मैं कभी-कभी अकेले में यूं ही रो देती हूं। आसानी से डिस्टैक्ट हो जाती हूं। स्ट्रेस ईटिंग करने लगती हूं, तो कभी घंटों मोबाइल पर बस स्क्रोल करती रहती हूं। क्या ऐसा आपके साथ भी होता है? क्या आपने खुद को ऐसी स्थिति में पाया है कि आप बिना वजह रो देती हैं। या खुद पर बेवजह शक करती हैं। विशेषज्ञ कहते हैं ये भावनाएं हमें डिस्ट्रैक्ट करती हैं और हमारे मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा प्रभाव डालती है, इसलिए हमें इन्हें अपने जेहन से हटा देना चाहिए। जानिए क्या कहती हैं जानी-मानी क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. भावना बर्मी
क्या है इमोशनल डिटॉक्स
आसान शब्दों में कहें, तो इमोशन डिटॉक्स आपको अपने अंदर से टॉक्सिसिटी, उलझे हुए विचारों और दबे हुए ट्रॉमा को बाहर निकाल फेंकना है। जब आप अपने अंदर से नकारात्मक भावनाओं को बाहर निकालती हैं। गुस्सा, डर, जलन, असुरक्षा के बैगेज को हटाती हैं, तो खुद के लिए खुशी, प्यार और विश्वास के लिए जगह बनाती हैं। जब आपके अंदर से तमाम नकारात्मक भावनाएं बाहर निकलती हैं, तो आपकी आत्मा हल्की होती है। आपको सुकून मिलता है, मन में खुशी की लहर दौड़ती हैं और आप चीजों के प्रति एक सकारात्मक नजरिया रखना शुरू करती हैं।
कब करना चाहिए डिटॉक्स
कई बार ऐसा होता है कि हम सबकी परेशानियों को सुनते हैं उनकी मदद करते हैं और खुद के लिए समय ही नहीं निकाल पाते। अगर आपको दूसरों को ना कहने में गिल्ट होता है या आपको लोगों के साथ ज्यादा घुलने-मिलने में असहजता महसूस होती है, तो आपको इमोशनल डिटॉक्स की जरूरत है। इनके अलावा कई और Signs हैं, जिन्हें देखकर समझ जाना चाहिए कि आपको अपने इमोशन डिटॉक्स करने की जरूर है और वो हैं- अपनी गट फीलिंग को नजरअंदाज कर देना, खुद के लिए बात करने में असहजता, दूसरों से खुद की तुलना करना और फिर खुद को काबिल न समझना, लोगों को नजरअंदाज करना, अकेले रहना, अतीत में उलझे रहना, यूं ही रो देना, आदि ऐसे कुछ साइन हैं जो दर्शातें हैं कि हमें डिटॉक्स की कितनी जरूरत है।
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अब सवाल उठता है कि इमोशनल डिटॉक्स कैसे करें, तो आपको यह समझना आवश्यक है कि सबसे पहले आपकी मेंटल हेल्थ जरूरी है। आपका खुश होना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसलिए दूसरों के बारे में सोचने से पहले खुद के बारे में सोचें। इमोशन डिटॉक्स के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल करें।
सोशल मीडिया से रहें दूर
सोशल मीडिया में सब कुछ अच्छा अच्छा दिखता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सब अच्छा ही हो। वो एक अलग दुनिया है जिसके पीछे आपको भागने की जरूरत नहीं है। लगातार दूसरों के जीवन को देखना और सोशल मीडिया पर हम अपने जीवन के बीच जो तुलना करते हैं, वह समय के साथ हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव डाल सकता है। इसलिए इमोशल डिटॉक्स के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि अपने फोन से कुछ समय के लिए दूरी बना लें। सोशल मीडिया से कुछ दिनों की दूरी आपके मेंटल हेल्थ के लिए अच्छी है।
खुद को और दूसरों को माफ करें
गलतियां सबसे होती हैं, इसलिए बार-बार किसी चीज के लिए खुद को दोषी ठहराना या फिर दूसरों से द्वेष रखना गलत है। हालांकि इसका मतलब यह भी नहीं कि आप दूसरों को बार-बार यह अनुमति दें कि वह आपको हर्ट करते रहें। माफ करने का मतलब यह है कि आप सीख सकें कि जो मन का न हो उसे भी स्वीकार करना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि आप सामने वाले को क्षमा नहीं करती, तो वो भावनात्मक बोझ आपके पास वापस आएगा और आपको उस पर फिर से काम करना होगा। जब तक आप उन्हें क्षमा नहीं करेंगी, तब तक यह चक्र टूटेगा नहीं।
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लिखें और मन को साफ करें
एक अन्य सबसे अच्छा तरीका है अपनी भावनाओं को लिखना। जो भी आपके मन में आए लिखें। कोई विचार, कोई सवाल, कोई शब्द, कुछ भी। जब आप जर्नल लिखें, तो कोशिश करें कि आप खुद को जज न करें। ऐसे ही लिखते-लिखते आप यह जान पाएंगी कि आपको किन क्षेत्रों पर काम करना है। खुद से सवाल कीजिए कि आप ऐसा क्यों महसूस करती हैं। उसके पीछे का कारण जानने की कोशिश कीजिए। तब तक इन चीजों को लिखिए जब तक आप इनकी जड़ तक न पहुंचें। अपने दिमाग से उन भावनाओं को निकालें तभी अलग स्टेप पर जाएं।
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