
एंडोस्कोपी एक ऐसा मेडिकल चेकअप होता है, जिसमें डॉक्टर शरीर को बिना काटे या सर्जरी किए अंदरूनी अंगों की कंडीशन को साफ-साफ देख सकते हैं। यह बहुत ही मददगार और आधुनिक तकनीक है, जिससे पेट, भोजन नली, आंत, फेफड़े या अन्य अंगों के अंदर हो रही किसी भी गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता है।
इस चेकअप में एंडोस्कोप नाम की एक पतली और लचीली नली का इस्तेमाल किया जाता है। इसके सिरे पर एक छोटा कैमरा और लाइट लगी होती है, जो शरीर के अंदरूनी हिस्सों की रियल-टाइम इमेज मॉनिटर पर दिखाती है। इससे डॉक्टर को यह पता लगाने में मदद मिलती है कि कहीं अल्सर, सूजन, घाव, ट्यूमर या ब्लीडिंग जैसी कोई समस्या तो नहीं है।
आमतौर पर यह नली मुंह या नाक के जरिए शरीर में डाली जाती है और धीरे-धीरे पेट या आंत तक पहुंचाई जाती है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर इसी प्रोसेस के दौरान टिश्यू सैंपल (बायोप्सी) लेकर आगे का चेकअप भी कर सकते हैं।
यह चेकअप पूरी तरह सेफ, लगभग दर्दरहित और सर्जरी-फ्री होता है, जिसमें मरीज कुछ ही घंटों में अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट सकता है। इसके बारे में विस्तार से हमें स्टेरिस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, जयपुर, राजस्थान के मैनेजिंग डायरेक्टर जीवन कसारा बता रहे हैं।
इस चेकअप में आपके गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (पेट के डॉक्टर) आपके मुंह के रास्ते एक पतली और लचीली नली (एंडोस्कोप) डालते हैं। एंडोस्कोप एक लंबी, पतली नली होती है, जिसके सिरे पर कैमरा लगा होता है। यह नली आपके गले, भोजन नली, पेट और छोटी आंत के ऊपरी हिस्से को हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरों में दिखाती है।
इसमें आपके गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट मलाशय के रास्ते एक लचीली नली डालते हैं। यह नली मलाशय, कोलन (बड़ी आंत) और पूरी बड़ी आंत की अंदरूनी परत की विस्तार से जांच करती है।
कोलोनोस्कोपी को कोलोरेक्टल कैंसर का पता लगाने के लिए सबसे अच्छा चेकअप माना जाता है। चूंकि कोलोरेक्टल कैंसर प्रीकैंसरस पॉलीप्स (छोटी गांठों) से शुरू होता है, इसलिए कोलोनोस्कोपी के दौरान उन्हें हटाकर इस बीमारी से पूरी तरह बचा जा सकता है।
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डॉक्टर अक्सर उसी दिन चेकअप के रिजल्ट बता देते हैं, लेकिन बायोप्सी के नतीजों के लिए कुछ दिन इंतजार करना पड़ सकता है। दवा के कारण आपकी प्रतिक्रिया और सोचने की क्षमता धीमी हो सकती है, इसलिए इस दिन गाड़ी चलाना बिल्कुल मना है। आपको घर ले जाने के लिए किसी का साथ होना बेहद जरूरी है।
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