Holi Festival 2025:आमतौर पर हिंदू पंचाग के हिसाब से होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। पूर्णिमा के दिन होलिका दहन और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। होली के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। इतना ही बल्कि कई शहरों में इस पर्व को महीनों पहले से खेलना शुरू कर दिया जाता है इसमें सबसे मशहूर ब्रज की होली है। ब्रज में बसंत पंचमी के साथ ही होली महोत्सव की धूम शुरू हो जाती है। बता दें कि बसंत पंचमी पर होली का डंडा गड़ने के बाद से उत्सव शुरू हो जाता है। इस लेख में पंडित आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि आखिर बसंत पंचमी से क्यों शुरू होता है फाग महोत्सव-
ब्रज की होली
ब्रज की होली भारत की सबसे प्रसिद्ध और रंगीन होली में से एक है, जो उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव जैसे स्थानों पर धूमधाम से मनाई जाती है। ब्रज की होली में लोग एक-दूसरे पर रंग और गुलाल फेंकते हैं, गाते-बजाते हैं और पारंपरिक गीतों के साथ कृष्ण की लीलाओं का आनंद लेते हैं। यह होली विशेष रूप से लठमार होली के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें महिलाएं पुरुषों को डंडी से मारती हैं। इस दौरान श्री कृष्ण और राधा की पूजा होती है। साथ ही नृत्य व संगीत के द्वारा आनंद मनाया जाता है।
ब्रज में बसंत पंचमी से क्यों मनाई जाती है होली?
ब्रज में होली की शुरुआत फागुन माह के शुक्ल पक्ष की प्रदोष तिथि से होती है, जो लगभग 40 दिन पहले से प्रारंभ होती है। बसंत पंचमी से भगवान कृष्ण की होली के खेल की शुरुआत मानी जाती है और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ रंग खेलते हुए प्रेम और उल्लास का संदेश दिया था। ऐसे में ब्रजवासियों के लिए,बसंत पंचमी से ही होली का पर्व शुरू हो जाता है। यह होली भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम, आनंद और रंगों के खेल का प्रतीक मानी जाती है।
इसके अलावा, बसंत ऋतु में वातावरण में खुशियां और सूखे पेड़-पौधे हरे-भरे होने लगते हैं, जो इस पर्व को प्राकृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी एक साथ जोड़ता है। इसलिए, ब्रज में होली का आरंभ बसंत पंचमी से होता है, जो एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक बनता है।
कैसे शुरू हुई लठ्ठमार होली?
मथुरा भगवान कृष्ण का जन्म स्थान है और वृंदावन वह स्थान है जहां वे बचपन में पले-बढ़े थे। जब भगवान कृष्ण छोटे थे, तो उन्होंने अपनी मां से शिकायत की कि राधा गोरी है जबकि कृष्ण स्वयं काले रंग के हैं। उस समय उनकी मां यशोदा ने उन्हें राधा को चंचल तरीके से रंगों से रंगने का सुझाव दिया।
बसंत पंचमी से ब्रज में होली की शुरुआत करने की परंपरा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। इसे लेकर कई धार्मिक और लोककथाएं भी प्रचलित हैं, जो इस खास दिन से होली के उत्सव की शुरुआत को जोड़ती हैं। ब्रज में होली की शुरुआत बसंत पंचमी से होती है। कृष्ण अपने गांव नंदगांव से राधा और अन्य गोपियों को रंग लगाने के लिए बरसाना जाते थे। वे खेल-खेल में उन्हें लाठियों से पीटती भी थीं और इस तरह यह परंपरा विकसित हुई।
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