शादी के लिए 14 लड़कों से बात कर रही महिला ने मांगी हसबैंड चुनने में मदद, इंटरनेट पर मिलीं ऐसी प्रतिक्रियाएं

आपने भी अपने सूटेबल पार्टनर के बारे में काफी कुछ सोचा होगा। अपने लिए सही पार्टनर चुनते हुए हम सभी इस दौर से गुजरते हैं, जहां हमें कंफ्यूजन होने लगती है। ऐसी ही एक दुविधा एक लड़की ने इंटरनेट पर शेयर की, लेकिन उसने एक अलग जेंडर डिबेट शुरू कर दी। 

 
woman asks internet to help her pick husband among  suitors

जेंडर कोई भी हो, उसे सही अधिकार, जिम्मेदारी और मौके पाने का पूरा हक मिलना चाहिए। बीते कुछ सालों में हमने इसके लिए एक लंबी लड़ाई भी लड़ी और एक महिला होने के नाते, महिलाएं चाहती हैं कि हमें किसी भी फील्ड में कम न आंका जाए। इसमें कोई शक नहीं है कि जेंडर इक्वेलिटी आज के समय में सबसे बड़ी जरूरत है, लेकिन ऐसा क्यों कि हम इसे गलत पहलू से देख रहे हैं? अब आप एक हाल ही का मुद्दा लीजिए, एक 29 वर्षीय महिला जो अपने लिए पार्टनर तलाश रही है, उसने इंटरनेट पर अपने कंफेशन से हड़कंप मचा दिया है। अपनी कशमकश को शेयर करते हुए, उसने लोगों से अपने लिए 'सही लड़का' चुनने में मदद मांगी है।

अपने कंफेशन में, महिला ने उम्मीदवारों की उम्र, एनुअल सैलरी और कंपनी के बारे में भी बताया है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह तक बताया है कि किस लड़के में क्या कमी है। इस स्क्रीनशॉट के वायरल होते ही, सोशल मीडिया पर तरह-तरह के रिएक्शन देखने को मिल रहे रहे हैं।

इस एक कंफेशन ने फिर एक बार लोगों को दो टीम में बांट दिया है। एक ग्रुप जहां लोग इसे गलत बता रहे हैं, वहीं दूसरे ग्रुप का कहना है कि ऐसा महिलाओं के साथ भी लंबे समय से होता आ रहा है। 29 वर्षीय महिला के करियर पर भी लोग सवाल कर रहे हैं, क्योंकि वह खुद बेरोजगार है।

लड़की ने सूटबेल पार्टनर ढूंढने के लिए लोगों से मांगी मदद

लड़की ने कंफेशन में लिखा, "29 महिला, बी.कॉम, अभी काम नहीं कर रही हूं। मैं मैट्रिमोनी साइट के माध्यम से 14 लड़कों से बात कर रही हूं और असमंजस में हूं कि मुझे किसे चुनना चाहिए। कृपया मदद करें।" महिला ने सभी लड़कों को 1, 2, 3... करके लिस्ट में शामिल किया है। उसने उनकी उम्र, पैकेज, जिन कंपनियों में वे काम कर रहे हैं, जिन शहरों में वे रह रहे हैं, इनका ब्यौरा भी दिया है। इतना ही नहीं, साथ ही कारण भी बताएं कि किस लड़के में क्या कमी है।

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लड़की के कंफेशन से शुरू हुई सोशल मीडिया पर लंबी डिबेट

इस वायरल ट्वीट पर कई यूजर्स ने मजेदार और कुछ ने आलोचनात्मक प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोगों ने उम्मीदवारों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है। एक यूजर ने बीसीजी (BCG) से जुड़े व्यक्ति के लिए चिंता व्यक्त की और कहा कि अगर वह चुना जाता है, तो उसे ऐसी महिला के साथ अपना जीवन बिताने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

वहीं, कई लोगों ने स्थिति की तुलना पारंपरिक अरेंज मैरिज से की और ऐसे परिदृश्यों में जेंडर्स के बीच अनइवन पावर डायनैमिक्स पर प्रकाश डाला है।

एक यूजर ने इसे इंडियन पति लीग कहकर संबोधित किया है और कहा कि 14 लड़कों में से एक जीतेगा और हाई चांस है कि वह बैंग्लौर वाले लड़के को चुने।

कुछ आलोचकों ने तर्क दिया कि अरेंज मैरिज में पुरुषों के पास बेरोजगार महिला की तुलना में अधिक विकल्प होते हैं। इतना ही नहीं, वेतन के आधार पर चयन करने के उसके अधिकार पर भी सवाल उठाया है जब वह खुद अभी बेरोजगार है।

एक पक्ष ने इस बात को भी उठाया कि ऐसा महिलाओं के साथ भी सालों से होता आ रहा है और उन्हें भी उनकी कुकिंग स्किल्स के आधार पर जज किया जाता था।

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क्या गलत दिशा में लेकर जा रहे हैं हम जेंडर इक्वेलिटी की लड़ाई?

शादी का मतलब सिर्फ यह नहीं होता है कि दोनों को समान रूप से कमाना है, बल्कि दोनों के बीच सम्मान और एक-दूसरे के प्रति प्रशंसा का भाव भी होना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता है कि रिश्ते में सिर्फ एक ही व्यक्ति अपना 100 प्रतिशत दे। एक रिश्ते को सफलता से आगे बढ़ाने के लिए दोनों को समान रूप से योगदान देने की आवश्यकता है।

पहले जब पुरुषों द्वारा किसी महिला को उसकी किचन और कुकिंग स्किल्स के आधार पर आंका जाता था, तब भी यह गलत था और आज सामने आया यह कंफेशन भी गलत है। इस कंफेशन ने यह सवाल पूछने पर हमें मजबूर किया है कि क्या हम जेंडर इक्वेलिटी को समझ ही नहीं पाए हैं और इसे एक गलत दिशा में लेकर जा रहे हैं?

हर सिक्के के दो पहलू हैं और इसी तरह पितृसत्ता के भी दो पहलू हैं। एक पुरुष वर्चस्व के रूप में स्पष्ट और हमारे समक्ष है। दूसरा पक्ष पुरुषों पर परिवार का भरण-पोषण करे के बोझ को दर्शाता है। एक अरेंज मैरिज में, किसी भी व्यक्ति में सबसे पहली चीज जो देखी जाती है वह उसका वार्षिक पैकेज और उसका लुक है।

दोनों ही मामलों में, यह दर्शाता है कि पैसा कंपैटिबिलटी से ऊपर है। ऐसा नहीं है कि शादी से पहले फिनेंस के मुद्दे पर आपको बता नहीं करनी चाहिए, लेकिन एक लिंग को इस तरह से ऑब्जेक्टिफाई करना हमारे समाज में विवाह को देखने के तरीके में खोट दिखाता है। समाज में बदलाव लाने के लिए जरूरी है कि हम सेक्सिट नॉर्म्स और सदियों पुराने जेंडर रोल्स से ऊपर उठकर लैंगिक समानता के बारे में समझें।

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Image Credit: Freepik

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