Sawan 2022: सावन से शुरू करें 16 सोमवार का व्रत, जानें पूजा की सही विधि

अगर आप भी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सावन के महीने से सोलह सोमवार व्रत करना चाहती हैं तो यहां इसके नियम जान सकती हैं। 

 

solah somvar vrat niyam

Solah Somvar Vrat: इस साल सावन महीने की शुरुआत 14 जुलाई से होने वाली है और इस पूरे ही महीने को शिव को समर्पित माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन में श्रद्धा पूर्वक शिव पूजन करता है और सोमवार व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। सोमवार व्रत को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के कृपा दिलाने वाले व्रत को कम से कम 16 सोमवार तक जरूर करना चाहिए। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सोमवार व्रत को सावन के पहले सोमवार से भी शुरू किया जा सकता है।

16 सोमवार का व्रत विशेष कामना पूर्ति के लिए किया जाता है जो कि कठिन व्रतों में से एक व्रत माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा एवं विधि विधान से करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 16 सोमवार व्रत की शुरुआत स्वयं माता पार्वती ने की थी इस व्रत को कुंवारी कन्याएं, बालक, महिलाएं एवं पुरुष सभी कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि 16 सोमवार व्रत सावन के सोमवार से कठिन होता है। इसलिए इस व्रत को आप तभी करें जब आपकी शक्ति एवं सामर्थ्य हो। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें सोलह सोमवार व्रत के नियम और पूजा की सही विधि के बारे में।

16 सोमवार शुरू करने का सबसे अच्छा समय

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आरती दहिया जी बताती हैं कि यदि स्वास्थ्य आपका साथ दे तभी आप सावन के महीने से 16 सोमवार व्रत करने का संकल्प लें। चूंकि इस व्रत को करने के नियम थोड़े से अलग होते हैं और थोड़े कठिन भी इसलिए इस व्रत को शुरू करने का सबसे उत्तम महीना सावन का ही माना जाता है | सावन का महीना पूर्ण रूप से शिव जी की भक्ति अर्चना आराधना और अभिषेक के लिए समर्पित होता है तो आप सावन के पहले सोमवार से इस व्रत को शुरू करे। जिससे आपके जीवन के लिए ये अति उत्तम होगा। पुराणों में बताया गया है कि अन्य दिनों की अपेक्षा सावन में शिव जी की सच्चे मन से पूजा करने पर कई गुना लाभ मिलता है।

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सावन सोमवार व्रत विधि

sawan somvar vrat vidhi

  • पहले सोमवार के दिन आप स्नान आदि करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • यदि संभव हो तो हल्के रंगों के वस्त्र पहनें। सफ़ेद रंग भोलेनाथ को अति प्रिय है इसलिए सफ़ेद रंग के वस्त्र भी पहने जा सकते हैं।
  • हाथ में फूल और अक्षत लेकर भगवान शिव को समर्पित करें।
  • किसी भी व्रत या पूजन को करने के दिन आपको प्रातः काल जल्दी उठना चाहिए।
  • भगवान शिव के व्रत में आपके पास साधारण जल हो या गंगाजल इसे हाथ में लेकर बेलपत्र को लेकर संकल्प लें।
  • आप अपनी जो भी मनोकामना है बोलते हुए व्रत का संकल्प लें और उसके बाद नियमित पूजा और व्रत करें।
  • सबसे पहले हाथ में जल, अक्षत, पान का पत्ता, सुपारी और कुछ सिक्के लेकर शिव मंत्र के साथ संकल्प करें।
  • आप पहले मिट्टी के शिवलिंग बनाएं और उसे शमी के पेड़ के गमले में रख दें। उसके बाद ही उस शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
  • शिवलिंग बनाने से पहले इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यह शिवलिंग अंगूठे के पोर के बराबर ही हो। इससे बड़ा शिवलिंग घर में नहीं पूजना चाहिए।

व्रत और पूजन में इस मंत्र का करें जाप

आप पूजा करते समय इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं इससे आपको भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होगी।

ऊं शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्।

उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥

sawan somvar vrat vidhi by Dr aarti dahiya

शिव जी को सोमवार को क्या अर्पित करें

  • सबसे पहले भगवान शिव पर जल (शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही तरीका) समर्पित करें।
  • जल के बाद सफेद वस्त्र समर्पित करें।
  • सफेद चंदन से भगवान को तिलक लगाएं एवं तिलक पर अक्षत लगाएं।
  • सफेद पुष्प, धतूरा, बेलपत्र, भांग एवं पुष्पमाला अर्पित करें।
  • अष्टगंध, धूप अर्पित कर, दीपक जलाएं।
  • भगवान को भोग के रूप में ऋतु फल या बेल और नैवेद्य अर्पित करें।

सोलह सोमवार का पूजन शाम के समय प्रदोष काल में किया जाता है यानी कि दिन के तीसरे पहर में 4 बजे के आस- पास आपको ये पूजा शुरू करनी चाहिए। पूजा के बाद सूर्यास्त होने से पहले आपका पूजन संपूर्ण हो जाना चाहिए इस तरीके से पूजन मुख्य रूप से फलदायी माना जाता है। इस व्रत को करने वाली महिला या पुरुष को केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि सोमवार का दिन चन्द्र का दिन होता है और चंद्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं इसलिए इस दिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है| ऐसी मान्यता है कि यदि कुंवारी लड़कियां इस व्रत को नियमपूर्वक करती हैं तो उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होने के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।

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Image Credit: freepik.com, pixabay.com

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