Temples Having Dome Reasons: मंदिरों में गुंबद होना एक आम बात है लेकिन इसके पीछे का कारण बहुत खास है। हिन्दू धर्म को दर्शाते मंदिरों में आपको गुंबद विशेष रूप से नजर आएगी। इस गुंबद को बनाने के पीछे जहां एक ओर वास्तु शास्त्र है तो वहीं दूसरी तरफ ध्वनि विज्ञान के सिद्धांत भी हैं। इसके अलावा, मंदिर का गुंबद कुछ धार्मिक रहस्यों को भी समेटे हुए है।
हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स ने हमें इस विषय पर कई रोचक जानकारियां दीं जो हम आपके साथ साझा न करें ऐसा तो हो ही नहीं सकता। तो चलिए बिना देरी किए जानते हैं कि मंदिरों में आखिर क्यों होता है गुंबद।
क्या केहरी है धार्मिक दृष्टि
- जब कोई व्यक्ति भगवान की प्रतिमा के सामने बैठकर पूजा करता है तो उसके मुख से निकलने वाली ध्वनि गुंबद से टकराती है। गुंबद से टकराने के कारण मंत्र में मौजूद शक्ति एक स्थान पर केन्द्रित होती है और फिर उस स्थान से उसकी ध्वनि सीधे देव प्रतिमाओं को स्पर्श करती हैं जिससे देव प्रतिमाएं सिद्ध हो जाती हैं और वह साधक की सभी बातें साक्षात सुनती हैं।
- दूसरा कारण एक ये भी है कि खुले आसमान के नीचे भगवान की पूजा या प्रार्थना करने से हमारी मांगी हुई प्रार्थना वायुमंडल में लुप्त हो जाती है और हमारे पास वापिस लौटकर नहीं आती। लेकिन जब प्रार्थना मंदिर (मंदिर के वास्तु नियम) में बैठकर की जाती है तो गुंबद से टकराकर वह पुनः हम तक लौट आती है। असल में, प्रार्थना का लौटना इसलिए आवश्यक होता है ताकि व्यक्ति उस बात को स्मरण कर प्रार्थना पूर्ण हो जाने के बाद भगवान का आभार मान सके।
क्या कहता है विज्ञान
मंदिरों में गुंबद होने का वैज्ञानिक कारण ये माना जाता है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा जैसे कि आंधी, तूफान, बिजली और वर्षा आदि का प्रभाव गुंबद पर बहुत कम पड़ता है जिससे पूजा स्थान (पूजा स्थान पर न रखें ये वस्तुएं) के लंबे समय तक सुरक्षित बने रहने की अवधि और भी बढ़ जाती है।
तो ये थे मंदिरों में गुंबद होने के कुछ अलग हटकर रोचक तथ्य। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Freepik
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