Ayodhya Ram Mandir: आखिर क्यों राम मंदिर में नहीं किया गया है लोहा धातु का इस्तेमाल, जानें इसकी वजह

राम मंदिर से जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं जो इसके निर्माण के समय से ही सामने आते जा रहे हैं। ऐसे ही यहां स्थापित की जाने वाली मूर्ति और मंदिर परिसर की भूमि में भी कई विशेषताएं हैं। 

facts of ram mandir ayodhya

रामलला की मूर्ति की स्थापना का समय जैसे-जैसे निकट आ रहा है भक्तों के मन में इस दिन को लेकर बहुत उत्साह है और सभी उस पल के इंतजार में हैं कि कब रामलला मंदिर के भीतर विराजमान होंगे और भक्तों पर अपनी कृपा दिखाएंगे।

ऐसे में मंदिर को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं। इनकी नींव की विशेषताओं से लेकर इसकी अद्भुत संरचना तक न जाने कितने बातें हैं जो भक्तों को आकर्षित करती हैं और ये सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर कैसे ये भव्य मंदिर कई विशेषताओं से मिलकर बन रहा है।

ऐसी ही एक विशेषता है कि इस मंदिर के भीतर या बाहर किसी भी रूप में लोहा धातु का इस्तेमाल नहीं किया गया है। दरअसल इसके कई ज्योतिष कारण तो हैं ही और वैज्ञानिक कारणों की वजह से भी यह उपयुक्त माना जा रहा है। आइए ज्योतिर्विद पंडित अरविन्द त्रिपाठी जी से जानें इसके पीछे के कारणों के बारे में।

आखिर क्यों अयोध्या के राम मंदिर में नहीं हुआ लोहा धातु का इस्तेमाल

why iron is not used in temple

अगर हम राम मंदिर के निर्माण की बात करें तो इसका निर्माण काफी आरसे से हो रहा है और इसके निर्माण में हर एक चीज का ध्यान दिया गया है। इस मंदिर में न तो लोहे का इस्तेमाल किया गया है और न ही सीमेंट और स्टील का। श्री राम का यह मंदिर पूरी तरह से पत्थरों से बनाया गया है।

यही नहीं सभी पत्थरों को जोड़ने के लिए इसमें तांबा धातु का इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर में जो भी पत्थर लगाए जा रहे हैं उन सभी पत्थरों की पहले टेस्टिंग की गई है जिससे मंदिर की संरचना में कोई खामी है आए और ये हर एक परिस्थिति में ऐसे ही खड़ा रहे।

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कैसे तैयार की गई है राम मंदिर की संरचना

इस मंदिर में लोहे का इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं किया गया है और इसके ऊपर कंक्रीट भी नहीं बिछाई गई है। मंदिर को पूरी तरह से नई तकनीकी से तैयार किया गौए है। मंदिर की डिज़ाइन पारम्परिक है और इसकी संरचना हर एक नई तकनीकी से की जा रही है।

भक्तों को इस मंदिर में कई अलग तरह की खूबियां भी नजर आएंगी। इस मंदिर में मीटर मोटी रोलर कंपैक्टेड कंक्रीट यानी आरसीसी बिछाई गई है और इसी से एक चट्टान तैयार की गई है।

चूंकि मंदिर का निर्माण आधुनिक तकनीकी का पालन करते हुए किया गया है इसलिए मंदिर की संरचना भूकंप, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का बखूबी सामना करने के लिए तैयार है।

ज्योतिष के अनुसार लोहा शनिदेव का कारक है

iron is the symbol of shani

लोहे को शनि का कारक माना जाता है और जिस स्थान पर शनि होते हैं उस स्थान पर समस्याएं आ सकती हैं। मान्यता है कि श्री राम को वनवास भी शनि के ही कारण हुआ था, इसलिए राम मंदिर में लोहा धातु का इस्तेमाल वर्जित है।

चूंकि ऐसा माना जाता है कि लोहा शनिदेव का कारक है और इसी वजह से मंदिर में लोहा धातु का इस्तेमाल नहीं किया गया है। पंडित अरविन्द त्रिपाठी जी बताते हैं कि जिस स्थान पर भी शालिग्राम मौजूद होते हैं वहां से शनि जी दूरी बना लेते हैं अतः उनकी धातु का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता है। राम मंदिर में रामलला की मूर्ति का निर्माण शालिग्राम से किया गया है, इसी वजह से इस स्थान पर लोहा धातु का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

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मंदिर में लोहे की जगह तांबे का किया गया है इस्तेमाल

राम मंदिर में लोहे की जगह तांबा धातु का इस्तेमाल किया गया है। तांबा को सूर्य की धातु माना जाता है और यदि इसका इस्तेमाल किसी भी स्थान पर किया जाता है तो वहां शुभता आकर्षित होती है और सदैव समृद्धि आती है।

राम मंदिर में लोहे का इस्तेमाल न करने का वैज्ञानिक कारण

अगर हम विज्ञान की मानें तो लोहा एक ऐसी धातु है जो 100 वर्षों में खराब हो जाती है और इसमें जंग लगने लगता है। जबकि राम मंदिर हजारों सालों के लिए बनाया जा रहा है और सदियों से चला आ रहा है।

इसी वजह से अगर इस मंदिर में लोहे का इस्तेमाल किया जाता तो इसके जल्द ही खराब होने का डर बढ़ जाता। इसी वजह से आपको राम मंदिर में कहीं पर भी लोहा धातु नहीं मिलती है और न ही इसका कहीं भी उपयोग किया गया है। इसके स्थान पर पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए तांबा धातु का इस्तेमाल किया गया है।

वास्तव में ज्योतिष और विज्ञान दोनों ही वजहों से राम मंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

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