अरे तुम कैसी मां हो, अपने 6 महीने के छोटे से बच्चे को छोड़ कर ऑफिस जा रही हो। बाई लगा दी तो क्या हुआ, बच्चे का सारा काम तो मां को ही करना चाहिए। तुम्हारे गए पीछे बच्चे के कुछ हो गया तो क्या करोगी, क्या खुद को कभी माफ कर पाओगी?
ऊपर लिखी बातें आपको बेशक किसी फिल्म का डायलॉग लग रही होंगी, मगर यह बातें हर उस मां के मन को विचलित कर देती हैं जिसे 6 महीने की मैटरनिटी लीव्ज के बाद ऑफिस ज्वॉइन करना होता है।
उनसे यह बातें कोई और नहीं कहता अपितु वह खुद ही ऐसा सोचकर अपने को कोसने लगती हैं और खुद को बुरी मां मनने लगती हैं।
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यह केवल एक ऐसी बात नहीं है, जिसे सोच कर मां का दिल दुखता है बल्कि ऐसी और भी कई बातें जो मां के मन को परेशान करती हैं। जाहिर है, अपने बच्चे से जो भावनाएं मां की जुड़ी होती हैं, उन्हें समझ पाना किसी के लिए आसान नहीं है। लेकिन मां को फिजूल की नसीहते देना सभी को लुभाता है।
यह लेख उन माताओं के लिए है, जो दूसरों की बातें सोच-सोच कर खुद को गलत समझना शुरू कर देती हैं और उन बातों के लिए भी खुद के कुसूरवार समझने लगती हैं, जो गलती उन्होंने की भी नहीं है। आज हम आपको बताएंगे कि सही होने के बावजूद एक मां खुद को कब-कब गलत मानने लगती है।
अंधविश्वास पर विश्वास न करना
भारत में अंधविश्वास के मायाजाल में हर कोई फसा हुआ है। बच्चे के जन्म से लेकर उसके अन्य जरूरी संस्कार तक बहुत सारे अंधविश्वास जुड़े हुए हैं। जैसे बच्चे के पैदा होते ही उसे नए के स्थान पर पुराने कपड़े पहनाने का रिवाज, बच्चे की छठी पर उसकी आंखों में काजल लगाने का रिवाज, पसनी पर खीर चटाने का रिवाज आदि इसमें शामिल है। इनमें से यदि मां एक भी रिवाज को मानने से इंकार कर दे या रिवाज को विधि पूर्वक न कर पाए, तो इसे सीधे बच्चे की सेहत से जोड़ दिया जाता है। ऐसे में जब भी बच्चे की सेहत पर कोई बात आती है, तो मां खुद को कसूरवार समझने लगती है। यहां यह समझने की जरूरत है कि बच्चे के शरीर को परेशानी किसी रीति-रिवाज के पूरा न होने पर नहीं हुई , बल्कि उसकी सेहत पर ठीक से ध्यान नहीं दिया गया या बदलता मौसम इसका कारण हो सकता है।
बच्चे की आदतें बिगाड़ने की जिम्मेदार आप नहीं हैं
बच्चे के आगे मोबाइल फोन का इस्तेमाल, टीवी देखना और लैपटॉप पर काम करना एक मां की वर्जित नहीं है। हां, वक्त से पहले इनकी आदत बच्चों में न पड़े इसके लिए आप पहले से कुछ प्रिकॉशन ले सकती हैं, मगर टेक्नोलॉजी के इस जमाने में आप खुद को इनसे दूर नहीं रख सकती है। खासतौर पर जब आप वर्किंग मदर हैं, तब तो आप खुद को इन सभी संसाधनों से दूर नहीं रख सकती हैं क्योंकि आपका काम इन सबके बिना अधूरा है। इसलिए ऐसा कभी न सोचें कि यदि आपको बच्चे के आगे इन सभी चीजों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, तो उनकी आदतें बिगड़ जाएंगी। जाहिर है, आप के आगे यदि बच्चा इन्हें इस्तेमाल करेगा या गलत प्रयोग करेगा तो आप उसे रोकेंगी भी और समझाएंगी भी।
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क्यों रखना हे बच्चे के खाने लेकर सोने तक का हिसाब
बच्चे के खाने-पीने और सोने का हिसाब रखना एक मां के की रिर्पोटिंग एरिया में शामिल हो जाता है। इसका लेखा जोखा उसे कभी पती को देना होता है तो कभी घर के बड़े बुजुर्गों को। एक भी दिन यदि बच्चा ठीक से सोता नहीं है या फिर ठीक से खाना नहीं खा रहा है, तो इसमें मां का कोई कसूर नहीं है क्योंकि यह बच्चे की इच्छा पर निर्भर करता है और 6 महीने के बाद बच्चे का रूटीन हमेशा बदलता रहता है। ऐसे में बच्चे की डाइट और नींद का ध्यान जरूर रखें मगर उसके लिए आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।
अपने लिए जरूर निकाले मी-टाइम
बच्चे की देखभाल के साथ-साथ आपको अपने लिए भी मी-टाइम जरूर निकालना चाहिए। आप मां बनी हैं, देवी माता नहीं। मां बनने के बाद आपकी 10 जिम्मेदारियां जरूर बढ़ गई है मगर आपके 10 हाथ नहीं उगे हैं। अपनी जिम्मेदारियों को पति के साथ जरूर बाटें और अपने लिए भी समय निकालें। खुद को बुरी मां या फिर सेलफिश मां कतई न समझें, क्योंकि आप अपने लिए समय निकालकर कोई पाप नहीं कर रही है।
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