Mata Sita Brothers: कौन थे सीता माता के दो भाई जिनका रामायण में नहीं मिलता जिक्र

हम सभी ने पढ़ा, सुना और देखा है कि माता सीता की तीन बहनें थीं लेकिन आज हम आपको माता सीता के उन भाइयों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका जिक्र रामयण में नहीं मिलता है।  

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Mata Sita Ke Bhaiyon Ke Naam: रामायण में राजा जनक की चार पुत्रियों का वर्णन मिलता है जो कुछ इस प्रकार है- माता सीता, उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति। इस तथ्य से यह पता चलता है कि माता सीता की मात्र तीन बहनें ही थीं लेकिन कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि माता सीता के दो भाई भी थे। हालांकि माता सीता के इन भाइयों के बार में रामयण में कोई भी बात वर्णित नहीं है। ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि रामायण में भले ही माता सीता के भाइयों का उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन अन्य ग्रंथों में माता सीता के भाइयों के नाम और उनके बारे में जानकारी दी गई हैं। तो चलिए जानते हैं कौन थे माता सीता के भाई।

पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता सीता और श्री राम का विवाह तय हुआ था तब विवाह के समय ब्रह्महर्षि वशिष्ठ एवं राजर्षि विश्वामित्र उपस्थित थे। यहां तक कि श्री राम (कौन थी श्री राम की बहन) और मात सीता का विवाह देखने स्वयं ब्रह्मा, विष्णु एवं रूद्र ब्राह्मणों के वेश में आए थे। दूसरी ओर सभी देवी और देवता भी विभिन्न वेश में विवाह के दौरान उपस्थित थे।

mata sita ke bhai

विवाह का मंत्रोच्चार चल रहा था और उसी बीच कन्या के भाई द्वारा की जाने वाली रस्म की बारी आई। इस रस्म में कन्या का भाई कन्या के आगे-आगे चलते हुए लावे का छिड़काव करता है। विवाह करवाने वाले पुरोहित ने जब इस प्रथा के लिए कन्या के भाई को बुलाने के लिए कहा तो वहां समस्या खड़ी हो गई, क्योंकि उस समय तक जनक का कोई पुत्र नहीं था।

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ऐसे में सभी एक दूसरे से विचार करने लगे। इसके चलते विवाह में विलंब होने लगा। अपनी पुत्री के विवाह में इस प्रकार विलम्ब होता देखकर पृथ्वी माता भी दुखी हो गयी। तभी विवाह के समारोह के बीच एक रक्तवर्ण का युवक उठा और इस रस्म को पूरा करने के लिए आकर खड़ा हो गया। उस युवक ने राजा जनक से माता सीता के भाई द्वारा की जाने वाली रस्म निभाने का आग्रह किया।

mata sita ke bhaiyon ka naam

असल में वह और कोई नहीं बल्कि स्वयं मंगलदेव थे जो वेश बदलकर नवग्रहों सहित श्रीरामचन्द्र और सीता का विवाह देखने हेतु वहां उपस्थित हुए थे। चूंकि माता सीता का जन्म पृथ्वी से हुआ और मंगल (मंगल ग्रह को मजबूत करने के मंत्र) भी पृथ्वी के पुत्र थे। इसी सम्बन्ध से मंगलदेव माता सीता के भाई भी लगते थे। इसी कारण पृथ्वी माता के संकेत से वे इस विधि को पूर्ण करने के लिए आगे आए।

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वहीं, अन्य पौराणिक कथा के अनुसार राजा जनक के छोटे भाई के पुत्र थे लक्ष्मीनिधि जो रिश्ते में मात सीता के भाई लगते थे। तो इस प्रकार माता सीता के दो भाई थे एक मंगल और दूसरे लक्ष्मी निधि। हालांकि मंगल ग्रह के माता सीता के भाई होने पर सनातनियों द्वारा पुष्टि की गई है लेकिन लक्ष्मीनिधि नामक भाई के बारे में कोई खास प्रमाण नहीं मिलता है।

तो ये थे माता सीता के वो दो भाई जिनका जिक्र रामायण में साक्षात रूप से नहीं मिलता है। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image credit: pinterest, herzindagi

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