एनकाउंटर, एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल पुलिस और अपराधियों के बीच हुई भिड़ंत के लिए किया जाता है। एनकाउंटर हमेशा से भारत में एक महत्वपूर्ण बहस का विषय भी रहा है। हालांकि, इस तरह की कार्रवाई को कुछ परिस्थितियों में उचित भी ठहराया जाता है जैसे- आत्मरक्षा के लिए। वहीं, फर्जी एनकाउंटर की बढ़ती संख्या ने पुलिस की जवाबदेही, मानवाधिकारों और कानूनी सुरक्षा के उपायों के बारे में चिंताएं पैदा कर दी हैं। हालांकि, भारत में अभी तक एनकाउंटर से हुई हत्याओं के खिलाफ कोई कानून नहीं है, लेकिन संविधान और कोर्ट दोनों ने हमेशा से ही पुलिस के एनकाउंटर को गलत बताया है। एनकाउंटर के कई मामलों में पुलिसवालों को सजा भी हुई है।
आज हम इस आर्टिकल में एनकाउंटर क्या होता है और कानून में इसके बारे में क्या कहा गया है आदि के बारे में बताने वाले हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि एनकाउंटर शब्द भारत से निकला है और अब यह दूसरे देशों में काफी कॉमन हो गया है। आपको हॉलीवुड फिल्मों में भी एनकाउंटर शब्द सुनाई देता होगा। वैसे तो, भारत में पुलिस विभाग ने ही इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले शुरू किया। आमतौर पर पुलिस के लिए एनकाउंटर की सिचुएशन्स तब बनती हैं, जब अपराधी पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश करता है, जब किसी अपराधी को पुलिस पकड़ने जाती है और वह बचने के लिए भाग निकलता है, या जब कोई अपराधी पुलिस पर हमला कर देता है और पुलिस अपनी आत्मरक्षा के लिए फायरिंग करती है।
आमतौर पर, पुलिस अपराधी को पहले चेतावनी देती है, फिर हवा में फायरिंग करती है। अगर अपराधी नहीं रुकता है और भागता रहता है, तो उसके पैर पर गोली मार दी जाती है। अगर तब भी सिचुएशन कंट्रोल नहीं होती है, तो पुलिस अपराधी के शरीर के दूसरे हिस्सों पर फायरिंग करती है।
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आपको बता दें कि भारतीय संविधान में Extra judicial killing को आमतौर पर एनकाउंटर के रूप में जाना जाता है। Extrajudicial killing तब होती है, जब बिनी किसी कानूनी प्रक्रिया के कोई आधिकारिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति किसी की हत्या कर देता है। ऐसी हत्याएं अवैध मानी जाती हैं और मानवाधिकारों और कानून का उल्लंघन करती हैं।
Extrajudicial killing भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का घोर उल्लंघन करती है। इस अनुच्छेद में कहा गया है कि किसी भी इंसान को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही जान से मारा जा सकता है। इसलिए, भारतीय संविधान या कानून में एनकाउंटर को सही नहीं माना जाता है और यह ऑडी अल्टरम पार्टम के सिद्धांत के भी खिलाफ है, क्योंकि इसमें आरोपी से अपना पक्ष रखने का अधिकार भी छीन लिया जाता है।
वहीं, हमारे मन में सवाल आता है कि एनकाउंटर के बाद होता क्या है और एनकाउंटर करने वाले पुलिस अधिकारी के साथ क्या किया जाता है? ऐसे ही सवालों के जवाब पाने के लिए हमने गोरखपुर के SP आरएस गौतम से बातचीत की और उन्होंने हमारे सभी सवालों को जवाब भी दिए।
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SP आरएस गौतम ने कहा कि CRPC की धारा 46 के अनुसार, अगर कोई अपराधी खुद को गिरफ्तारी से बचाने का प्रयास करता है या वहां से भागने की कोशिश करता है। भागने के लिए अगर वह पुलिस पर हमला करता है, तो इस तरह की सिचुएशन में पुलिस अपराधी पर जवाबी कार्रवाई कर सकती है।
भारत में एकाउंटर से संबंधित कोई विशेष कानून नहीं है। हालांकि, समय-समय पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट ने विशिष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं, जिनका पुलिस एनकाउंटर में हुई मौतों की घटनाओं की जांच करते समय पालन किया जाता है।
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