(Ayodhya Ram Mandir) साल 2024 ऐतिहासिक पन्नों में दर्ज होने जा रहा है। क्योंकि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का भव्य उद्घाटन दिनांक 22 जनवरी को होने जा रहा है। इस दिन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम किया जाएगा। सनातन धर्म में भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा का विशेष महत्व है। भगवान की प्राण प्रतिष्ठा किए बिना उनका पूजन अधूरा होता है। इस दिन को पर्व की तरह मनाने के लिए पुख्ता इंतजाम भी किए गए हैं। साथ ही दिनांक 15 जनवरी से धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाछ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। सभी श्रद्धालुओं को राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर उत्सुकता बढ़ती जा रही है।
ऐसे में राम लला की प्रतिमा निर्माण के लिए किस खास जगह से पत्थर मंगाए जा रहे हैं। इसकी खासियत क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
राम लला यानी कि बाल स्वरूप भगवान राम और माता सीता की मूर्तियों के लिए विशेष शालिग्राम पत्थर नेपाल से अयोध्या लाए गए हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नेपाल भगवान श्रीहरि की निवास स्थान है और ग्रंथों में मां तुलसी और भगवान शालिग्राम का उल्लेख है। कई लोग शिवलिंग की तरह उनकी विधिवत पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में शालिग्राम को स्थापित करने और इसके जरिए भगवान की आराधना करने के भी विशेष नियम है। इसी कारण शालिग्राम पत्थर से राम लला और माता सीता की प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएगी। बता दें, अयोध्या से लाई गई शालिग्राम शिलाएं लगभग छह करोड़ साल पुरानी है।
शालिग्राम (शालिग्राम पूजा) पत्थर बेहद दुर्लभ होते हैं। यह हर जगह नहीं मिलते हैं। यह खासकर नेपाल की काली गंडकी नदी में पाए जाते हैं। शालिग्राम पत्थर इसलिए भी खास है, क्योंकि इन्हें माता सीता के ननिहाल यानी कि जनकपुर से लाया गया है।
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शालिग्राम कुल 33 प्रकार के होते हैं, जिनमें से 24 शालिग्राम को भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) के 24 अवतारों में से जोड़ा जाता है। इसी कारण शालिग्राम की पूजा करने का विशेष महत्व है।
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भारत में 4 ऐसे बड़े मंदिर हैं। जहाँ की मूर्तियां भी शालिग्राम शिला से बनाई गई है। जिसमें एक वृंदावन में विराजित राधारमण मंदिर है, उडुपी का कृष्ण मठ है, तिरुवनंतपुरम का पद्मनाभस्वामी मंदिर और बद्रीनाथ भी शामिल है। बता दें, अब अयोध्या में भी जल्द शालिग्राम शिला से राम लला की प्रतिमा का प्राण-प्रतिष्ठा किया जाएगा।
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