कई लोग उत्तराखंड ट्रेकिंग के लिए इसलिए जाते थे कि रात के समय पहाड़ों पर स्टे करेंगे लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता है। पहाड़ों पर रात के समय रुकना मना है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पहाड़ों पर रात के समय टूरिस्ट्स के रूकने पर रोक लगा दी है।
उत्तराखंड में टूरिस्ट ट्रेकिंग के समय पहाड़ों पर रात के समय रुकते थे। यह फैसला ना केवल एडवेंचर टूरिज्म के शौकीन लोगों के लिए बड़ा झटका है बल्कि उत्तराखंड सरकार को भी इससे बड़ा नुकसान पहुंच सकता है क्योंकि अक्सर टूरिस्ट्स ट्रेकिंग के टाइम पर पहाड़ों पर रुक जाते थे।
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के पहाड़ी इलाकों में बने सभी तरह के स्थायी स्ट्रक्चर को तीन महीने में हटाने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने ऊंचाई पर बने मैदानों में रूकने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है जिसके बाद अब पर्यटक लंबी ट्रेकिंग नहीं कर पाएंगे।
उत्तराखंड में कई ट्रेक इतने लंबे हैं कि इन्हें एक दिन में ही पूरा नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसे में रात में पहाड़ों पर रुकने पर प्रतिबंध लग गया तो हो सकता है हर साल ट्रेकिंग के लिए उत्तराखंड पहुंचने वाले टूरिस्ट्स कम हो जाए। उत्तराखंड में कई फेमस ट्रेकिंग रूट हैं जहां पर्यटकों की ज्यादा भीड़ होती है जैसे वैली ऑफ फ्लॉवर (6-7 दिन), पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक (10 दिन), चोपटा चन्द्रशिला ट्रेक (6 दिन)।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद एडवेंचर टूरिज्म से जुड़े करीब एक लाख लोगों के रोजगार पर संकट आ गया है जो एडवेंचर टूरिज्म से रोजगार कमाते थे। कुली, खच्चर चलाने वाले, हेल्पर और रात में खाना बनाने वाले ऐसे कई लोग हैं जिनका रोजगार एडवेंचर टूरिज्म से जुड़ा है।
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