Solah Somvar Vrat: इस साल सावन महीने की शुरुआत 14 जुलाई से होने वाली है और इस पूरे ही महीने को शिव को समर्पित माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन में श्रद्धा पूर्वक शिव पूजन करता है और सोमवार व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। सोमवार व्रत को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के कृपा दिलाने वाले व्रत को कम से कम 16 सोमवार तक जरूर करना चाहिए। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सोमवार व्रत को सावन के पहले सोमवार से भी शुरू किया जा सकता है।
16 सोमवार का व्रत विशेष कामना पूर्ति के लिए किया जाता है जो कि कठिन व्रतों में से एक व्रत माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा एवं विधि विधान से करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 16 सोमवार व्रत की शुरुआत स्वयं माता पार्वती ने की थी इस व्रत को कुंवारी कन्याएं, बालक, महिलाएं एवं पुरुष सभी कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि 16 सोमवार व्रत सावन के सोमवार से कठिन होता है। इसलिए इस व्रत को आप तभी करें जब आपकी शक्ति एवं सामर्थ्य हो। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें सोलह सोमवार व्रत के नियम और पूजा की सही विधि के बारे में।
आरती दहिया जी बताती हैं कि यदि स्वास्थ्य आपका साथ दे तभी आप सावन के महीने से 16 सोमवार व्रत करने का संकल्प लें। चूंकि इस व्रत को करने के नियम थोड़े से अलग होते हैं और थोड़े कठिन भी इसलिए इस व्रत को शुरू करने का सबसे उत्तम महीना सावन का ही माना जाता है | सावन का महीना पूर्ण रूप से शिव जी की भक्ति अर्चना आराधना और अभिषेक के लिए समर्पित होता है तो आप सावन के पहले सोमवार से इस व्रत को शुरू करे। जिससे आपके जीवन के लिए ये अति उत्तम होगा। पुराणों में बताया गया है कि अन्य दिनों की अपेक्षा सावन में शिव जी की सच्चे मन से पूजा करने पर कई गुना लाभ मिलता है।
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आप पूजा करते समय इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं इससे आपको भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होगी।
सोलह सोमवार का पूजन शाम के समय प्रदोष काल में किया जाता है यानी कि दिन के तीसरे पहर में 4 बजे के आस- पास आपको ये पूजा शुरू करनी चाहिए। पूजा के बाद सूर्यास्त होने से पहले आपका पूजन संपूर्ण हो जाना चाहिए इस तरीके से पूजन मुख्य रूप से फलदायी माना जाता है। इस व्रत को करने वाली महिला या पुरुष को केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि सोमवार का दिन चन्द्र का दिन होता है और चंद्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं इसलिए इस दिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है| ऐसी मान्यता है कि यदि कुंवारी लड़कियां इस व्रत को नियमपूर्वक करती हैं तो उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होने के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।
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