आज के इस आधुनिक दौर में जहां महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, वहीं एक सामाजिक हक़ीक़त ये भी है कि शादी के बाद महिलाओं को अपनी पहचान से समझौता करना पड़ता है। कहीं पर ये समझौता खुद को ससुराल के रंग-ढ़ंग में ढ़ालने के लिए किया जाता है तो कहीं खुद को एक Ideal बहू के तौर पर पेश करने का दबाव उसके वजूद पर भारी पड़ जाता है।
भले ही हम खुद को कितना भी आधुनिक मानें, लेकिन हमारा सामाजिक ताना-बाना आज भी पारंपरिक सोच पर ही टिका हुआ है। जहां हर वर्ग के हर परिवार को एक Ideal बहू की तलाश है और Ideal बहू की ये तलाश हर वर्ग की ज़रूरतों के हिसाब से अलग हैं, किसी को घर संभालने के लिए आइडियल बहू चाहिए तो किसी वर्ग को अपने status और Lifestyle में फिट होने वाली बहू की तलाश है, जो उनकी Royal party में उन्हीं के तौर-तरीकों में मेल जोल कर सके। Ideal बहू का ये तमगा हर वर्ग की महिलाओं के लिए एक अलग ज़िम्मेदारी लेकर आता है, और इन ज़िम्मेदारियों को निभाते-निभाते कब एक बहू अपने नाम के साथ अपनी पहचान भी बदल लेती है, ये उसे खुद पता नहीं चलता। Ideal बहू बनने की इसी होड़ में लड़कियां अब Bridal Grooming Centre का रुख़ कर रही हैं जहां उन्हें बेहतर बहू बनने के तौर-तरीके सिखाए जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक दशक में इस तरह के Bridal Grooming Centres की तादाद में इज़ाफ़ा हुआ है और साथ ही यहां पहुंचने वाली महिलाओं की तादाद भी लगातार बढ़ रही है। रोज़ाना सैकड़ों लकड़ियां अपनी वास्तविक पहचान से समझौता कर Ideal बहू बनने के इस Trend का हिस्सा बन रही हैं।
Ideal बहू या खुद की पहचान, किसे चुनेगी मीरा?
पंजाब की रहने वाली मीरा की कहानी किसी भी दूसरी महिला से अलग नहीं है। एक हसमुख लड़की मीरा, जिसे कबड्डी खेलना बहुत पसंद है और वो कबड्डी की District Champion बनना चाहती है। लेकिन मीरा की इस हसरत से हटकर उसके माता-पिता, हर मां-बाप की तरह ही उसकी शादी एक अच्छे घर में कराना चाहते हैं जिसके लिए वो मीरा को एक Bridal Grooming Center में भेजना चाहते हैं, ताकि वो एक Trophy Wife के सभी तौर-तरीके सीख ले और खुद को एक Ideal बहू के तौर पर पेश कर सके। जिससे उसे एक अच्छा ससुराल मिल पाए। कबड्डी की District Champion बनने का ख़्वाब देखने वाली मीरा Bridal Grooming Center जाना नहीं चाहती। मीरा ने खुद से सवाल किया कि ‘’आखिर ऐसा क्यों है कि मुझे मेरी वास्तविक पहचान के साथ अपनाया नहीं जा सकता‘’ और ‘’क्यों मैं एक बनावटी पहचान के साथ खुद को एक Trophy Wife की तरह परोसूं’’, इसी उलझन से गुज़रते हुए मीरा ने फैसला किया कि वो Ideal बहू के इस Trend का हिस्सा नहीं बनेगी और सामाजिक ढर्रे को चुनौती देते हुए अपने वजूद के साथ समझौता नहीं करेगी। अब सवाल ये उठता है कि अपने वजूद से समझौता न करने का फैसला लेने वाली मीरा किस तरह सामाजिक चलन को चुनौती देते हुए अपनी राह खुद बनाती है...और क्या कोई मीरा को उसकी वास्तविक पहचान के साथ अपनाएगा? या अपनी शादी के लिए मीरा कर लेगी अपनी पहचान के साथ समझौता.....देखिए मीरा की कहानी ‘’कलीरें’’ सिर्फ़ ZEE TV पर !
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