यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि होती है और विमान में किसी की तबीयत बिगड़ने पर स्थिति को संभालने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया होती है। ऐसे में, लोगों के मन में ये सवाल रहता है कि अगर हवाई जहाज पर किसी की तबियत खराब हो गई, तो उसे ठीक कौन करेगा? क्या एयरप्लेन पर कोई डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट मौजूद होता है? अगर आपके मन में भी इसी तरह के कुछ सवाल आ रहे हैं, तो चलिए हम आपको इस लेख में बताते हैं कि हवाई जहाज पर इस तरह की इमरजेंसी स्थिति में विमानन कंपनियां क्या प्रोटोकॉल फॉलो करती हैं और ऐसे वक्त में मदद कौन करता है। यदिडॉक्टर नहीं होता है, तो पैसेंजर्स की हालत खराब होने पर उन्हें कौन देखता है।
क्या हवाई जहाज में डॉक्टर होते हैं?
इस सवाल का जवाब है- नहीं। हर फ्लाइट में अनिवार्य रूप से डॉक्टर मौजूद नहीं होते, लेकिन कुछ इंटरनेशनल एयरलाइंस और लंबी दूरी की फ्लाइट्स में मेडिकल स्टाफ की उपलब्धता हो सकती है। हालांकि अधिकतर मामलों में क्रू मेंबर्स को मेडिकल इमरजेंसी हैंडल करने की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है।
मेडिकल इमरजेंसी में क्या होता है?
केबिन क्रू की ट्रेनिंग-एयर होस्टेस और फ्लाइट अटेंडेंट्स को फर्स्ट एड, सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) और ऑक्सीजन सपोर्ट जैसी बेसिक मेडिकल ट्रेनिंग दी जाती है।
फ्लाइट मेडिकल किट- हर विमान में एक इमरजेंसी मेडिकल किटहोती है जिसमें दवाइयां, ऑक्सीजन सिलेंडर, ब्लड प्रेशर मॉनिटर, स्टेथोस्कोप आदि उपलब्ध होते हैं।
घोषणा की जाती है-अगर किसी यात्री की हालत गंभीर हो, तो पायलट या क्रू की ओर से अनाउंसमेंट की जाती है कि क्या फ्लाइट में कोई डॉक्टर, नर्स या मेडिकल प्रोफेशनल मौजूद है। ऐसे यात्री अक्सर मदद के लिए आगे आते हैं।
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मेडिकल सपोर्ट सिस्टम-कई एयरलाइंस के पास ग्राउंड बेस्ड मेडिकल कंसल्टेंसी सिस्टम होता है जैसे MedAire या Stat-MD, जो पायलट और क्रू को रियल टाइम गाइड करते हैं।
इमरजेंसी लैंडिंग की सुविधा-अगर मरीज की हालत बहुत ज्यादा गंभीर हो, तो फ्लाइट को नजदीकी एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ सकती है ताकि यात्री को अस्पताल पहुंचाया जा सके।
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फ्लाइट में मेडिकल इमरजेंसी के कुछ सामान्य कारण
- लो ब्लड प्रेशर या हाई ब्लड प्रेशर
- हार्ट अटैक या चेस्ट पेन
- सांस लेने में तकलीफ
- मितली, उल्टी या चक्कर
- एलर्जी रिएक्शन
- बेहोशी
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