जोड़ों के दर्द/अर्थराइटिस के दर्द, को बढ़ती उम्र के रूप में ना लें। हाल-फिलहाल में युवाओं और प्रौढ़ उम्र के लोगों में भी जोड़ों के दर्द की बढ़ती शिकायतें दर्ज की गई हैं। मसल्स और हड्डियों की मूवमेंट का मतलब जोड़ों में टूट-फूट की समस्या का बढ़ना नही है, लेकिन यह आवश्यक पोषक तत्वों की कमी और नर्वस टिशूज में आये ढीलेपन का संकेत हो सकता है। जरूरी कैल्शियम और मैग्नीशियम के अवशोषण में होने वाली कमी हमारी बॉडी में विटामिन डी पर निर्भर करती है। अगर हमारी बॉडी में विटामिन डी की कमी हो, चाहे वह हमारे द्वारा ली जा रही दवाएं ब्लड वेसल्स में सही रूप में अवशोषित न हो रही हो तो इससे समय पर आराम नहीं मिल पायेगा।
चेस अरोमाथरेपी कॉस्मैटिक्स के संस्थापक के लेखक डॉक्टर नरेश अरोड़ा के कहना हैं कि 'स्केलेटन, इंसानी बॉडी के अंदरूनी हिस्से की मुख्य संरचना होती है। ये स्केलेटन 206 हड्डियों पर टिकी होती हैं; उन हड्डियों की वजह से ही इंसान चलता-फिरता है। हमारी बॉडी की कुछ हड्डियों में जोड़ होते हैं; ये जोड़ हमारी बॉडी को निर्बाध रूप से हिलाने में हेल्प करते हैं। जोड़ बॉडी का सबसे जरूरी हिस्सा होते हैं, जोकि हड्डियों को आपस में जोड़ते हैं। हमारी बॉडी में मुख्य रूप से पांच प्रकार के जोड़ होते हैं; 1) कंधे, 2) कोहनी, 3) कलाइयां, 4) कूल्हे, 5) घुटने। जोड़ एक हड्डी को दूसरी हड्डी से जोड़ते हैं; और हमें पूरी बॉडी को सहारा देने में हेल्प करते हैं। इसलिये, जोड़ों को होने वाला हल्का-सा नुकसान भी हमारी बॉडी के लिये वाकई बहुत बुरा होता है। यदि किसी जोड़ में चोट लग जाये तो काफी दर्द होता है।'
Image Courtesy: Imagebazar.com
जोड़ का दर्द कई कारणों से होता है। हाल के दिनों में यह बीमारी हमारे देश में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली बीमारियों में से एक है। लोग 35-40 साल की उम्र से ही जोड़ के दर्द से पीड़ित हो जाते हैं। जोड़ों के दर्द की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि जोड़ के आस-पास के प्रभावित लिगामेंट या एट्रियम्स के कारण होने वाली चोट कैसी है। इससे लिगामेंट, कार्टिलेज, जोड़ के आस-पास की हड्डियों पर प्रभाव पड़ता है।
लोग ज्यादातर सर्दियों के मौसम में जोड़ों के दर्द से प्रभावित होते हैं। लेकिन गर्मियों के दौरान भी यह बीमारी आपका पूरी तरह से पीछा नहीं छोड़ती। जोड़ों के दर्द के उपचार का सबसे आसान तरीका है अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाना।
इसे जरूर पढ़ें: बॉडी पेन और स्वेलिंग को कम करने के लिए बेस्ट हैं ये 9 फूड
डॉक्टर नरेश अरोड़ा के कहना हैं कि 'अगर हम अरोमाथेरेपी ट्रीटमेंट को अपनाते हैं तो हमें निश्चित रूप से उससे परिणाम मिलेंगे। इस तरह के जोड़ों के दर्द में अरोमाथेरेपी सबसे ज्यादा प्रभावी होती है।' अब, हम जानेंगे कि अरोमाथेरेपी में एसेंशियल ऑयल्स की क्या भूमिका होती है और क्यों ये जोड़ों के दर्द में इतने प्रभावी होते हैं। अरोमा ऑयल राहत पाने के लिये सबसे प्रभावी चीज है; इसे गरम और ठंडे दोनों स्थितियों में प्रयोग किया जा सकता है। इन तेलों में पिपरमेंट, कपूर, आदि हैं, ये त्वचा की नसों में प्रतिक्रिया करती है और इसी समय मस्तिष्क संवेदनशीलता को उत्प्रेरित करता है। इन तेलों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका यह होती है कि ये जल्दी गर्म हो जाते हैं और त्वचा पर लंबे समय तक बने रहते हैं। अरोमा ऑयल्स अत्यधिक सुगंधित होते हैं, जोकि पंखुड़ियों, तनों, जड़ों और पौधों के अन्य हिस्सों में पाये जाते हैं। ऐसा लगता है कि एसेंशियल ऑयल्स चमत्कार कर सकते हैं, यह प्रभावित हिस्से के ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाते हैं और सूजन वाली जगह को कम करते हैं। जोड़ों के दर्द के लिये जिन अरोमा ऑयल्स का प्रयोग किया जा सकता है, वह निम्नलिखित हैः
1. पिपरमेंट ऑयल, इस ऑयल की 5-8 बूंदों को 2 चम्मच गुनगुने नारियल तेल में मिलाकर तुरंत इस्तेमाल योग्य बनायें। आप नारियल तेल की जगह कोई और ऑयल भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
2. यूकेलिप्टस ऑयल, इस तेल को कैरियर ऑयल के साथ मिलाकर प्रभावित हिस्से पर मसाज करें।
3. जिंजर ऑयल, इस कैरियर ऑयल का मिश्रण तैयार करें और उसे प्रभावित हिस्से पर लगायें। आप इस ऑयल को लेवेंडर और लेमनग्रास ऑयल्स के साथ भी मिला सकती हैं।
4. लेवेंडर ऑयल, इस ऑयल को सीधे प्रभावित हिस्से पर लगायें, इसमें अत्यधिक अरोमा का अहसास होता है, जिससे दर्द को दूर करने में मदद मिलती है। इस तेल को हमेशा गोलाकर में मसाज करें।
5. कायेने पेपर ऑयल, इस ऑयल की कुछ बूंदों को नारियल तेल के साथ मिलायें और कुछ हफ्तों के लिये दिन में 2-3 बार लगायें।
6. लेमनग्रास ऑयल, ज्यादा राहत पाने के लिये इस ऑयल को अलग-अलग तरीकों से प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिये आपको करना बस इतना है कि पानी को उबालें, उसमें कुछ बूंदें लेमनग्रास की डालें और प्रभावित हिस्से में इसकी भाप लें।
7. लोबान तेल, इस तेल को ऑलिव ऑयल के साथ मिलायें और सूजन वाले हिस्से में इस मिश्रण को लगायें।
8. रोज़मेरी ऑयल, इस ऑयल को प्रभावित हिस्से पर लगायें, यह तेल रोज़मेरिनिक एसिड से युक्त होता है, जोकि मुख्य रूप से पेन को कम करता है।
9. जुनिपर तेल, इस ऑयल की कुछ बूंदों को लोशन या क्रीम में मिलाकर हर दिन प्रयोग कर सकती हैं।
10. क्लोव एसेंशियल ऑयल, इस ऑयल को जोजोबा ऑयल के साथ मिलाकर मिश्रण तैयार करें और प्रभावित हिस्से पर इस मिश्रण को लगायें।
इसे जरूर पढ़ें: घुटनों के दर्द को ना करें नजरअंदाज, है ये बड़ी बीमारी का संकेत
अरोमा ऑयल से प्रभावित जोड़ों के दर्द के लिये एक उपाय हो सकता है। अरोमा ऑयल में जड़ी-बूटी/प्राकृतिक तत्व होते हैं, जोकि दर्द को कम करते हैं। अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि जोड़ों के दर्द का पारंपरिक तरीका अस्थायी होता है; आपको सामान्य दवाओं से कुछ दिनों के लिये आराम मिल सकता है, दवा का प्रभाव खत्म होते ही आपको दोबारा दर्द का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अरोमा ऑयल के मामले में, आपको हमेशा के लिये आराम मिल जायेगा, अगर आप इसका सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं।
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।