अगर आप पिंडदान के लिए बोधगया जा रही हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। श्राद्ध के दिनों में यहां बहुत ज्यादा भीड़ होती है क्योंकि कई मीलों का सफर तय कर भी लोग यहां पिंडदान करने के लिए आते हैं।
बोधगया एक धार्मिक और पवित्र स्थल है इसलिए भारत से लोग श्राद्ध के दौरान यहां पिंडदान करने आते हैं। अगर आप भी यहां श्राद्ध के दिनों जाने का प्लान बना रही हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
श्राद्ध के दिनों में बोधगया की यात्रा
बोधगया भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में एक है। देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां महाबोधि मंदिर के दर्शन करने आते हैं। इसी स्थान पर महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। गौतम बुद्ध को जिस पीपल के वृक्ष के नीच तपस्या करते हुए ज्ञान मिला था उस पीपल का वंश-वृक्ष आज भी उसी जगह पर मौजूद है। श्रद्धालु इस पवित्र पेड़ के दर्शन करके शांति का अनुभव करते हैं।
अगर आप श्राद्ध के दिनों में बोधगया जाने का मन बना रही हैं तो आपको जान लेना चाहिए कि यहां आप कहां पूजा करा सकती हैं, कहां ठहर सकती हैं और किन मंदिरों को घूम सकती हैं।
पिंडदान पूजा कराने के लिए यहां कई आश्रम हैं जैसे बंगाली सेवा आश्रम, भारत सेवा आश्रम आदि। यहां से आप पूजा करवा सकती हैं लेकिन इसके लिए आपको इन्हे पहले से बोलना होता है। इसके अलावा आप पूजा के लिए अपने होटल में भी पंडा बुक करने के लिए बोल सकती हैं। ऐसा करने में आपको ज्यादा आसानी होगी।
बोधगया में रुकने के कई ऑप्शन हैं यहां होटल्स के अलावा कई बौद्ध गेस्ट हाउस भी हैं जहां बेहद ही कम कीमत पर ठहरने की सुविधा दी जाती है। इसके अलावा मठों में भी रुकने की सुविधा होती है। यहां आपको लगभग 200 रुपये में एक दिन के अनुसार कमरा मिल जाता है।
इस बात का जरूर रखें ध्यान
यहां पूजा करवाने के लिए आपको हर कदम पर लोग मिलेंगे और वो पैसे की मांग भी करेंगे लेकिन पूजा कराने से पहले ही आप अपना बजट बता देंगे तो ज्यादा अच्छा होगा।
बौधगया के आसपास घूमें
बौधगया में घूमने के लिए कई जगहे हैं। यहां आप कई इंटरनैशनल बौद्ध मंदिरो में भी घूम सकती हैं जिन्हे दुनिया के कई देशों ने अपने स्टाइल में बनवाया है। इसके अलावा आप अर्कियालॉजी म्यूजियम जरूर जाएं जहां महाबोधि पेड़ के चारो ओर लगने वाली असली रेलिंग रखी है।
बौधगया से 70 किलोमीटर दूर नालंदा यूनिवर्सिटी है आप यहां घूमने भी जा सकती हैं।
अगर आप मंदिर देखना चाहती हैं तो आप महाबोधि मंदिर के दर्शन करने जा सकती हैं। इसी स्थान पर महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। गौतम बुद्ध को जिस पीपल के वृक्ष के नीच तपस्या करते हुए ज्ञान मिला था उस पीपल का वंश-वृक्ष आज भी उसी जगह पर मौजूद है। श्रद्धालु इस पवित्र पेड़ के दर्शन करके शांति का अनुभव करते हैं।
Recommended Video
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों