आखिर क्यों इतना महंगा होता है रत्तन फर्नीचर?

रत्तन फर्नीचर देखने में बहुत अच्छा लगता है, ये स्टाइलिश होता है और ये बहुत महंगा भी होता है। क्या आप जानते हैं कि इसका कारण क्या है?

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क्या आप रत्तन फर्नीचर के बारे में जानते हैं? जी हां, वही रत्तन फर्नीचर जो बहुत हल्का होता है और जिसे अधिकतर लोग बांस का फर्नीचर कहते हैं, लेकिन रत्तन कुछ और होता है। ये फर्नीचर काफी महंगा होता है और इसे कई लोग बहुत पसंद करते हैं। विदेशी मार्केट्स में तो एक कुर्सी 10 हज़ार तक बिक जाती है। पर क्या आप जानते हैं कि रत्तन फर्नीचर आखिर इतना महंगा क्यों होता है?

सबसे पहले तो मैं आपको बता दूं कि ये बांस नहीं होता है। हां, ये बांस जैसे पौधे से ही बनता है, लेकिन बांस नहीं। इसकी पैदावार अधिकतर इंडोनेशिया में होती है और वहीं से इसे पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट किया जाता है।

आखिर होता क्या है रत्तन?

रत्तन को केन भी कहा जाता है और ये लंबी स्टेम जैसी दिखने वाली बेल होती है। इसे बेंत भी कहा जाता है और इससे ना सिर्फ फर्नीचर बल्कि हैट्स, बैग्स आदि भी बनते हैं।(वुडेन फर्नीचर की देखभाल ऐसे करें)

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इसे हार्वेस्ट करना आसान नहीं है। पर इसका इस्तेमाल फर्नीचर के लिए इसलिए किया जाता है क्योंकि ये आसानी से मोड़ा जा सकता है। बांस के साथ आप ऐसा करने की कोशिश करेंगे तो वो टूट जाएगा।

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रत्तन हार्वेस्ट करना होता है बहुत मुश्किल

इसके इतना महंगा होने का एक कारण ये भी है कि इसे हार्वेस्ट करना बहुत मुश्किल है। रत्तन की एक बेल को निकालने में कई घंटे लग सकते हैं।

इसे निकालते समय बहुत सावधानी रखनी होती है क्योंकि इसमें कांटे होते हैं जिसे छीलने के बाद इस्तेमाल किया जाता है। इसी के साथ, ये काफी घने जंगलों या दलदल के पास होता है और वहां जंगली जानवरों और बीमारी वाले मच्छर का भी बहुत खतरा होता है।

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7-8 साल में पक कर तैयार होता है रत्तन

इसके महंगे होने का एक कारण ये भी है कि जो रत्तन हार्वेस्ट करने लायक होता है उसे 7-8 साल पहले लगाया जाता है। इसके हरे होने पर ही अगर इसे हार्वेस्ट कर लिया जाए तो इसकी कीमत काफी गिर जाती है।

कई बार एक साल में हार्वेस्ट होता ही नहीं है और अगले हार्वेस्टिंग सीजन का इंतज़ार करना पड़ता है। एक बार ये हार्वेस्ट हो जाए फिर इसे तीन दिनों तक पानी में गलाया जाता है और उसके बाद इसकी स्किन निकालकर इसे सुखाया जाता है। उसके बाद ये अलग-अलग जगहों पर भेजा जाता है।

कच्चा रत्तन अलग-अलग प्रोड्यूसर को भेज दिया गया इसका मतलब ये नहीं कि ये फर्नीचर बनाने के लिए तैयार हो गया है। इसके लिए कई मशीनों का इस्तेमाल होता है जो रत्तन को फोल्ड करने लायक बनाती हैं। इसी के साथ, इससे फर्नीचर बनाने में कई घंटे लग सकते हैं।

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इतने सारे प्रोसेस से गुजरने के बाद रत्तन फर्नीचर मार्केट में बिकने के लिए आता है और यही कारण है कि ये इतना महंगा होता है।

वैसे तो अधिकतर रत्तन इंडोनेशिया से ही एक्सपोर्ट होता है, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में भी इसे पाया जाता है। भारत में इसका प्रोडक्शन कॉस्ट कम होने के कारण इसे ऐसे इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अगर बात करें इम्पोर्टेड रत्तन की तो ये बहुत ही महंगा हो जाता है।

अब शायद आप समझ ही गए होंगे कि रत्तन फर्नीचर आखिर इतना महंगा क्यों होता है। क्या आपको रत्तन फर्नीचर पसंद है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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