मंदिर में प्रवेश के मुख्य नियमों में से एक है पैरों को धोने के बाद प्रवेश करना। ऐसा माना जाता है कि हम कितने ही साफ़ तन और मन के साथ मंदिर जाएं लेकिन यहां प्रवेश से पहले हाथों के साथ पैरों को धोना जरूरी होता है।
शास्त्रों में लिखी इस बात का हम सदियों से पालन करते चले आ रहे हैं और इसके कई अलग कारण भी हैं। घर पर स्नान करने के बाद भी, हम आम तौर पर मंदिर में प्रवेश करने से पहले एक बार फिर अपने पैर धोते हैं।
ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि घर से निकलते ही हम पैरों में चप्पल या जूते पहनते हैं और मंदिर में प्रवेश से पूर्व उन्हें उतारते हैं। ऐसे में पैरों में जूतों की गन्दगी रह जाती है जिससे मंदिर परिसर भी गन्दा हो सकता है, इसलिए हमेशा पैर धोकर ही मंदिर में प्रवेश करने की सलाह दी जाती है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से इसके कारणों के बारे में यहां विस्तार से जानें।
किसी भी मंदिर को पूजा के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है और इस स्थान पर लोग प्रार्थना करने और ईश्वर का आशीर्वाद मांगने आते हैं। मंदिर में प्रवेश करने से पहले पैर धोना शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है और दिव्य स्थान में प्रवेश करने से पहले खुद को अशुद्धियों से मुक्त करना ईश्वर से जुड़ने का माध्यम माना जाता है।
कई संस्कृतियों में, विशेष रूप से प्राचीन काल में जब लोग नंगे पैर चलते थे या खुले जूते पहनते थे तब मंदिर में प्रवेश करने से पहले पैर धोना स्वच्छता बनाए रखने और पवित्र परिसर के अंदर गंदगी, धूल और कीटाणुओं के प्रवेश को रोकने का एक तरीका माना जाता था और यह प्रथा आज भी चली आ रही है।
इसे जरूर पढ़ें: Astro Tips: महिलाओं को मंदिर के भीतर सिर ढककर प्रवेश क्यों करना चाहिए? जानें क्या कहता है शास्त्र
पैर धोना मंदिर में पूजे जाने वाले देवता या उच्च शक्ति के प्रति सम्मान और विनम्रता का संकेत देता है। यह भक्त की परमात्मा के समक्ष समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। अपने पैर धोकर, भक्त मानसिक रूप से खुद को एक पवित्र स्थान में प्रवेश करने और आध्यात्मिक प्रथाओं में संलग्न होने के लिए तैयार करते हैं।
यह बाहरी दुनिया से पूजा और भक्ति के आंतरिक क्षेत्र में संक्रमण को रोकने का एक तरीका है। कुछ भक्तों के लिए, मंदिर में प्रवेश करने से पहले पैर धोना आत्म-अनुशासन और तपस्या के रूप में देखा जाता है, जो आध्यात्मिक पथ के प्रति उनके समर्पण को दिखाता है।
मंदिर में प्रवेश (मंदिर के भीतर नंगे पैर प्रवेश क्यों किया जाता है) से पहले पानी से पैर धोना एक सुखदायक अनुभव हो सकता है, खासकर अगर भक्त लंबी दूरी तय करके या गर्म मौसम में आये हों तो पैर धोने से उनके पूरे शरीर को शीतलता मिलती है और शारीरिक शांति भी मिलती है।
यही नहीं प्राचीन काल से ही पैरों को छूने से सम्मान नजर आता है। किसी सम्मानित व्यक्ति, बुजुर्ग या देवता के पैरों को पवित्र माना जाता है और सम्मान के प्रतीक के रूप में उन्हें छुआ जाता है। अपने स्वयं के पैर धोकर, भक्त मंदिर की पवित्रता और उसमें देवता की उपस्थिति को स्वीकार करते हैं।
मंदिर में प्रवेश से पहले पैरों को धोने का एक बड़ा वैज्ञानिक कारण है। दरअसल पैर आमतौर पर कई अशुद्धियां अपने साथ लेकर आते हैं। इसलिए, जब कोई व्यक्ति पैर धोए बिना मंदिर में प्रवेश करता है, तो इससे पवित्र सत्व तरंगों को अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है।
इसके साथ ही, मंदिर अक्सर भीड़भाड़ वाले स्थान में होते हैं इससे कीटाणु और बैक्टीरिया फैल सकते हैं, इसलिए मंदिर में प्रवेश करने से पहले पैर धोने से किसी भी बीमारी को फैलने से रोकने में मदद मिल सकती है।
इसे जरूर पढ़ें: मंदिर में प्रवेश के समय सीढ़ियों को झुककर स्पर्श क्यों किया जाता है, जानें कारण
इन्हीं कारणों से हमेशा ये सलाह दी जाती है कि आप जब भी मंदिर में प्रवेश करें तब हाथों के साथ पैरों को भी अच्छी तरह से धो लें जिससे किसी भी तरह का मानसिक या शारीरिक नुकसान न हो।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Images: freepik.com
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।