Karwa Chauth 2023: जानें किस समय पढ़नी चाहिए करवा चौथ की कथा?

करवा चौथ की पूजा सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। 

 
karwa chauth ki katha Significance

(karwa chauth vrat timing 2023)आज करवा चौथ है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं औ पूजा-पाठ करती हैं।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो अविवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं, उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होती है। अब ऐसे में इस दिन करवा चौथ की पूजा किस समय करनी चाहिए। इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है।

आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि करवा चौथ की पूजा कब और किस समय सुनना शुभ माना जाता है।

करवा चौथ की कथा इस समय सुनना होता है शुभ

Karwa Chauth Katha

करवा चौथ की कथा बेहद पावन मानी जाती है। इस कथा को सुनने मात्र से ही सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। करवा चौथ की कथा का पाठ करने के लिए सुहागिन महिलाओं को करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही उठकर स्नान करना चाहिए और व्रत संकल्प लेना चाहिए। पश्चात करवा माता की तस्वीर को पूजाघर (पुजाघर नियम) में रखकर उनसे अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। करवा चौथ की कथा सुनने के लिए अभिजीत मुहूर्त उत्तम माना जाता है। उस समय कथा सुनने और पाठ करने से दांपत्य जीवन के लिए सौभाग्यशाली माना जाता है।

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अभिजीत मुहूर्त - 11 बजकर 45 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहता है।

जानें कैसे हुई करवा चौथ के व्रत की शुरुआत

Karwa Chauth Katha

पौराणिक कथा के अनुसार करवा नाम की एक स्त्री थी, जो पतिव्रता थी। एक बाद करवा के पति नदी में स्नान कर रहे थे। तब उस दौरान मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया। करवा के पति ने अपने प्राण की रक्षा के लिए अपनी पत्नी को पुकारें। तब करवा वहां पहुंची और अपने पति के प्राण संकेट में देखकर यमराज से अपने पति के प्राण के लिए प्रार्थना की।

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करवा के पतिव्रता होने के कारण यमराज ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार किया और पूछा, हे देवी! आप क्या चाहती हैं। तब करवा ने कहा कि यदि आप उस मगरमच्छ को मृत्यु दंड नहीं दिए,तब मैं आपको श्राप दे दूंगी। तब करवा माता के ऐसा कहने पर यमराज के पास खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए और उनके सतीत्व होने के कारण उनकी कही बातों को टाल न सकें। तब यमराज ने कहा आप मगरमच्छ को यमलोक बुला लें और उसके पति को चिरायु का वरदान दें।

यमराजदेव करवा माता के पतिव्रता होने से बेहद प्रसन्न हुए और उनसे कहा कि आपने अपने तपोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षी की है। मैं आपसे बेहद प्रसन्न हूं और मैं आपको आज वरदान देता हूं कि जो सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए कार्तिक मास के कृष्ण (भगवान श्री कृष्ण मंत्र) पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत रखेंगी उनके सुहाग की रक्षा मैं खुद करूंगा।

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Image Credit- Freepik

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FAQ

  • करवा चौथ के दिन क्या न करें?

    करवा चौथ के दिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में प्रेम बनाएं रखने के लिए सोलह श्रृंगार करना चाहिए। लेकिन, इस दौरान सुहाग से जुड़ी हुई कोई भी सामग्री आदि का दान नहीं करना चाहिए। किसी को भी सिंदूर, बिंदी, चूड़ी मेहंदी, आदि चीजों का दान न करें।
  • करवा चौथ का नियम क्या होता है?

    करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सुबह की सरगी खाकर किया जाता है। इसलिए अगर आप पहली बार व्रत रख रही हैं तो ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होकर सरगी का सेवन करें। मान्यता है की सरगी का सेवन दिन की शुरुआत होने से पहले यानि सूर्योदय से पहले ही कर लेना चाहिए। वहीं, सांस द्वारा बहु को सरगी देने की परंपरा है।