जानिए कौन थे भगवान शिवजी के माता-पिता

देवों के देव भगवान शिव का जन्म और पिता-माता के संबंध में बहुत कम लोगों को ही पता है। अगर आप शिव जी के जन्म से जुड़ी जानकारी चाहती हैं तो इस लेख को पूरा पढ़ें। 

 
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भगवान शिव की पूजा करने से उपासक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति साधक भक्ति भाव से महादेव की पूजा करते हैं उन्हें सुख-समृद्धि मिलती है लेकिन क्या आप यह जानती हैं कि देवों के देव भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ था और उनके माता-पिता कौन हैं। चलिए जानते हैं कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई थी।

भगवान शिव के माता- पिता

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अलग-अलग पुराणों में भगवान शिव के जन्म और उनके माता-पिता के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान शिव के माता-पिता के बारे में जानकारी दी गई है। महापुराण के अनुसार, एक बार जब नारद जी ने अपने पिता ब्रह्मा जी से पूछा किस सृष्टि का निर्माण किसने किया है? साथ ही भगवान विष्णु, भगवान शिव और आपके पिता कौन हैं? तब ब्रह्मा जी ने नारद जी से त्रिदेवों के जन्म के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि देवी दुर्गा और शिव स्वरूप ब्रह्मा के योग से ब्रह्मा विष्णु और महेश की उत्पत्ति हुई है। यानी प्रकृति स्वरूप दुर्गा ही हम तीनों की माता है और ब्रह्मा यानी काल सदाशिव हमारे पिता हैं। शिव जी की माता श्री अष्टंगी देवी हैं जो देवी दुर्गा का रूप हैं और पिता सदाशिव अर्थात् काल ब्रह्म हैं।

विष्णु जी ने किया था यह सवाल

लोक कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु इस बात को लेकर झगड़ा करने लगे थे कि वे एक-दूसरे के पिता हैं। तभी ब्रह्मा जी कहते कि सृष्टि की रचना उन्होंने की है लेकिन विष्णु जी कहते कि तुम मेरी नाभि से निकले हो। तभी परम ब्रह्म सदाशिव उन दोनों के मध्य प्रकट होते हैं और उन्होंने कहा कि तुम मेरे पुत्र हो। एक को जगत की उत्पत्ति तथा दूसरे को पालन का कार्य सौंपा है। शंकर और रुद्र संहारक हैं। ओम मेरा मूल मंत्र है। इसके बाद विष्णु जी और ब्रह्मा जी का गुस्सा शांत हुआ और वह यह समझ गए कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई है।इसे जरूर पढ़ें:क्यों हिन्दू धर्म के वेदों को रचा गया था दो बार, जानें ये दिलचस्प कथा

शिव जी का जन्म

विष्णु पुराण में शिव जी के जन्म से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। इसके अनुसार जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था। तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे और उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। तब ब्रह्मा जी ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया। तब शिव के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने ब्रह्मा को शिव की याद दिलाई। ब्रह्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिव से क्षमा मांगते हुए उन्होंने उनसे अपने पुत्र रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा। इस प्रकार शिव ने ब्रह्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया।

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