क्या आप हर समय थकी रहती हैं?
क्या चेहरे पर पीलापन दिखाई देता है?
क्या आपकी रूखी त्वचा चेहरे की खूबसूरती चुरा रही है?
क्या परेशान करने वाले सिरदर्द के कारण आप अपनी ऑफिस की मीटिंग नहीं ले पाती हैं?
खबरदार! यह आयरन की कमी का संकेत दे सकता है। जी हां, भारतीय महिलाओं में आयरन की कमी काफी आम है। एनीमिया और हीमोग्लोबिन का लो लेवल कुछ सामान्य स्थितियां हैं जो बड़ी आबादी को प्रभावित करती हैं, साथ ही कई प्रेग्नेंट महिलाओं को भी।
अगर आपमें आयरन की कमी है और आप एलोपैथी के अलावा अन्य विकल्पों की तलाश कर रही हैं, तो आयुर्वेद आपके बचाव में आ सकता है। जी हां, आपने सही सुना है! आयरन की कमी वालों के लिए आयुर्वेद वरदान है। इस आर्टिकल में आयुर्वेदिक डॉक्टर रेखा राधामणि आपको आयरन की कमी को दूर करने के लिए आयुर्वेद के लाभों के बारे में अधिक बता रही हैं। पढ़ें और इसे तुरंत चुनें-
क्या आपको पता था? आयरन की कमी तब होती है जब शरीर में महत्वपूर्ण मिनरल आयरन की कमी हो जाती है। आयरन की कमी के कारण कम आयरन का सेवन, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी), हैवी पीरियड्स के कारण ब्लड की कमी, या यहां तक कि आंतरिक ब्लीडिग शामिल हैं।
आयरन की कमी के लक्षणों में सांस की तकलीफ, थकान, पीलापन, सिरदर्द, चक्कर आना, ड्राई और डैमेज बाल और त्वचा, जीभ की सूजन, दिल की धड़कन और भंगुर नाखून शामिल हैं। हीमोग्लोबिन बनाने के लिए शरीर को आयरन की आवश्यकता होती है, जो रेड ब्लड सेल्स में मौजूद एक प्रोटीन है जो सेल्स को पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने में सक्षम बनाता है।
यदि शरीर में हीमोग्लोबिन कम है, तो टिशू और मसल्स को प्रभावी रूप से काम करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलेगी और इसे एनीमिया कहा जा सकता है।
क्या आप अवगत हो? एनीमिया शरीर की अग्नि को असंतुलित कर देता है। आयुर्वेद में एनीमिया को पांडु कहा जाता है। यह आपके हीमोग्लोबिन काउंट को भी गिरा सकता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि समय पर एनीमिया का इलाज न करने से जटिलताएं हो सकती हैं जो हार्ट और लंग्स को प्रभावित करता है। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि आयुर्वेद ही आपकी इस समस्या का इलाज है।
आंवला एक सुपर फूड है क्योंकि यह विटामिन-सी, आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें मौजूद आयरन की प्रचुरता के कारण आंवला एनीमिया को दूर करने में मदद कर सकता है। इसका अचार, कैंडी या मुरब्बा सहित विभिन्न रूपों में सेवन किया जा सकता है। आंवला को उबालकर या कच्चा भी खाया जा सकता है। प्रतिदिन सेवन किया जाने वाला एक आंवला ब्लड और शरीर के लिए अद्भुत काम कर सकता है।
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द्राक्षारिष्ट या द्राक्षारिष्टम मुख्य घटक के रूप में सूखे अंगूर या किशमिश के साथ एक लिक्विड आयुर्वेदिक सूत्रीकरण है। द्राक्षारिष्ट को द्राक्षा और अन्य रक्त-पौष्टिक या रक्त-प्रसादक जड़ी बूटियों की अच्छाई से बनाया जाता है जो आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से राहत दिलाने में मदद करता है।
अधिकांश सूखे मेवे आयरन के अच्छे स्रोत हैं और किशमिश विशेष रूप से आयरन और विटामिन्स से भरपूर होते हैं जो रक्त कोशिका निर्माण के लिए अभिन्न हैं। आठ से दस किशमिश रात भर पानी में भिगोकर अगले दिन खाने से ब्लड स्वास्थ्य में काफी मदद मिलती है।
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सोंठ का इस्तेमाल एनीमिया से लड़ने के लिए एक पारंपरिक उपाय के रूप में किया जाता है। चूंकि इसमें विटामिन-सी और आयरन सामग्री ज्यादा होती है, यह रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन में मदद करता है। नतीजतन, यह शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह इम्यून में सुधार, इंफेक्शन से लड़ने और तनाव को कम करने जैसे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
फिर भी यदि आपके आयरन लेवल को बहाल नहीं किया जाता है, तो आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से परामर्श लें। इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरूर करें। साथ ही आर्टिकल के अंत में आ रहे कमेंट सेक्शन में कमेंट करके जरूर बताएं। डाइट से जुड़े ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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