बच्चे की अपनी एक अलग और बेहद अनोखी दुनिया होती है। रिश्तेदारों के साथ जुड़ने या घुलने-मिलने में बच्चे की झिझक और कारण अलग-अलग हो सकते हैं। यह बच्चे की विकासात्मक उम्र और उनके छोटे से अनुभवों पर निर्भर करती है। वैसे तो रिश्ते और रिश्तेदार दोनों ही लाइफ में जरूरी होते हैं, लेकिन बच्चों के अंदर ये समझ नहीं होती है। इसके अलावा भी कई और वजहें हैं, जिससे बच्चे के मन में रिश्तेदारों को फेस करने का डर बना रहता है।
अगर आपके बच्चे भी घर आए मेहमानों या रिश्तेदार का सामना करने से कोसों दूर भागते हैं, तो इस आर्टिकल में जान लीजिए इसके कारणों के बारे में। दरअसल, इसके लिए हमने बैंगलोर की एस्टर सीएमआई अस्पताल की बाल मनोवैज्ञानिक बाल जीवन विशेषज्ञ, डॉ. सुषमा गोपालन से बातचीत की है और उन्होंने बच्चों के मन की इस परेशानी के कई कारण के साथ इससे निपटने के तरीके भी बताए हैं। तो चलिए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
रिश्तेदारों से मिलने में बच्चे को क्यों होती हिचकिचाहट?
असहज महसूस करता है बच्चा
एक्सपर्ट के अनुसार, सामान्य तौर पर रिश्तेदारों से एक बच्चा तभी झिझकता है जब वह चिंतित, असहज या डरा हुआ महसूस करता है। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि बच्चे को सहज होने और दूसरे पर भरोसा करने के लिए अधिक समय चाहिए।
अनजान लोगों से बात करने में लगता है डर
रिश्तेदार से अपरिचित होने के कारण बच्चे यह भी नहीं समझ पाते हैं, कि वो अनजान लोगों से कैसे जुड़ेंगे और क्या बात करेंगे। बच्चे के मन में उस दौरान कई सारे सवाल चल रहे होते हैं। इनमें, रिश्तेदार कहीं गुस्सा तो नहीं करेंगे या कुछ काम तो नहीं करवाएंगे आदि इस तरह के सवाल उनके मन में चल रहे होते हैं। इसलिए भी बच्चे रिश्तेदारों से दूर भागते हैं।
अतीत से जुड़ा कोई राज
कुछ मामलों में, यह अतीत के कड़वे या असुविधाजनक अनुभव भी हो सकते हैं, जो बच्चे को रिश्तेदारों से दूर कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई ऐसा व्यक्ति जो शायद बच्चे पर कभी चिल्लाया होगा या मारा होगा, तो ऐसी स्थिति में भी बच्चे उनसे दूर भागते हैं।
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पढ़ाई के डर से भी रिश्तेदारों से भागते हैं बच्चे
कई रिश्तेदार घर में ऐसे भी आते हैं, जो पढ़ाई के विषय में बच्चों से कुछ सवाल करते हैं। ऐसे में, जवाब न देने पर उनकी शिकायत पेरेंट्स से कर देते हैं। इसके कारण बच्चों को माता-पिता से डांट भी पड़ जाती है। इस तरह बच्चों का रिश्तेदारों का सामना न करने के पीछे एक वजह पढ़ाई को भी समझा जा सकता है।
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बच्चे को सहज बनाने के लिए क्या करें?
अगर आपका बच्चा रिश्तेदारों के सामने जाने से झिझकते हैं, तो माता-पिता होने के नाते आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि बच्चे के मन में क्या चल रहा और वह कैसा महसूस करता है। ऐसी स्थिति में बच्चे को डांटने जबरदस्ती करने, धमकी देने या गुस्सा करने के बजाय उनसे धीरे से पूछें कि बच्चे को आखिर क्या समस्या है। हो सकता है कि उनके मन में रिश्तेदारों को लेकर कोई गलत धारणा पहले से हो। यह जानने के बाद अपने बच्चे के साथ सहजता और आत्मविश्वास के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ें। उन्हें बिना किसी जबरदस्ती के लोगों से घुलने-मिलने का वक्त दें। जितना अधिक एक्सपोजर और सहजता मिलेगी, उतना ही लोगों के साथ उनकी मीटिंग बेहतर होती जाएगी। इसके लिए कभी भी बच्चों पर दबाव न डालें, बल्कि उन्हें हमेशा अवसर देने की कोशिश करें।
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Image credit- Herzindagi
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