मरने के बाद किस कर्म के लिए कौन-सी है सजा, गरुड़ पुराण में मिलता है सजाओं का जिक्र

मरने के बाद नरक में पाप और बुरे कर्मों की सजा भोगनी पड़ती है, यह तो आपने कई बार सुना होगा। लेकिन, क्या आप जानती हैं गरुड़ पुराण में किस पाप के लिए कौन-सी सजा का जिक्र किया गया है?
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गरुड़ पुराण को हिंदू धर्म में महापुराण माना गया है। गरुड़ पुराण का पाठ तब किया जाता है जब किसी की मृत्यु हो जाती है। इसमें कुल 271 अध्याय हैं, जिसमें से 35 अध्यायों में मृत्यु के बाद मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार क्या मिलता है का जिक्र किया गया है। गरुड़ पुराण में कर्मों के आधार पर स्वर्ग और नरक के बारे में विस्तार से बताया गया है। इतना ही नहीं, इस महापुराण में यह भी बताया गया है कि व्यक्ति को किन कर्मों के आधार पर अगला कौन-सा जन्म मिलता है।

अगर आपके भी मन में भी सवाल उठता है कि मरने के बाद नरक में कौन-से पाप और महापाप के लिए कौन-सी सजा मिलती है, तो इस बारे में गरुड़ पुराण में विस्तार से जानने को मिल सकता है। हालांकि, गरुड़ पुराण का पाठ करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में आज हम इस आर्टिकल में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानेंगे कि आखिर गरुड़ पुराण के मुताबिक, मृत्यु के बाद कौन-से पाप और महापाप के लिए आत्मा को नरक में कौन-सी सजा भोगनी पड़ती है।

कौन-से पाप के लिए मिलती है कौन-सी सजा?

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गरुड़ पुराण में अलग-अलग कर्मों के लिए 28 सजाओं का जिक्र मिलता है। इन 28 सजाओं में से 5 ऐसी भयंकर सजाएं हैं जिन्हें महापाप के लिए दिया जाता है। आइए, यहां जानते हैं गरुड़ पुराण में किन-किस सजाओं के बारे में बताया गया है।

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तमिस्रम

गरुड़ पुराण के मुताबिक, इस सजा में बुरी तरह से पिटाई की जाती है और शरीर के अंगों को भी काट दिया जाता है। इस सजा में बार-बार पीटा जाता है और चोट पहुंचाई जाती है, जब तक पाप खत्म न हो जाएं। यह सजा चोरी या किसी का बुरा करने पर दी जाती है।

कुंभीपाक

इस सजा में व्यक्ति की आत्मा को नरक में गर्म तेल में डालकर पकाया जाता है। यह सजा उन लोगों को मिलती है, जिन्होंने अपने लाभ और आनंद के लिए निर्दोषों को हानि पहुंचाई होती है। पशु-पक्षियों को मारने और चोट पहुंचाने वालों के लिए भी यही सजा होती है। इतना ही नहीं, ऐसे व्यक्तियों का जन्म चांडाल रूप में लेने वाला भी माना जाता है।

रौरावम

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इस सजा में आत्मा को जहरीले प्राणियों जैसे-सांप, बिच्छु और मच्छरों द्वारा कटवाया जाता है। इतना ही नहीं, आत्मा को तपती और जलती जमीन पर भी प्रताड़ित किया जाता है। यह सजा उन लोगों की आत्मा को दी जाती है, जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए किसी को धोखा दिया होता है।

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प्राणरोधम

यह सजा उन लोगों की आत्मा को दी जाती है, जो शिकारी होते हैं और पशु-पक्षियों की निर्मम हत्या करते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, इस सजा में आत्मा को हजारों सालों तक सजा मिलती रहती है।

तप्तमूर्ति

गरुड़ पुराण के मुताबिक, यह सजा उन लोगों को मिलती है जो गलत या अप्राकृतिक तरह से शारीरिक संबंध बनाते हैं। इस सजा में बार-बार आत्मा को नरक में जलाया जाता है। इतना ही नहीं, अनेक बिच्छुओं से भी आत्मा पर डंक लगवाए जाते हैं। इसके बाद यमराज से अपनी सजा सुनने के लिए आत्मा को यमलोक जाना होता है। यमलोक जाने के लिए आत्मा को 16 चरणों से गुजरना पड़ता है, जहां अलग-अलग तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

गरुड़ पुराण के मुताबिक, ये सभी सजाएं इसलिए दी जाती हैं जिससे आत्मा के पाप-पुण्यों को बराबर किया जा सके। पाप-पुण्य भोगने के बाद आत्मा का अगला जन्म होता है। महापुराण में यह भी जिक्र किया गया है कि एक आत्मा को मनुष्य का जन्म लेने से पहले अनेक योनियों, जैसे- कीड़ा, पक्षी या पेड़ में जन्म लेना पड़ता है।

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Image Credit: Meta AI

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