रक्षा बंधन, भाई-बहन के प्यार की एक अटूट डोर जिसमें कितने ही दिल और रिश्ते जोड़े हैं। बहन के स्नेह और प्यार की निशानी है राखी। और भाई का वादा, अपनी बहनकी रक्षा का। सदियों से ही ये रीत चली आ रही है- भाई, प्यार से, और कभी रोष में अपने बहनों की मान और शान की रक्षा करते हैं। पर इस बंधन में सिर्फ भाई ही नहीं बंधे हैं। क्या इस बंधन का भार बहनें नहीं उठा रही?
"कितने बजे वापस आओगी? " " स्कर्ट पहन के क्यों बाहर जा रही हो?" "ऐसी जगह लड़कियां काम नहीं करती!" "देर रात बाहर रहने वाली लड़कियां खुद मुसीबत बुलाती हैं!"
इस तरह की बातें शायद ही किसी लड़की ने नहीं सुनी होंगी। और साथ ये भी की, " तुम्हारी सुरक्षा के लिए ही बोल रहे हैं!"
हमारी रक्षा के नाम पर, हमें बंधा गया है- क्या ये कहना गलत होगा? रक्षा का बंधन, लड़कियों के लिए एक बंदिश बन गया है। जब हमने भाई की कलाई पर राखी बंधी थी, तो हमने ये तो नहीं कहा था की हमें बेड़ियों में जकड़ कर, लिपा पुता कर, ताले में बांध कर, हमारी रक्षा करो। हमने तो ये कहा था, की भैया, जब मैं अपने पंख फैलाऊं तब तुम मेरी उड़ान देखोगे, अगर मैं डगमगाऊं तो तुम मेरा सहारा बनोगे। भैया, मुझे घर के अंदर बंद करने के बजाये तुम शहर को लड़कियों ले लिए सुरक्षित बनाओगे। मेरी स्कर्ट की लंबाईनहीं, तुम अपना नजरिया बदलोगे। मैंने राखी बाँधी थी की तुम मुझे अपनी इज़्ज़त नहीं, अपनी बहन, समझोगे। मेरी ज़िन्दगी, मेरी चॉइस, मेरे सपनों की रक्षा करोगे। इस राखी अपने भाई से क्या तोहफा चाहेंगी आप? रक्षा का बंधन या बंधनों से आजादी
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इस साल राखी, स्वतंत्रता दिवस के साथ आयी है। इस साल बहन अपने भाई से राखी पर एक ख़ास तोहफा मांगेगी। इस साल हमें रक्षा के नाम पर बंधन नहीं चाहिए, हमें आज़ादी चाहिए।
रक्षा के नाम पर अब घुटकर नहीं रहेंगे हम
इज़्ज़त के नाम पर अब सूली नहीं चढ़ेंगे हम
हमें क्या चाहिए? आज़ादी
खुल कर जीने की आज़ादी
चुनने की चाहिए आज़ादी
खाने - कपड़ो की आज़ादी
आज़ादी आज़ादी आज़ादी !!
बांधो नहीं मुझे- लेने दो नयी उड़ान
It’s my life, my Zindagi
मेरी खुद की है पहचान
ये डोरी मेरा प्यार है - कमज़ोरी नहीं मेरी
इस राखी, मेरे प्यारे भैय्या- दो मुझे –
बंधन नहीं आज़ादी
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सोच को बदलने का समय आ चुका है। इस साल, राखी ज़रूर बांधिए, पर एक वादे के साथ, बंधन नहीं आज़ादी का वादा। बंधन नहीं आज़ादी
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