कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर की रेप और हत्या मामले की लगातार जांच जारी है। इसी बीच सोशल मीडिया पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स को लेकर भी कई तरह के भ्रामक दावे किए जा रहे थे।
अब लोगों के मन में पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर भी कई सवाल आ रहे होंगे कि आखिर उस रिपोर्ट को इतना क्यों महत्व दिया जाता है, यह कैसे बनता है और इसमें क्या-क्या लिखा होता है? अगर आपके मन में भी कुछ ऐसे सवाल हैं, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के जरिए किस तरह की जानकारियां सामने आती हैं। इसके लिए हमने वर्तमान में कार्यरत झारखंड के लोहरदगा के सदर अस्पताल के स्पेशलिस्ट मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर विवेक मधुर से बातचीत की है। उन्होंने पोस्टमार्टम से संबंधित काफी सारी जानकारियां दी हैं, आइए जानते हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्या होता है?
पोस्टमार्टम (ऑटोप्सी या शवपरीक्षा) एक विशिष्ट प्रकार की शल्य प्रक्रिया है। जिसमें शव का विस्तृत परीक्षण किया जाता है, ताकि पता चल सके कि मृत्यु किन कारणों और किस तरीके से हुई है। यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु अपराधिक घटना, दुर्घटना या संदेहपूर्ण कारणों में हो, तो उसके मृत शरीर का कानूनी निगरानी में पोस्टमार्टम होता है। इसमें शरीर का विच्छेदन किया जाता है। उसके निष्कर्ष रिकॉर्ड किए जाते हैं, जिसमें फोरेंसिक जांच भी होती है। जरूरत पड़ने पर डीएनए जांच भी होती है, जो कानूनी जांच में सबूतों का भी काम करते हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या-क्या लिखा होता है?
इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए पूर्व में रिम्स(रांची) में हड्डी, जोड़ और नस रोग विभाग में कार्यरत और वर्तमान में सदर अस्पताल, लोहरदगा के स्पेशलिस्ट मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर विवेक मधुर ने बताया कि पोस्टमार्टम एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें शव के बाहरी और अंदरूनी अंगों की भी जांच की जाती है। उन्होंने आगे बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण जैसे- अचानक दुर्घटना, रोग, आपराधिक घटना आदि लिखा होता है। अगर मृतक को कोई रोग था तो उस रोग की प्रकृति, विस्तार, विशालता और जटिलता के प्रकार और तथ्य की विस्तृत जानकारी भी रिपोर्ट में लिखी होती है। मौत के कारण के साथ मृत्यु का समय भी उस रिपोर्ट में लिखा होता है। इसके अलावा, उस रिपोर्ट में मृत बॉडी की पहचान, उनकी आयु, लिंग, रंग, पता आदि के बारे में भी जानकारी दी हुई रहती है।
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पोस्टमार्टम के दो चरण होते हैं
डाक्टर मधुर ने बताया कि पोस्टमार्टम के दो चरण होते हैं। पहले बाहरी परीक्षण में शरीर का विकास, शरीर की पौष्टिकता, आयु, लिंग, शव ऐंठन की विद्यमानता और उसकी श्रेणी, त्वचा का रंग, त्वचा विच्छेद, गिल्टी, आघात चिह्न, सूजन, शरीर के सब छिद्रों आदि का पूर्ण ध्यान से परीक्षण किया जाता है।
दूसरे चरण में आंतरिक परीक्षा में प्रथम ठुड्डी से जघन जोड़ तक शव चीरकर, त्वचा और मांसपेशियों को हटाकर, वक्षास्थि को पृथक् कर दिया जाता है। इसके बाद आंत की ऊपर की झिल्ली और फुफ्फुस झिल्ली का पूर्ण परीक्षण सूक्ष्मदर्शी से किया जाता है। उसके बाद मृत्यु के कारण का जो कुछ पता चलता है, उसके आधार पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार कर ली जाती है।
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पोस्टमार्टम कैसे होता है?
उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम के दौरान कुछ अंगों की बारीकी से जांच की जानी चाहिए। इन जांचों को पूरा होने में कई सप्ताह लग सकते हैं। मृतक के बाहरी रूप का बहुत ध्यान रखा जाता है। अधिकांश चीरों को कपड़े या बालों से छिपा दिया जाता है। एक बार एक आंतरिक शव परीक्षण पूरा हो जाने के बाद, शरीर को वापस एक साथ सिलाई करके पुनर्गठित किया जाता है। अगर मौत संदिग्ध परिस्थिति में हो और अंदेशा हो कि जहर से मौत हुई है, तो विसरा की जांच की जाती है। विसरा प्रिजर्व करने के दौरान डेड बॉडी से लिवर, स्प्लीन और किडनी का पार्ट रखा जाता है। साथ ही शरीर में मौजूद फ्लूड आदि को प्रिजर्व किया जाता है। कुछ मामलों में इसको करने से पहले मृतक के किसी परिजन या नजदीकी व्यक्ति से सहमति लेनी पड़ती है। कानूनी मामलों में कोर्ट की अनुमति लेनी अनिवार्य होती है।
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Image credit- Herzindagi
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