सुबह-सुबह उठकर ऑफिस जाना किसे अच्छा लगता है? हर रोज का वही रूटीन, ऑफिस का स्ट्रेस, साथ में काम करने वालों से लड़ाई आदि बहुत परेशानी में डाल देते हैं। कई लोगों को अपनी जॉब में सैटिस्फैक्शन नहीं मिलता और इसके कारण उन्हें अपनी नौकरी नहीं अच्छी लगती। आपको शायद यह नहीं पता हो, लेकिन ऐसे कई लोग होते हैं जो दिखते तो खुश हैं, लेकिन अपनी नौकरी से बहुत दुखी होते हैं।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी आई है जो बताती है कि किस तरह की जॉब्स के कारण लोग सबसे ज्यादा दुखी होते हैं। इसे 'World's Unhappiest Jobs' का नाम दिया गया है। यह स्टडी असल में 1938 में शुरू हुई थी और इसे पूरे होने में 85 साल लग गए। दुनिया भर के अलग-अलग देशों से इस स्टडी के लिए डेटा कलेक्ट किया गया था। अब नतीजे सामने हैं जो बताते हैं कि दुनिया भर में एक जैसी जॉब्स ही होती हैं जिनमें लोग सबसे ज्यादा दुखी रहते हैं।
हार्वर्ड की इस स्टडी में बताया गया है कि ऐसी जॉब्स जहां सबसे कम ह्यूमन इंटरेक्शन होता है या फिर किसी भी तरह की रिलेशनशिप बिल्डिंग की गुंजाइश नहीं होती है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के साइकिएट्री प्रोफेसर और हार्वर्ड स्टडी ऑफ अडल्ट डेवलपमेंट के डायरेक्टर डॉक्टर रॉबर्ट वाल्डिंगर ने एक मीडिया पोर्टल को दिए इंटरव्यू में बताया था कि ऐसी किसी भी जॉब में इंसान ज्यादा फ्रस्ट्रेटेड महसूस करता है। उनके अनुसार यह इंसानी स्वभाव की जरूरत है कि उन्हें थोड़ा सा सोशल होना पड़ेगा। ऐसा जिंदगी के हर पड़ाव में होता है। अब अगर आप लोगों से कनेक्ट महसूस नहीं करेंगे, तो आप अपनी जॉब में सेटिस्फाई नहीं रहेंगे।
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ऐसा जिंदगी के कई पड़ावों पर देखा जाता है। अकेलापन हमें बहुत परेशान कर सकता है। अगर अकेलापन ज्यादा रहता है, तो जिंदगी बड़ी उदास लगने लगती है। कई बार अकेलेपन के कारण साइकोलॉजिकल समस्याएं भी होती हैं। ऐसे में उन जॉब्स को करने वाले लोगों पर ज्यादा असर पड़ता है जिनमें किसी भी तरह का ह्यूमन कनेक्शन नहीं है। (अकेलेपन को कम करने के लिए ट्राई करें ये 6 चीजें)
स्टडी में यह बात भी बताई गई है कि इंसान सबसे ज्यादा खुश पैसे, प्रोफेशनल सक्सेस या हेल्दी डाइट से नहीं बल्कि पॉजिटिव रिलेशनशिप्स से रहता है। लंबे समय तक खुश रहने के लिए इंसान को ज्यादा बेहतर रिलेशनशिप्स चाहिए।
स्टडी के मुताबिक, ट्रक ड्राइविंग, नाइट सिक्योरिटी गार्ड, आईटी इंडस्ट्री वाली जॉब्स जहां पर इंसान अकेले काम करता रहता है, पैकेजिंग और फूड डिलीवरी सर्विस वाली जॉब्स आदि सबसे ज्यादा दुखी करने वाली जॉब्स होती हैं। ऐसी जॉब्स जहां को-वर्कर कम हैं या फिर जहां आपकी किसी को-वर्कर से पटती नहीं है वो भी दुखी करते हैं। इनमें ऑनलाइन रिटेल जॉब्स भी शामिल होती हैं जहां एक शिफ्ट वाले कर्मचारी को दूसरी शिफ्ट वाले का नाम भी पता नहीं होता है।
सर्विस इंडस्ट्री से जुड़े लोग भी अपनी जॉब्स से दुखी होते हैं। इसका कारण उनकी जॉब का नेचर है जहां उन्हें ह्यूमन इंटरैक्शन तो मिलता है, लेकिन सफल रिलेशनशिप्स नहीं बन पाती हैं।
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हार्वर्ड की तरफ से 700 लोगों का चुनाव किया गया। उन पर 85 सालों तक रिसर्च की गई। उनकी हेल्थ डिटेल्स से लेकर उनकी जॉब तक सभी चीजों के बारे में हर दो साल में अपडेट पूछी गई। इस आधार पर नतीजे निकाले गए। स्टडी के मुताबिक, सोशल जॉब्स में भी अगर ज्यादा इंटरेक्शन की गुंजाइश ना हो, तो लोग दुखी महसूस करने लगते हैं।
ऐसे में अगर कोई कंपनी अपने कर्मचारियों को ज्यादा खुश करना चाहती है, तो सोशलाइजिंग का समय भी निकालना होगा।
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