हिंदू धर्म में पूजा पाठ का बहुत महत्व है, लोग सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर भगवान सूर्य देव, तुलसी और शिवलिंग पर जल अर्पित कर पूजा प्रारंभ करते हैं। पूजा-पाठ करने के दौरान बहुत से छोटे-बड़े नियम हैं। इन नियमों को पूरा करने के बाद ही पूजा संपन्न मानी जाती है। कई बार ऐसा होता है कि जाने अनजाने में लोग पूजा के दौरान कुछ ऐसी गलती कर बैठते हैं, जिससे उन्हें पूजा काफल नहीं मिल पाता है। कई बार लोग अनजाने में ऐसी गलती कर बैठते हैं, जिससे देवी-देवता नाराज भी हो सकते हैं।
पूजा पाठ तो हर कोई कर लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोग खड़े होकर ही देवी-देवताओं की स्तुति क्यों करते हैं? बहुत से लोग जो खड़े नहीं हो पाते हैं, वो बैठकर ही स्तुति करते हैं। ऐसे में आज के इस लेख में हम आप आपको बताएंगे कि खड़े होकर ही स्तुति आराधना क्यों की जाती है।
क्या है स्तुति?
स्तुति मंत्रों की एक श्रृंखला है, जिसमें लोग भगवान के सामने प्रार्थना करते हैं। बता दें कि यह प्रार्थना का दूसरा रूप है। प्रार्थना साधारण रूप और भाव में की जाती है, वहीं स्तुति करने के लिए भगवान की सभी तरह की पूजा अर्चना संपन्न की जाती है, फिर मंत्रों के साथ स्तुति की जाती है। स्तुति के मंत्रों के साथ भक्त देवी-देवताओं के महिमा और स्वरूप का गुणगान करते हैं।
भक्त स्तुति के माध्यम से आराध्य के स्वरूप, उनके द्वारा किए गए कार्य, उनकी स्थिति और शक्ति का बखान करते हैं। स्तुतियां असंख्य रूपों में रची गई आध्यात्मिक साहित्य की अमूल्य नीतियां हैं, जो भक्तों के द्वारा भाव-विभोर होकर रची गई हैं।
स्तुति का उदाहरण देते हुए बता दें कि तुलसीदास जी रामचरित मानस में नमामीशमीशान निर्वाणरूपं, की रचना की है। जिसे रुद्राष्ट के नाम से भी जाना जाता है। इस स्तुति को गाते हुए भक्त भगवान शिव से क्षमा माँगते हुए मंत्रों के माध्यम से उनकी महिमा का बखान करते हैं।
इसे भी पढ़ें : Ahoi Ashtami 2023: जानें अहोई अष्टमी पर कैलेंडर बनाने का महत्व
आखिर क्यों स्तुति खड़े हो की जाती है?
जैसा की हमने ऊपर स्पष्ट किया है कि स्तुति कोई भी भक्त भगवान के प्रेम और भक्ति में भाव विभोर होकर करता है। इसलिए यदि आप भगवान से अपने मन की बात कह रहे हैं, तो सच्चे मन से उनके सम्मान में खड़े होकर एवं हाथ जोड़कर स्तुति करते हैं। जब हम किसी भी बड़े, या सम्मानित व्यक्ति के सम्मान देते हैं, तो हम उनके सामने खड़े हो कर उनका सम्मान करते हैं, ऐसे ही स्तुति के वक्त भी खड़े होकर भगवान को सम्मान देते हैं।
इसे भी पढ़ें : Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा का भगवान कृष्ण से है गहरा संबंध, जानें महत्व
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit: Freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों