महाकुंभ एक ऐसा धार्मिक मेला है, जिसका विश्व में कोई सानी नहीं है। यह मेला प्रत्येक 12 साल में चार प्रमुख नदियों- गंगा, यमुना, गोदावरी और शिप्रा के तट पर आयोजित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह 12 साल के अंतराल पर क्यों होता है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं।
12 साल बाद क्यों आता है महाकुंभ?
महाकुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में किया जाता है, क्योंकि पौराणिक कथाओं के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत के घड़े को लेकर 12 दिनों तक लड़ाई हुई थी। मान्यता है कि इस लड़ाई के दौरान 12 जगहों पर अमृत की बूंदें गिरी थीं, जिनमें से चार जगह पृथ्वी पर और आठ जगह देवलोक में थीं। ये स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक थीं। कहा जाता है कि इस दौरान नदियां अमृत में बदल गई थीं। इसलिए, दुनिया भर के तीर्थयात्री पवित्रता के सार में स्नान करने के लिए कुंभ मेले में आते हैं।
महाकुंभ से कितना अलग होता है कुंभ मेले?
कुंभ मेले के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से महाकुंभ मेले का आयोजन हर 144 साल में होता है, जबकि पूर्ण कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में होता है। महाकुंभ मेले को अन्य कुंभों से ज्यादा खास माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, 12 का गुणा 12 से करने पर 144 आता है। कुंभ भी बारह होते हैं, जिनमें से चार का आयोजन धरती पर होता है और बाकी आठ देवलोक में। इसलिए, हर 144 साल बाद प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होता है।
कुंभ मेले के कुछ और प्रकार ये हैं
1. पूर्ण कुंभ मेला
इसे कभी-कभी केवल कुंभ या 'पूर्ण कुंभ' भी कहा जाता है। यह हर 12 साल में एक निश्चित जगह पर आयोजित होता है। भारत में इसे चार कुंभ यानी प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
इसे भी पढ़ें: इस साल अर्ध कुंभ की विशेषताओं और शाही स्नान के महत्व के बारे में जानिए
2. अर्ध कुंभ मेला
इसे 'आधा कुंभ' भी कहा जाता है। यह दो पूर्ण कुंभ मेलों के बीच लगभग हर 6 साल में प्रयागराज और हरिद्वार में होता है।
3. माघ कुंभ मेला
यह हर साल माघ के महीने में प्रयागराज में आयोजित किया जाता है।
इसे भी पढ़ें: कुंभ मेला जाएं तो ये करना ना भूलें और इस App से लें सारी जानकारी
महाकुंभ कहां कहां लगता है?
भारत में चार जगहों पर महाकुंभ का मेला लगता है: हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज, नासिक। खास बात यह है कि हर जगह यह मेला किसी नदी के तट पर लगता है। हरिद्वार में गंगा के तट पर, प्रयागराज में संगम तट पर, उज्जैन में शिप्रा के तट पर, नासिक में गोदावरी के तट पर। महाकुंभ, हिंदू धर्म का एक खास पर्व है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु नदी में स्नान करने आते हैं।
महाकुंभ का आयोजन हर 144 साल में यानी 12 पूर्ण कुंभ मेलों के बाद होता है। पूर्ण कुंभ मेला हर 12 साल में आता है और इसे इन चारों जगहों पर बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। इसके अलावा, हर 6 साल में दो जगहों हरिद्वार और प्रयागराज में अर्ध कुंभ मेला भी लगता है। अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ के बीच में आता है।
संगम में हर बारह साल पर कुंभ का आयोजन क्यों होता है?
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब भगवान धन्वंतरि अमृत से भरा घड़ा लेकर जा रहे थे, तब असुरों से छीना-झपटी में अमृत की चार बूंदें गिर गई थीं। ये बूंदें इन चारों तीर्थ स्थानों में गिरी थीं। ऐसे में, जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरी, वहां तीन-तीन साल के अंतराल पर बारी-बारी से कुंभ मेले का आयोजन होता है। इन तीर्थों में संगम को तीर्थराज के नाम से जाना जाता है। संगम में हर बारह साल पर कुंभ का आयोजन होता है।
कुंभ मेले को जल में एक अनुष्ठान डुबकी द्वारा चिह्नित किया जाता है। साथ ही, इसमें कई मेले, शिक्षा, संतों द्वारा धार्मिक प्रवचन, भिक्षुओं या गरीबों के सामूहिक भोजन के साथ सामुदायिक वाणिज्य का उत्सव भी होता है। यह मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची द्वारा मान्यता प्राप्त है।
अगर आपको हमारी स्टोरी से जुड़े सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिये गए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना न भूलें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए हर जिंदगी से जुड़े रहें।
Image Credit- freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों