भारत में सोना केवल एक आभूषण नहीं, बल्कि परंपरा, विश्वास और समृद्धि का प्रतीक है। चाहे दीवाली हो या अक्षय तृतीया, कोई शुभ अवसर हो या घर में शादी हो, सोने की खरीदारी भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा रही है। यही कारण है कि भारत लंबे समय से दुनिया के सबसे बड़े सोने के उपभोक्ताओं की लिस्ट में शामिल रहा है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि देशभर मे सोने की कीमतें एक जैसी नहीं होती हैं? हर शहर में सोने की दर अलग-अलग होती है और इसके पीछे की कई दिलचस्प वजहें हैं। दरअसल सोने की कीमतों में फर्क केवल बाजार की चाल या इंटरनेशनल रेट्स की वजह से नहीं होता, बल्कि इसमें स्थानीय टैक्स, ट्रांसपोर्टेशन लागत, डिमांड-सप्लाई गैप और स्थानीय जौहरियों की रणनीति जैसी चीजों की भी बड़ी भूमिका होती है। यही कारण है कि एक ही कैरेट और डिजायन का सोना दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई या मुंबई में अलग-अलग दामों पर मिलता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहै हैं कि भारत में कहां सबसे सस्ता सोना मिलता है और इसके पीछे की वजह क्या है?
भारतीय शहरों में सोने की कीमतें अलग-अलग क्यों होती हैं?(Why Gold Prices Differ In Indian Cities)
क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि एक ही दिन, एक ही कैरेट का सोना दिल्ली में महंगा और केरल में सस्ता नजर आता है। दरअसल, भारत में सोने की कीमतें किसी एक ऑर्गनाइजेशन द्वारा तय नहीं की जाती हैं, बल्कि कई कारकों से प्रभावित होती हैं।
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आयात शुल्क और जीएसटी (Goods & Services Tax)
भारत में इस्तेमाल होने वाला लगभग पूरा सोना विदेशों से आयात किया जाता है। सरकार इस पर करीब 15 फीसदी का इम्पोर्ट ड्यूटी और 3 फीसदी जीएसटी लगाती है। हालांकि ये दरें पूरे देश में समान होती हैं, लेकिन कई राज्यों में स्थानीय शुल्क या अन्य सरचार्ज अलग-अलग होते हैं, जो सोने की अंतिम कीमत को प्रभावित करते हैं।
ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स खर्च(Transport and Logistics Costs)
सोना देश में बंदरगाहों (जैसे मुंबई, चेन्नई, कोलकाता) के जरिए आता है। अगर आप मुंबई में हैं, तो आपके शहर में सोना सीधे पोर्ट से ही आ जाएगा, जिससे ट्रांसपोर्ट कॉस्ट कम होगी। लेकिन, अगर वही सोना दिल्ली, राजस्थान जैसे शहरों तक पहुंचाना हो, तो ट्रांसपोर्ट और बीमा का खर्च बढ़ जाएगा। इसका असर सोने की कीमत पर भी पड़ेगा।
लोकल डिमांड और सप्लाई(Local Demand And Supply)
सोने की कीमत उस जगह की डिमांड और सप्लाई से प्रभावित होती है। उदाहरण के तौर पर साउथ इंडिया में पारंपरिक रूप से सोने के गहनों की ज़्यादा मांग रहती है। ऐसे शहरों में अक्सर ज्वैलर्स के बीच काफी कॉम्पटीशन होता है, जिससे कस्टमर को डिस्काउंट, कम मेकिंग चार्ज और बेहतर डील मिल सकती हैं।
हॉलमार्किंग और क्वालिटी कंट्रोल(Hallmarking and Quality Control)
कुछ शहरों में हॉलमार्किंग (Hallmarking) यानी सोने की शुद्धता की जांच और प्रमाणन की व्यवस्था बहुत सख्त होती है। वहां, Purity Assurance और लेबोरेटरी जांच का खर्च सोने की कीमत में जोड़ दिया जाता है। वहीं, छोटे शहरों या कस्बों में कभी-कभी ऐसी व्यवस्था उतनी सख्त नहीं होती, जिससे कीमत में अंतर आ सकता है।
भारत के कौन-से शहरों में सोना सबसे सस्ता मिलता है?(Cities With Cheapest Gold In India)
केरल (कोच्चि और त्रिशूर)
त्रिशूर को भारत का Gold Capital कहा जाता है। दरअसल, यहां केरल का समुद्र से कनेक्शन मजबूत है, जिससे इम्पोर्ट सीधा और सस्ता होता है। त्रिशूर में हजारों ज्वैलर्स और थोक व्यापारी हैं, जिनके बीच कॉम्पटीशन चलता रहता है। यहां के लोग पारंपरिक रूप से ज्यादा सोना खरीदते हैं, जिससे मांग स्थिर रहती है।
मुंबई, महाराष्ट्र
मुंबई का जावेरी बाजार देश के सबसे बड़े गोल्ड मार्केट्स में से एक है। यह एक पोर्ट सिटी है इसलिए लॉजिस्टिक लागत कम होती है। यहां पर बुलियन ट्रेडर्स और रिफाइनरियों का बड़ा नेटवर्क है। यहां भारी खरीदारी और ट्रेडिंग चलते कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है।
अहमदाबाद और सूरत, गुजरात
गुजरात सोने और डायमंड के बिजनेस के लिए मशहूर है। यहां सोना सस्ता मिलना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है। दरअसल, यहां मजबूत थोक ज्वैलरी नेटवर्क मौजूद है। गुजरात सरकार की व्यापारिक नीतियों और टैक्स स्ट्रैक्चर की वजह से सोने की कीमतों में राहत मिल जाती है। इन्वेस्टमेंट के तौर पर सोने की डिमांड स्टेबल बनी रहती है।
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चेन्नई, तमिलनाडु
चेन्नई, खासकर इसका T. Nagar इलाका, गहनों की दुकानों से भरा हुआ है। यहाँ सोने की सप्लाई लाइन भी बहुत तेज और व्यवस्थित है। यह बंदरगाह के करीब होने की वजह से सोने की कीमत सस्ती बनी रहती है। ज्वैलरी रिटेलर्स की बड़ी संख्या सोने की कीमतों को किफायती बनाए रखती है। इसके अलावा, कस्टमर्स को लुभाने के लिए अक्सर ऑफर्स और डिस्काउंट चलते रहते हैं।
कोलकाता, पश्चिम बंगाल
कोलकाता का गोल्ड मार्केट बहुत बड़ा और पुराना है। हॉलमार्क गहनों के लिए ये शहर एक भरोसेमंद नाम है। यहां सोना सस्ता होने का कारण मजबूत रिटेल नेटवर्क और पुराने जौहरी घरानों का होना है। ईस्ट इंडिया की गोल्ड डिमांड यहीं से पूरी होती है।
आपको बता दें कि सोने की कीमतों में फर्क बहुत बड़ा नहीं होता है, बल्कि 50 से 300 रुपये प्रति ग्राम के बीच होता है। लेकिन जब बड़ी मात्रा में सोने की खरीदारी की जाती है, तो ये फर्क भी मायने रखने लगता है।
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