आखिर क्यों ब्लाइंड लोग हमेशा पहनते हैं काला चश्मा?

आखिर क्यों हमेशा ब्लाइंड लोगों को काला चश्मा पहनने की सलाह दी जाती है? इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण है। 

Why blind people wear black glasses

बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जिन्हें आंखों में सेंसिटिविटी के कारण या फिर फैशन के कारण सनग्लासेस लगाना अच्छा लगता है। यकीनन काला चश्मा बहुत ही स्टाइलिश लगता है और बॉलीवुड में तो इसे लेकर कई सारे गाने भी बन चुके हैं। काले चश्मे को हमेशा ही स्टाइल से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन काले चश्मे को हमेशा ब्लाइंड लोगों से जोड़कर भी देखा जाता है। बड़े फ्रेम वाले काले चश्मे ब्लाइंड लोगों की पहचान बन चुके हैं। पर आखिर ऐसा क्यों?

आखिर काला रंग ही क्यों चुना गया है ब्लाइंड लोगों के चश्मों के लिए? इसके पीछे कोई और कारण नहीं बल्कि साइंस है। आखिर क्यों इस रंग को ही उनके लिए बेहतर माना गया है ये भी एक बड़ा सवाल है और इसे लेकर आज हम आपको कुछ रोचक बातें बताते हैं और ये भी समझाते हैं कि साइंस आखिर क्यों इसे ही सही मानती है।

क्या ब्लाइंड लोग हमेशा ही काला चश्मा पहनते हैं?

सबसे पहले बात करते हैं इससे जुड़े मिथक की। ये सच है कि ब्लाइंड लोग अधिकतर काला चश्मा पहनते हैं, लेकिन फिल्मों और टीवी सीरियल में ये दिखाया जाता है कि वो हमेशा ही काला चश्मा पहने रहते हैं। क्या आपको लगता है कि ये सही है? जी नहीं, ये बिल्कुल भी सही नहीं है और ये सबसे बड़ा स्टीरियोटाइप है। ब्लाइंड लोगों के लिए ये चश्मा अच्छा होता है, लेकिन फिर भी वो घर के अंदर भी इसे पहने रहते हैं और सिर्फ सोते समय इसे उतारते हैं ये सही नहीं है।

आखिर क्यों ब्लाइंड लोग पहनते हैं काला चश्मा?

अब हम आपको इसके बारे में बताते हैं कि आखिर क्यों ब्लाइंड लोगों को हमेशा ही काला चश्मा पहनना पड़ता है।

आंखों की सेंसिटिविटी के कारण:

सबसे पहला कारण ही यही है कि ब्लाइंड लोगों की आंखें काफी सेंसिटिव होती हैं और काला रंग उनकी सेंसिटिव आंखों को बचाने का काम करता है। अगर उनकी आंखों पर बहुत ज्यादा ब्राइट लाइट पड़ेगी तो उनकी आंखों में दर्द हो सकता है और इसके कारण उन्हें जलन भी महसूस हो सकती है।

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दोनों आंखें होती है अलग डायरेक्शन में:

कई बार कुछ लोगों की आंखें बहुत ज्यादा खराब होती हैं और वो अलग-अलग डायरेक्शन में प्वाइंट करती हैं। कुछ लोगों की आंखों के लिड्स ही बंद होते हैं और कुछ मामलों में आईबॉल डैमेज होती है। ऐसे में ग्लासेस की मदद से उनकी आंखों को छुपाया जा सकता है। ऐसा इसलिए ताकि अन्य लोगों को उनकी आंखें देखकर खराब ना लगे।

यूवी रेडिएशन से बचाव:

जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि ब्लाइंड लोगों की आंखों की नसें काफी कमजोर होती हैं और ऐसे में उन्हें यूवी रेडिएशन से बचाना काफी जरूरी होता है। ये काम काला चश्मा काफी अच्छी तरह से कर पाता है।

ग्लेयर से से बचाव:

अधिकतर ब्लाइंड लोगों की आंखों में किसी न किसी तरह का विजन जरूर होता है या फिर उनकी आंखें किसी एक चीज़ को लेकर ज्यादा सेंसिटिव होती हैं। अगर डार्क ग्लासेस नहीं होंगे तो उनकी आंखों पर सीधी रौशनी पड़ेगी जो उन्हें ज्यादा परेशान कर सकती है।

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मिट्टी से बचाव:

ब्लाइंड लोगों को इरिटेशन बहुत ज्यादा हो सकती है और ऐसे में उनकी आंखों को फिजिकल डेंजर से भी बचाव की जरूरत होती है। ऐसे में मिट्टी और छोटी-छोटी चीज़ें चश्मे की वजह से आंखों में नहीं जाएंगी और ऐसे में आंखों का प्रोटेक्शन होगा।

ताकि लोगों को उनकी कंडीशन के बारे में पता चले:

जैसा कि हमने पहली बार में ही बताया था। ब्लाइंड लोगों की आंखों में परेशानी होती है और कई लोग उस परेशानी को समझ नहीं पाते हैं। ऐसे में ब्लाइंड लोगों के बारे में आसानी से पता चल जाए इसलिए उन्हें ये पहनाया जाता है।

अब आप समझ गए होंगे कि इस चश्मे की क्या वैल्यू है। किसी ब्लाइंड व्यक्ति को देखकर किसी भी तरह का कमेंट करने से पहले आप ये जरूर सोचें कि उस व्यक्ति की भावनाएं कितनी आहत हो सकती हैं। उन्हें लेकर सेंसिटिव होना हमारा अधिकार है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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