आज पूरी दुनिया International Women's Day 2025 यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रही है। एक बार फिर महिलाओं को उनकी अहमियत का एहसास दिलवाने के लिए कुछ मैसेज भेजने की शुरुआत हो चुकी है...कुछ लोग दिल से ये मैसेज फॉरवर्ड कर रहे हैं, तो कुछ कहेंगे...उफ्फ, ये औरतों को इतनी अहमियत क्यों मिलती है...वहीं, कुछ विश करते-करते भी मजाक के नाम पर ताने में डूबी दिल की बात कह जाएंगे। खैर, मैं एक लड़की होने के नाते, सभी लड़कियों की तरफ से आपको इतना कह सकती हूं कि हमें विमेंस डे पर ये 'शक्ति का नाम ही नारी है...' वाले मैसेजेस नहीं चाहिए।
अब अगर मेरी स्टोरी को पढ़ने वाला कोई मेल रीडर है, तो गहरी सांस भरते हुए आप ये कहें, 'उफ्फ..महिला दिवस पर विशेज के मैसेज नहीं चाहिए...ये लड़कियों को समझना बड़ा ही मुश्किल है...इन्हें खुद ही नहीं पता होता कि इन्हें क्या चाहिए...?'...उससे पहले मैं आपको बता देती हूं कि 'आखिर चाहिए क्या औरत को...।'
जी हां, यह सवाल सोशल मीडिया पर भी बड़ा ट्रेंड कर रहा था और कुछ वक्त पहले जब भी मैं अपनी इंस्टा फीड खोल रही थी, तो बार-बार इसी सवाल के इर्द-गिर्द बुनी रील्स मेरी फीड पर नजर आ रही थीं। अलग-अलग फनी टेक देकर, तभी कभी मर्दों को लाचारी और औरतों की बेबुनियाद उम्मीदों को दिखाते हुए, काफी इंट्रेस्टिंग सी चीजें दिख रही थीं। हां, बेशक कुछ रील्स ऐसी भी थीं, जिनमें कुछ ऐसी बातों का जिक्र था, जो यकीनन महिलाओं को चाहिए..जिसकी वो उम्मीद करती हैं और जिसका वो हक रखती हैं।
खैर, इस विमेंस डे मैंने सोचा कि चलिए, मैं सभी लड़कियों की तरफ से, मर्दों को और पितृसत्ता के रंग में रंगे पूरे समाज को इस सवाल का जवाब दे ही देती हूं कि 'आखिर चाहिए क्या औरत को...'
महिलाएं सालों से बराबरी की लड़ाई लड़ रही हैं। जबकि, असल में जिस बराबरी के हक और सम्मान के लिए, महिलाएं ये लड़ाई लड़ रही हैं, वो तो उन्हें बिना लड़ाई और बिना मांगे ही मिल जाना चाहिए। उन्हें यह बताने या साबित करने की जरूरत ही क्यों हैं कि वे पुरुषों के बराबर या कई क्षेत्रों में उनसे बेहतर हैं। बार-बार क्यों उन्हें इस कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया जाता है, जहां हजारों सवाल होते हैं और जवाब में वे दिन-रात अपनी बेसिक नीड्स के लिए संघर्ष करती रहती हैं। संयुक्त राष्ट्र के संगठन यूएन विमेन की मानें तो महिलाओं और पुरुषों के बीच असमानता की खाई को पाटना अभी भी आसान नहीं है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में वर्किंग एज वाली लगभग 240 करोड़ महिलाओं को अभी भी पुरुषों के बराबर के हक नहीं मिल पाए हैं। इस विमेंस डे, हमें हमारे हक चाहिए वो भी पूरी इज्जत के साथ।
मुझे पता है इस बात को डाइजेस्ट करना थोड़ा-सा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि जिस पितृसत्तात्मक समाज में हम बड़े हुए हैं, वहां तो घर और रसोई संभालना, महिलाओं की जिम्मेदारी है...उनका फर्ज है और आप चाहें जिंदगी में कुछ भी हासिल कर लें। लेकिन, अगर आप अच्छी गृहिणी नहीं बन पाईं, तो आपकी सारी सफलताओं को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया जाता है। सबसे पहले तो मैं ये बिल्कुल नहीं कह रही हूं कि घर का काम करने में कोई बुराई है या यह काम किसी भी और काम से छोटा है। बेशक, हमारे घर-परिवार में सालों से हमारी मम्मी, दादी या और भी महिलाएं घर चला रही हैं, संभाल रही हैं और इसी वजह से हम सभी अपनी जिंदगी को इतना सलीके से जी पा रहे हैं। लेकिन, सिर्फ एक महिला से ही घर के काम की उम्मीद करना...ऑफिस से आने के बाद पति का गर्म चाय का इंतजार करना और महिलाओं से घर और ऑफिस दोनों, संभालने की उम्मीद करना गलत है।
