Ganga Mein Asthiya Bahane Ka Karan: हिन्दू धर्म में कई नदियों का वर्णन मिलता है। जिनमें से आज कुछ का अस्तित्व है तो कुछ विलुप्त हो गई हैं। जो आज भी धरा पर अविरल बह रही हैं उन नदियों में गंगा, यमुना, गोदावरी आदि शामिल हैं।
यूं तो धर्म ग्रंथों में सभी नदियों को पवित्र माना गया है लेकिन अस्थि विसर्जन का विधान मात्र गंगा नदी में ही किये जाने का उल्लेख मिलता है। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से जब हमने इस बारे में पूछा तो उन्होंने हमें कई रोचक फैक्ट्स बताए।
हमारे एक्सपर्ट ने हमें गंगा में ही अस्थियां प्रवाहित करने के पीछे का न सिर्फ धार्मिक महत्व समझाया बल्कि वैज्ञानिक आधार से भी रूबरू करवाया। तो चलिए जानते हैं कैसे और क्यों गंगा नदी बनी अस्थि विसर्जन का मुख्य केंद्र।
श्री कृष्ण का मिलता है साथ
हिन्दू धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में वर्णित कथाओं ने न सिर्फ गंगा का महत्व बताया है बल्कि गंगा में अस्थियां बहाने के पीछे का भी कारण समझाया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी को श्री कृष्ण (नहीं हुए थे श्री कृष्ण के 16 हजार विवाह) का आशीर्वाद प्राप्त है।
जिसके तहत मरने वाले की अस्थियां गंगा में बहाने से उस मृत आत्मा को भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जितने दिन तक अस्थियाओं में बची हड्डियां गंगा में तैरती या बसी रहती हैं उतने दिन उस मृत आत्मा को श्री कृष्ण के गोलोक धाम में रहने का अवसर मिलता है।
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स्वर्ग का खुलता है द्वार
गंगा नदी में अस्थियां प्रवाहित करने से मृत व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भागीरथ माता गंगा को स्वर्ग से ही पृथ्वी पर लाये थे। ऐसे में जिस भी व्यक्ति की अस्थियां गंगा में बहाई जाती हैं उसकी आत्मा को स्वर्ग लोग में रहने और वहां के आनंद उठाने का मौका मिलता है।
हालांकि यह व्यक्ति के कर्मों के अनुसार भी है। यानी कि अगर किसी ने बुरे कर्म किये हैं और उसकी अस्थियां गनग में बहाई गई हैं तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी लेकिन वहां रहने का समय उसके कर्मों के आधार पर निर्धारित होगा। माना जाता है कि गंगा में अस्थियां बहाने पर मृत व्यक्ति को ब्रह्मलोक भी मिलता है।
60 हजार बेटों का हुआ था उद्धार
धर्म शास्त्रों में राजा सगर की कथा भी प्रचलित है। जिसके अनुसार, राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की कपिल मुनि के श्राप से मृत्यु हो गई थी। इन्हीं की मुक्ति के लिए राजा सगर के वंशज भागीरथ ने तपस्या कर मां गंगा (आखिर गंगा मां ने क्यों मार दिए थे अपने 7 बेटे) को पृथ्वी पर बुलाया था। जिसके बाद सगर के सभी पुत्रों को मुक्ति मिल गई थी।
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वैज्ञानिक कारण भी जानें
गंगा नदी भारत की सबसे बड़ी नदी और पृथ्वी का ज्यादातर भाग अपने भीतर समेटे हुए है। वहीं, अस्थियों में हड्डियां मौजूद होती हैं जिनमें कैल्शियम और फास्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक, अस्थियां न सिर्फ मिट्टी में मिलकर भूमि को उपजाऊ बनाती हैं बल्कि पानी में रहने वाले जीवों का पौष्टिक आहार भी बनती हैं। साथ ही, पानी की फर्टिलिटी पॉवर को भी बढ़ावा देती है।
ऐसे में भारत की सबसे बड़ी नदी यानी कि गंगा के जल में फर्टिलिटी पॉवर बरकरार बनाए रखने के लिए और गंगा में मौजूद जीवों तक खाना पहुंचाने के लिए और तो और गंगा के आस-पास की भूमि को उपजाऊ बनाये रखने के लिए ही गंगा में अस्थियां विसर्जित करना जरूरी है।
तो ये था गंगा में ही अस्थियां बहाने के पीछे का मुख्य कारण। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Wikipedia
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