पानी जीवन का आधार है, पर कुछ लोगों के लिए यही पानी घुट-घुट कर जीने की वजह भी बन जाता है। ऐसे लोगों को पानी से इतना डर लगता है उनके लिए सामान्य जीवन जीना भी मुश्किल हो जाता है। अगर आपको भी पानी से कुछ ऐसा ही डर महसूस होता है तो हमारा यह आर्टिकल आपके लिए है।
दरअसल, इस आर्टिकल में इस समस्या (Fear of water) की असल वजह और उससे निजात पाने के उपाय के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। देखा जाए तो पानी के डर को व्यक्तिगत स्वभाव मान गंभीरता से नहीं लिया जाता है, जबकि असल में यह एक तरह की गंभीर मानसिक समस्या है। हमने इस बारे में मेंटल हेल्थ थेरेपिस्ट डॉ. शालिनी श्रीवास्तव से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
पानी का डर है ‘एक्वाफोबिया’
डॉ. शालिनी श्रीवास्तव बताती हैं कि पानी के डर को मनोविज्ञान की भाषा में एक्वाफोबिया (Aquaphobia) के नाम से जानते हैं। यह एक तरह की मानसिक समस्या है जिससे पीड़ित व्यक्ति पानी के संपर्क में आने से या पानी के बारे में सोचने मात्र से डर महसूस करने लगता है। हालांकि अलग-अलग लोगों में इस फोबिया की प्रतिक्रिया और तीव्रता अलग-अलग हो सकती है। जैसे कि कोई समुद्र के पानी की गहरी और तेज लहरों से डरता है तो कोई स्विमिंग पूल और बाथटब में भरे हुए पानी को देख कर ही घबराने लगता है।

पानी से डर लगने के कारण ही बहुत सारे लोग स्विमिंग और दूसरी वॉटर एक्टिविटी से भी दूर रहते हैं। ऐसे लोगों को पानी को छूने और उसमें भीगने से भी डर महसूस होता है, इसलिए ये पानी वाली जगहों से दूरी बनाए रखते हैं। वैसे डर कैसा भी हो, पर जब वह आपकी जीवन को खुलकर जीने की आजादी छीनने लगे तो उस पर काबू पाना जरूरी हो जाता है। पानी के डर से मुक्ति पाने के लिए सबसे पहले इसकी असल वजह को जानना जरूरी है।
क्यों लगता है पानी से डर?
बात करें पानी के डर यानी एक्वाफोबिया के कारण की तो इसकी कई वजहें हो सकती हैं। जैसे कि बचपन या बीते वक्त में पानी में हुई किसी दुर्घटना की यादें कुछ लोगों के मन में इस कदर समा जाती हैं कि वो पानी से डरना शुरू कर देते हैं। जबकि कुछ लोग पानी में डूबने की आशंका से डर महसूस करते हैं, ऐसे में वो तेज धारी वाली नदी या समुद्र के पास जाने से डरते हैं।
इसके अलावा पानी से डर की कुछ व्यवहारिक वजहें भी हो सकती हैं, जैसे कि जो लोग नदी और पानी के आस-पास वाली जगहों में रहते हैं वो अपने बच्चों को पानी के पास जाने से मना करते हैं। ऐसे लोग बच्चों को पानी से डर महसूस करा कर उससे संभावित खतरों को टालने की कोशिश करते हैं। ऐसे बच्चे आगे जाकर जहां भी रहें तो उनके मन पानी को लेकर एक खास तरह का डर बना रहता है।
कैसे पाएं इस डर पर जीत?
वजह चाहे जो भी हो पर पानी के डर से उबरना जरूरी है ताकि आप पानी के साथ ही जीवन का भी खुलकर आनंद ले सकें। चूंकि यह मानसिक समस्या है इसलिए इससे बाहर निकलने के मनोचिकित्सा ही कारगर मानी जाती है। बता दें कि मनोचिकित्सा में एक्वाफोबिया से निजात के लिए दो मुख्य थेरेपी आजमाई जाती है एक्सपोजर थेरेपी और सीबीटी यानी कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी।
एक्सपोजर थेरेपी (Exposure therapy) में इस फोबिया से ग्रसित व्यक्ति को अपने डर पर काबू पाने के लिए बार-बार पानी का सामना कराया जाता है। इसके लिए शुरुआती दौर में जहां व्यक्ति को पानी और पानी से संबंधित तस्वीरें दिखा कर उसे पानी के प्रति सहज महसूस करने के लिए प्रेरित किया जाता है। वहीं आगे चलकर उसे पानी की लहरों का सामना करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। डॉ. शालिनी श्रीवास्तव बताती हैं कि इस थेरेपी के जरिए बहुत सारे लोग पानी के डर से उबर चुके हैं।
सीबीटी यानी कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive behavioral Therapy) एक टॉकिंग थेरेपी है, जिसमें मनोचिकित्सक पीड़ित व्यक्ति से बातचीत कर उसे इस डर से उबारने की कोशिश करते हैं। इसके लिए मनोचिकित्सक डर की वजह जानने के बाद पीड़ित व्यक्ति की काउंसलिंग करते हैं ताकि वह इस डर से बाहर निकल पाए।
उम्मीद करते हैं कि सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।यह भी पढ़ें- किसी को लगता है सोने से डर तो किसी को है शीशा देखने का खौफ, ये हैं सबसे अजीबोगरीब फोबिया
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