्त क्रीम या तुरंत राहत देने वाली गोलियों का इस्तेमाल करती हैं, तो अब ऐसा करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज हम आपको 3 ऐसे नेचुरल और सौम्य उपायों के बारे में बता रहे हैं, जो समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इनके बारे में हमें ग्लोबल होलिस्टिक हेल्थ गुरु और स्पिरिचुअल लाइफ कोच, डॉक्टर मिकी मेहता बता रहे हैं।
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ठंडा खाने से न सिर्फ पेट को आराम मिलता है, बल्कि योनि की जलन को शांत करने के लिए भी अच्छा होता है। इसलिए, अपनी डाइट में नेचुरली ठंडी चीजों को शामिल करें। ये चीजें शरीर की बढ़ी हुई गर्मी को कम करने और पीएच बैलेंस को बनाए रखता है, जिससे योनि की सेहत सुधरती है। अपनी डाइट में आप इन चीजों को शामिल कर सकती हैं-
शरीर की आंतरिक गर्मी को शांत करने और योनि की जलन से राहत पाने में योगासन और प्राणायाम असरदार हैं। इनका लक्ष्य शरीर में 'पित्त' को कम करना और एनर्जी के फ्लो को बैलेंस करना है। आप शरीर को ठंडा करने वाली खास ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसे शीतली या शीतकारी प्राणायाम कर सकती हैं।
शीतली प्राणायाम में आप जीभ को मोड़कर नली जैसा बनाकर धीरे-धीरे सांस अंदर खींचते हैं, तो मुंह और पूरे शरीर में ठंडक का एहसास होता है। वहीं, शीतकारी प्राणायाम में दांतों के बीच से हवा खींचकर मुंह को ठंडा किया जाता है। ये दोनों प्राणायाम शरीर के बढ़े हुए तापमान को कंट्रोल और मन व शरीर पर शांत प्रभाव डालते हैं।
साथ ही, हल्के पेल्विक स्ट्रेच भी फायदेमंद होते हैं। ये योगासन रिप्रोडक्टिव सिस्टम को ठंडा रखते हैं और शरीर में लिम्फेटिक फ्लो को बढ़ाते हैं। लिम्फेटिक सिस्टम शरीर से टॉक्सिंस और एक्स्ट्रा लिक्विड को बाहर निकालने के लिए जरूरी है, जिससे सूजन और जलन कम हो सकती है। इन योगासनों और प्राणायाम रेगुलर करने से शरीर को रिलैक्स मिलता है और मन शांत होता है, जिससे तनाव कम होता है।
योनि की बाहरी देखभाल के लिए भी नेचुरल तरीकों को अपनाना बेहद जरूरी है, ताकि किसी भी तरह की जलन या परेशानी कम हो। बाहरी रूप से आराम देने और नमी बनाए रखने के लिए आप नारियल का तेल या शुद्ध घी का इस्तेमाल कर सकती हैं। नारियल का तेल एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों से भरपूर होता है, जबकि घी में शांत करने वाले और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। ये दोनों ही चीजें त्वचा को आराम पहुंचाते हैं और हेल्दी रखते हैं।
योनि को साफ करने के लिए हार्श वॉश या तेज खुशबू वाले साबुन से पूरी तरह बचें। ये प्रोडक्ट्स योनि के नाजुक पीएच बैलेंस संतुलन को बुरी तरह बिगाड़ सकते हैं और योनि के स्वास्थ्य के लिए जरूरी बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे जलन, खुजली या इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसकी बजाय, प्राइवेट पार्ट को सिर्फ सादे पानी से धीरे से धोएं। आप चाहें तो नीम के पानी जैसे हर्बल काढ़े का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। नीम एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल जैसे औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, जो प्राकृतिक शुद्धि में मदद करता है। यहां 'शुद्धि'का अर्थ है आंतरिक और बाहरी रूप से सौम्य और असरदार वॉश।
डाइट का सीधा असर आपके शरीर के आंतरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, जिसमें योनि का स्वास्थ्य भी शमिल है। कुछ खास फूड्स शरीर में गर्मी और टॉक्सिंस को बढ़ा सकते हैं, जिससे सेंसिटिव अंगों को परेशानी होती है।
प्रोसेस्ड, फर्मेंटेड और डीप-फ्राइड फूड्स इस श्रेणी में आते हैं। ये फूड्स डाइजेस्टिव सिस्टम में "आव" (आयुर्वेद में अपचित भोजन से बनने वाले टॉक्सिंस) और एक्स्ट्रा गर्मी पैदा करते हैं। इनसे योनि के पीएच बैलेंस को बुरी तरह बिगाड़ सकती है और सूजन को बढ़ा सकती है, जिससे जलन या खुजली जैसी समस्याएं होती हैं। इसलिए, ताजा सात्विक भोजन को चुनें।
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सात्विक भोजन वह होता है जो हल्का, पौष्टिक और आसानी से पचने वाला हो। इसमें ताजी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, दालें और हल्के मसाले शामिल होते हैं। सात्विक भोजन शरीर को पोषण देता है और डिटॉक्सिफाई करता है, बल्कि मन और शरीर दोनों को शांत और बैलेंस रखता है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य सही रहता है।
आप भी इन उपायों को आजमाकर तीखा खाने के बाद प्राइवेट पार्ट में होने वाली जलन को रोक सकती हैं। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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