यह बात भी गले से उतरना थोड़ा मुश्किल हो सकती है, क्योंकि एक बार फिर से महिलाओं के लिए अपनी जरूरतों को पीछे रखना...अपने बारे में न सोचकर परिवार के बारे में पहले सोचना और सबको खुश रखने की कोशिश में खुद को भूल जाना, काफी नॉर्मल माना जाता है। लेकिन, माफ कीजिएगा आज की किसी भी लड़की को 'त्याग की प्रतिमूर्ति', 'आदर्श नारी' या 'संस्कारी बहू' का टैग नहीं चाहिए। हमें बिना जजमेंट के अपने फैसले लेने का हक चाहिए। जिस तरह हमसे दूसरी की खुशियों को ख्याल रखने की उम्मीद की जाती है, उसी तरह हमारी खुशियों को समझने वाली सोच चाहिए। अगर हम अपनी खुशी के लिए कोई फैसला लें, तो उसके लिए चढ़ी हुई त्योरियां नहीं चाहिए।
इस बात को आप, मैं या कोई भी महिला पूरी तरह महसूस कर सकती है। कभी ऑफिस में, कभी घर पर, कभी ससुराल में तो कभी आते-जाते मोहल्ले की किसी आंटी से, न जाने कैसी-कैसी बातें सुनने को मिल जाती हैं। कभी कपड़ों से कैरेक्टर जज कर लिया जाता है, तो कभी प्रोफेशन से गलत-सही का ठप्पा लगा दिया जाता है। अगर प्रमोशन हो जाए, तो उसका श्रेय भी हमारे काम को नहीं, बल्कि लड़की होने को दे दिया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं को आज भी कई क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में 24 फीसदी कम वेतन मिल रहा है।
आज यूं तो हम समाज के तौर पर इतना आगे बढ़ चुके हैं। लेकिन, न जानें क्यों आज भी स्टीरियोटाइप वाइफ जोक्स हमें काफी नॉर्मल लगते हैं। पति का पत्नी को लेकर जोक्स करना, बड़ी शान से व्हाट्सएप फॉरवर्ड जोक्स को इधर-उधर भेजना और पत्नी के सामने ही इस तरह के जोक्स क्रैक करते हुआ जरा सा भी न हिचकना...माफ कीजिएगा पर औरतों को ये नहीं चाहिए। हमें वो सोच चाहिए, जिसमें पत्नी को पति के बराबर समझा जाता है। पति को परमेश्वर का दर्जा देना और पत्नी पर इस तरह के जोक्स करना, ये हमें नहीं चाहिए।
जरा सोचिए कि भीड़ में जब कोई नजर आपको इस तरह देख रही हो...मानों आपको स्कैन कर रही है..जब भीड़ के बीच गलती से नहीं, बल्कि जान-बूझकर आपको छूने की कोशिश की जाए, तो कैसा महसूस होता होगा। इस फीलिंग से कोई भी लड़की आसानी से रिलेट कर सकती है, क्योंकि दुर्भाग्यवश हर लड़की को कभी न कभी इससे दो-चार होना पड़ा है। साल 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 16 से 34 वर्ष की उम्र की लगभ 44% महिलाओं को छेड़छाड़, सीटियां, सेक्शुअल कमेंट्स या भीड़ में छूने जैसी हरकतों का सामना करना पड़ा है। अगर आप पूछ रहे हैं ना कि 'आखिर चाहिए क्या औरत को...', तो हमें चाहिए कि बिना फोन पर घरवालों को लोकेशन शेयर किए, हम कॉन्फिडेंस और बिना किसी डर के कहीं आ-जा सकें।
अब शायद आप ये समझ पा रहे होंगे कि 'आखिर चाहिए क्या औरत को...।' अब भी इनमें न जाने कितनी ऐसी चीजें हैं, जिन्हें लिखने में शायद और भी कई घंटे लग जाएंगे। तो चलिए, मैं ये उम्मीद कर लेती हूं कि इन बातों के अलावा भी जो बातें एक मर्द के तौर पर, एक परिवार के तौर पर या समाज के तौर पर आपको समझनी चाहिए, वो आप समझेंगे। एक आखिरी बात, ये जो भी चीजें हैं न, जो हमें चाहिए, यकीन मानिए, ये मांगने की जरूरत पड़नी नहीं चाहिए थी।
यह भी पढ़ें- 'आजकल की लड़कियां,' आखिर क्यों नहीं करना चाहती हैं शादी?
आप इस बारे में क्या सोचते हैं, हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Freepik, Shutterstock
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।