चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है, कल यानी 16 अप्रैल को नौ दुर्गा यानी कन्या पूजन आयोजित किया जाएगा। नव दिनों तक माता रानी की पूजा अर्चना के बाद अष्टमी या नवमी के दिन भक्त कन्या पूजन आयोजित करते हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में अष्टमी और नवमी तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इस दिन नौ छोटी और कुंवारी कन्याओं को देवी मां का रूप मानकर पूजा जाता है। अष्टमी और नवमी के दिन मां दुर्गा के नौ अवतारों को पूजा जाता है, साथ ही नौ कन्याओं के साथ एक बालक यानी बटुक भैरव की भी पूजा की जाती है।
बता दें कि कन्या पूजन में बटुक भैरव के पूजन के बिना पूजा को अधूरा माना जाता है। ऐसे में अक्सर लोगों के साथ ऐसा होता है कि उन्हें नौ कन्या तो मिल जाती है, लेकिन एक बालक या बटुक भैरव नहीं मिल पाते। ऐसे में बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न आता है कि ऐसे में क्या करना चाहिए? हमने भक्तों के इस प्रश्न के बारे में अपने एस्ट्रो एक्सपर्ट से पूछा, इस पर चलिए जानते हैं कि ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने क्या सुझाव दिया है।
कन्या पूजन में बटुक भैरव की पूजा क्यों की जाती है?
शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि नौ देवियों की कन्या पूजन में बटूक की पूजा बहुत जरूरी है। बिना बटुक या लंगूर के पूजा अधूरी मानी गई है। नौ कन्याओं के साथ एक बालक को बटुक के रूप में पूजा जाता है। भगवान भैरव के सौम्य रूप को बटुक भैरव कहा जाता है। देवी मैया के जितने भी शक्तिपीठ हैं और प्रसिद्ध मंदिर हैं उन सभी के मुख्य और प्रवेश द्वार पर भैरव बाबा के मंदिर स्थापित है।
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हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भैरव नाथ को मां दुर्गा का रक्षक माना गया है। मान्यता है कि भैरव बाबा देवी मां के शक्तिपीठों की रक्षा करते हैं। इसलिए उनके दर्शन और पूजन के बिना देवी मां के दर्शन और पूजन का फल नहीं मिलता है। इसलिए कन्या पूजन हो या साधारण मां दुर्गा की पूजा सभी तरह के पूजन में बटुक भैरव की पूजा और दर्शन का विशेष महत्व है।
कन्या पूजन के लिए बटुक भैरव न मिले तो क्या करें?
ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने बताया कि यदि कन्या पूजन में बटुक या लंगूर न मिले तो नौ कन्याओं का पूजन कर लें और बटुक के स्थान पर कोई गुड्डा रखकर उसकी पूजा कर लें, फिर पूजन और भोजन के बाद उस गुड्डे और बटुक को दी जाने वाली हर वस्तु को किसी बालक को दान कर दें।
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इससे आपको बटुक की पूजा और उसे भोजन कराने के समान ही फल प्राप्त होगा और आपकी पूजा भी अपूर्ण नहीं रहेगी। इसके अलावा बटुक भैरव के हिस्से का भोग आप किसी कुत्ते को भी अर्पित कर सकते हैं, क्योंकि कुत्ते को भैरव बाबा के वाहन के रूप में जाना जाता है।
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