हिंदू धर्म में होली रंगों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को अबीर और गुलाल लगाते हैं, जो प्रेम, एकता और भाईचारे का प्रतीक है। होली के दिन अबीर और गुलाल लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। अबीर और गुलाल लगाकर लोग अपनी नकारात्मक भावनाओं को दूर करते हैं और सभी प्रियजनों को सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। अब ऐसे में अगर आप अपने प्रियजन को गुलाल लगाने जा रहे हैं तो सबसे पहले पैरों पर लगाना चाहिए। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि होली के दिन सबसे पहले पैरों में गुलाल लगाने की मान्यता क्या है?
बड़ों के पैरों में गुलाल लगाना उनके प्रति सम्मान और आदर व्यक्त करने का एक तरीका है। ऐसा माना जाता है कि बड़ों के पैरों में गुलाल लगाने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। आपको बता दें, पैरों में गुलाल लगाने की परंपरा हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसा माना जाता है कि बड़ों के आशीर्वाद से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन में सफलता और खुशहाली लाता है।
ज्योतिष शास्त्र में पैरों को पृथ्वी तत्व का प्रतीक माना जाता है। पैरों में गुलाल लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। होली के दिन पैरों में गुलाल लगाने से शरीर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ज्योतिष में रंगों का सीधा संबंध ग्रहों से माना जाता है। होली के दिन पैरों में गुलाल लगाने से ग्रहों को शांत किया जा सकता है। ऐसी मान्यता है कि होली के रंगों का संबंध नवग्रहों से होता है। पैरों में गुलाल लगाने से देवी-देवताओं की कृपा भी जातक को प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो सकती है।
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होली के दिन, लोग देवी-देवताओं को गुलाल लगाते हैं, खासकर राधा-कृष्ण को, जो इस त्योहार से जुड़े हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। गुलाल का आंरभ श्रीकृष्ण और राधा रानी के द्वारा ही किया गया है। ऐसी मान्यता है कि होली के दिन राधे-कृष्ण को गुलाल लगाने से व्यक्ति को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
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Image Credit- HerZindagi
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