हमारा इतिहास काफी लंबा रहा है जिसके पन्नों पर न सिर्फ अच्छे बल्कि बुरे अध्यायों को भी रेखांकित गया है। कुछ अध्याय इतने दुखद हैं कि हम चाह कर भी इसकी लिखावट को बदल नहीं सकते। किसे पता था 10 अप्रैल 1912 में इंग्लैंड के पोत से रवाना हुए टाइटैनिक का पहला समुद्री सफर आखिरी सफर होगा....किसे पता था दुनिया का सबसे बड़ा टाइटैनिक जहाज पानी में डूब जाएगा।
यह इतिहास का वो दिन था जब लाखों लोगों की जिंदगी का सफर एक साथ खत्म हो जाएगा। हम आज भी जब हम इस मंजर को सोचते हैं, तो रूह कांप जाती है। हालांकि, इस घटना पर कई फिल्में बनीं, कई उपन्यास भी लिखे गए लेकिन फिल्म टाइटैनिक को काफी लोकप्रियता हासिल हुई और इस फिल्म को ऑस्कर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।
मगर जब भी हम इस घटना के बारे में सुनते हैं या समझने की कोशिश करते हैं, तो कई सवाल हमारे मन में आते हैं। यकीनन आपके मन में भी आते होंगे कि आखिर टाइटैनिक जहाज डूबा कैसे और इसे अब तक बाहर क्यों नहीं निकाला गया। अगर आपका मन भी इन्हीं सवालों से परेशान हो जाता है, तो अब आप परेशान न हों क्योंकि आज हम टाइटैनिक जहाज से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बात करेंगे।
कितना अजीब है न टाइटैनिक जहाज जिसे दुनिया का सबसे बड़ा जहाज कहा जाता है और अपने पहले ही सफर पर यह डूब जाता है। हालांकि, इसको लेकर यह भी मिथ था कि यह दुनिया का सबसे सुरक्षित और कभी न डूबने वाला जहाज बताया गया था। (हवाई जहाज चलाते वक्त पायलट को रास्ता कैसे पता चलता है?)
यह जहाज चार दिन की यात्रा के बाद 14 अप्रैल 1912 को एक हिमशिला से टकरा कर डूब जाता है। इसमें 1,517 लोगों की मृत्यु हुई जो इतिहास की सबसे बड़ी शांतिकाल समुद्री आपदाओं में से एक है।
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जब यह हादसा हुआ था तब टाइटैनिक जहाज 41 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से इंग्लैंड के साउथम्पटन से अमेरिका के न्यूयॉर्क की ओर बढ़ रहा था। मगर अचानक तीन घंटे के अंदर 14 और 15 अप्रैल 1912 को अटलांटिक महासागर में यह जहाज डूब गया था।
इस हादसे के बाद कनाडा से 650 किलोमीटर की दूरी पर 3,843 मीटर की गहराई में जहाज दो भागों में टूट गया था और दोनों हिस्से एक दूसरे से 800 मीटर दूर हो गए थे।
टाइटैनिक हादसे में करीब 1500 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद समुद्री जहाजों की सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की कोशिश की जाने लगी ताकि ऐसा हादसा दोबारा न हो। समुद्री जहाजों की सुरक्षा के लिए रडार जैसे उपकरणों का इस्तेमाल शुरू किया जाने लगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक 706 लोग बच गए थे। (फ्लाइट में 1 नहीं बल्कि 3 तरह की होती है सीट)
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