(bihar wedding rituals) सनातन धर्म में रीति-रीवाज का विशेष महत्व है। विवाह के समय हो रही विधि को बड़े नियम से निभाई जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि वर और वधू के नए जीवन की शुरूआत होती है।
साथ ही उनके दांपत्य जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी न आए। इसलिए पूरे विधि-विधान के साथ रिवाज का पालन किया जाता है। बता दें, यह सभी परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। अब ऐसे में विवाह में की जाने वाली कुछ परंपराएं ऐसी हैं, जिनके नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है।
बात करें बिहार में विवाह की रस्म की, तो कुवांरी कन्या को सिंदूरदान की रस्म देखना वर्जित होता है। ऐसा क्यों होता है। इसके बारे में जानना जरूरी है।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि बिहार में सिंदूरदान कुंवारी कन्या क्यों नहीं देख सकती है।
क्या है सिंदूरदान का महत्व (Significance of Sindurdaan)
सनातन धर्म में किसी भी दान का बेहद खास महत्व होता है। उसी तरह शादी के दौरान सिंदूरदान की रस्म विशेष माना जाता है। हिंदू विवाह में कन्यादान के साथ सिंदूरदान को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। यह पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है। उन्हें बंधन में बांधे रखता है।
विवाह के समय वर वधू की मांग में सिंदूर (सिंदूर के उपाय) डालकर इस परंपरा को निभाता है। तब विवाह की रस्म पूरी मानी जाती है। विवाह में साक्षात भगवान पधारते हैं, इसलिए इससे विवाह की सभी रस्में पवित्र एवं संपन्न मानी जाती है।
बिहार में सिंदूरदान देखना क्यों है वर्जित (unmarried girls should not see the sindoor daan ceremony)
अग्नि फेरा के साथ-साथ सिंदूरदान का भी विशेष महत्व है। बिहार में सिंदूरदान के लिए सिन्होरा, अखरा सिंदूर की जरूरत पड़ती है। सिंदूरदान की रस्म कपड़े की चारदीवारी में की जाती है। इसमें वर वधु की मांग को 3, 5 और 7 बार सिंदूर से भरता है।
इसे जरूर पढ़ें - Wedding Rituals: शादी के बाद दुल्हन की पहली रसोई मीठे से ही क्यों शुरू होती है?
ऐसी मान्यता है कि सिंदूरदान करते समय इसके साक्षी वर, वधु और देवी-देवता होते हैं। साथ ही कुंवारी क्या सिंदूरदान इसलिए नहीं देख सकती है। क्योंकि वधु अपने नए जीवन की शुरूआत करती है और कुंवारी कन्या के देखने से सिंदूरदान का पूर्ण फल वधु को नहीं मिलता है। इसलिए कुंवारी कन्या को सिंदूदान नहीं देखना चाहिए।
सिंदूर है सौभाग्य का प्रतीक (Sindoordaan is a symbol of good luck)
महिलाओं के मांग में सिंदूर भरने की प्रथा प्राचीन समय से चली आ रही है। यह उनके सुहागिन होने का प्रतीक है। साथ ही इसे मंगलसूचक भी कहा जाता है। सिंदूर को सौभाग्य का प्रतीक कहा जाता है। सिंदूर का लाल रंग मंगल(मंगल मंत्र) ग्रह को दर्शाता है।
इसे जरूर पढ़ें - Hindu Wedding Rituals: दुल्हन को शादी से पहले क्यों बांधी जाती है हल्दी की गांठ
इसलिए इसे मंगलकारी माना जाता है और लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है। इसे लगाने से पति पर किसी तरह की कोई मुसीबत नहीं आती है।
इस लेख को विस्तार से पढ़ें और अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।
Image Credit: Freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों