क्या कोई इस बात का जवाब दे सकता है कि भारत में अंधविश्वास किस हद तक भरा हुआ है? सवाल थोड़ा पेचीदा है क्योंकि ऊपरी तौर पर देखें तो हमें एक ऐसा भारत दिखता है जो आगे बढ़ रहा है अंधविश्वास को पीछे छोड़ रहा है, लेकिन अगर गहराई में जाएं तो कई सारी चीजें ऐसी हो रही हैं जो नहीं होनी चाहिए। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें पुणे की एक महिला के साथ अघोरी घटनाएं हुई हैं। उसे मजबूर किया गया काला जादू करने और उसका हिस्सा बनने के लिए।
बहू प्रेग्नेंट हो जाए इसलिए खिला दिया हड्डियों का चूरा, कुल के नाम पर कब तक चलेगा ये अंधविश्वास
अंधविश्वास के नाम पर ना जाने कितनी ही बर्बरता लोगों के साथ होती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां अंधविश्वास के कारण एक महिला को हड्डियों का भोग लगाया गया।
ये मामला काफी गंभीर है। लोग जहां एक ओर काला जादू करने की बातों को सिरे से नकार देते हैं वहीं इस तरह की अघोरी घटनाओं में हिस्सा भी लेते हैं। इस मामले में महिला की शिकायत पर उसके ससुराल वालों सहित सात लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। कई सारी धाराओं के तहत केस बनाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
पुणे की एक महिला ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ केस किया। महिला की शादी 2019 में हुई थी और उसे कोई संतान नहीं थी। इसके कारण ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करते थे और हद तो तब हो गई जब उसके लिए काला जादू भी करवा दिया। महिला ने अपनी शिकायत में बताया है कि उसे ससुराल वाले जबरन किसी स्थानीय तांत्रिक के पास लेकर गए और उसे एक अनुष्ठान करने को कहा। इसमें उसे पानी पिलाया गया जिसमें इंसानी हड्डियों का चूरा मिला हुआ था।
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ये पहली बार नहीं है जब उस महिला ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। इसके पहले भी महिला ने दो बार शिकायत दर्ज करवाई है और इसमें दहेज को लेकर प्रताड़ना का मामला भी शामिल है। अपनी शिकायत में महिला ने बताया कि ये अनुष्ठान अमावस की रात को किया गया था और उसके ससुराल वाले तांत्रिक से वीडियो कॉल पर बात करते रहते थे।
महिला को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा था।
ये मामला किसी फिल्मी कहानी सा लगता है, लेकिन एक बार उस महिला के बारे में सोचिए जिसके साथ ये असल में हुआ है। जिसे परेशानी का सामना करना पड़ा है।
क्या अंधविश्वास में इतना घिर गए हैं हम?
जिस तरह की घटना यहां हुई है वो सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या हम बतौर समाज अंधविश्वास में इतना घिर गए हैं कि तर्क करने की हालत में ना रहें? किसी महिला के लिए ये कितना प्रताड़ित करने वाला अनुभव रहा होगा कि उसे इस तरह की घटना का सामना करना पड़ा। किस तरह से उसने वो पानी पिया होगा जिसमें हड्डियां मिली हुई थीं।
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अगर किसी के घर संतान नहीं हो रही है तो लोग डॉक्टर के पास जाते हैं, इलाज के लिए सोचते हैं, कुछ पूजा-पाठ और भगवान से प्रार्थना भी करते हैं, लेकिन अंधविश्वास के घेरे में जाकर महिला के साथ इतनी बर्बरता करना कहां तक सही है।
आखिर कब तक कुल और वंश के नाम पर हम इस तरह की घटनाओं को नजरअंदाज करते रहेंगे? पुलिस ने ससुराल वालों के खिलाफ केस तो दर्ज कर दिया है और उसके साथ ही कार्यवाही भी शुरू कर दी है, लेकिन ये सिर्फ एक मामला है जो सामने आया। ना जाने ऐसे कितने ही मामले हैं जिन्हें लोग जान भी नहीं पाते हैं।
अंधविश्वास के इस जंजाल को रोकने के लिए ये जरूरी है कि जब भी ऐसा कुछ होता दिखे तो उसे रोकने की कोशिश करें। अगर रोक नहीं पा रहे हैं तो किसी अधिकारी को इसकी बात बताएं। पूजा-पाठ और धर्म-आस्था अलग है, लेकिन अगर बात अंधविश्वास की हो तो उसके खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।
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