मां बनना किसी भी स्त्री के लिए जितनी सुखद अनुभूति होती है, यह उतना ही चैलेंजिंग पीरियड भी होता है। इस दौरान एक महिला कई तरह के शारीरिक व मानसिक बदलाव होते हैं, जिसके साथ सामजस्य बिठाना उसके लिए मुश्किल हो सकता है। मसलन, किसी महिला को बेबी ब्लूज या पोस्ट प्रेग्नेंसी डिप्रेशन जैसी समस्याएं होती हैं तो किसी महिला का ब्रेस्टमिल्क सही तरह से नहीं बन पाता और उसके ब्रेस्ट काफी हार्ड हो जाते हैं। तो वहीं, कुछ महिलाएं प्रसव के बाद अपने बढ़े हुए वजन से परेशान रहती हैं।
यह ऐसी कुछ समस्याएं हैं, जिससे प्रसव के बाद लगभग हर महिला को दो-चार होना पड़ता है। अमूमन महिलाओं को समझ नहीं आता कि वह इस परेशानी से निजात कैसे पाएं। दवाइयों के सेवन से इस समस्या का हल नहीं किया जा सकता। ऐसे में सबसे अच्छा तरीका है कि आप मेडिटेशन का अभ्यास करें।
दरअसल, स्तनपान के दौरान ध्यान करने के कई फायदे मिलते हैं। तो चलिए आज इस लेख में योगा विशेषज्ञ और वुमन हेल्थ रिसर्च फाउंडेशन की प्रेसिडेंट डॉ नेहा वशिष्ट कार्की आपको ब्रेस्टफीडिंग पीरियड के दौरान मेडिटेशन करने के कुछ लाभों के बारे में बता रही हैं-
ब्रेस्टमिल्क सर्कुलेशन को बनाए बेहतर
मेडिटेशन ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाओं को कई तरह के लाभ पहुंचाता है। दरअसल, महिला के शरीर में प्रोलैक्टिन हार्मोन होता है, जो बेहतर तरीके से मिल्क प्रोडक्शन में मदद करता है। लेकिन जब महिला बहुत अधिक स्ट्रेस या तनाव में होती है तो यह हार्मोन सही तरह से स्रावित नहीं होता है।
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जिसके कारण महिला को बेबी को ब्रेस्टफीड करवाने में समस्याहोती है। लेकिन जब महिला नियमित रूप से मेडिटेशन का अभ्यास करती हैं तो इससे शरीर में प्रोलैक्टिव हार्मोन सही तरह से स्रावित होता है और ब्रेस्टमिल्क आने में भी कोई परेशानी नहीं होती है।
हैप्पी हार्मोन को करे रिलीज
जब महिला नियमित रूप से मेडिटेशन करती है, तो पिट्यूटरी ग्लैंड से रिलीज होने वाले एंडोर्फिन हार्मोन को भी रेग्युलेट होने में मदद मिलती है। एंडोर्फिन हार्मोन को हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है। यह ना केवल शरीर में तनाव को कम करते हैं, बल्कि इससे महिला अधिक खुश रहती है।
इससे महिला और बेबी के बीच एक अच्छी बॉन्डिंग बनती है। जब बॉडी में हैप्पी हार्मोन अच्छी तरह से काम करते हैं तो इससे महिला को प्रसव के बाद होने वाले बेबी ब्लूज व पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या(डिप्रेशन में ना करें ये काम) का भी सामना नहीं करना पड़ता है।
वेट लॉस में भी मिलती है मदद
बहुत कम महिलाओं को इस बात की जानकारी होगी, लेकिन अगर एक ब्रेस्टफीडिंग मदर मेडिटेशन का अभ्यास करती है तो इससे उसे पोस्ट प्रेग्नेंसी वेट लॉस में मदद मिलती है। दरअसल, प्रेग्नेंसी के बाद महिला का वजन काफी बढ़ जाता है, लेकिन अगर वह लंबे समय तक बच्चे को ब्रेस्टफीड करवाती है तो इससे वजन कम करने में अतिरिक्त सहायता मिलती है। दरअसल, मेडिटेशन के कारण महिला का ब्रेस्ट मिल्क अच्छी तरह आता है, जिससे वह लंबे समय तक बच्चे को ब्रेस्टफीड करवा पाती है और इससे उसे वजन कम करने में मदद मिलती है।
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तो अब आप भी मेडिटेशन के इतने सारे फायदों को जानने के बाद यकीनन ब्रेस्टफीडिंग पीरियड में मेडिटेशन करना चाहेंगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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