आपने फिल्मों और वेब सीरीज के जरिए ही इंडियन आर्मी, इंडियन एयर फोर्स और इंडियन नेवी को समझने की कोशिश की होगी। टीवी पर आपने जवानों को कड़ी ट्रेनिंग करते और सख्त नियमों का पालन करते हुए ही देखा है। लेकिन, हमें जितना फिल्मों, सोशल मीडिया या वेब सीरीज के जरिए पता है, वह केवल तिनका मात्र है।
इंडियन ऑर्म्ड फोर्स में परम्परा, प्रतिष्ठा और अनुशासन बनाए रखने के लिए काफी सख्त नियम हैं। यह एक ऐसी संस्था है, जिसके लिए भारत माता की सुरक्षा सबसे ऊपर होती है। अगर इसमें छोटी-सी भी चूक हो जाती है, तो बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए, सैन्य कर्मियों को एक छोटी-सी भूल पर भी कड़ी सजा दी जाती है।
कई बार हमारे मन में सवाल आता है कि अगर भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के जवान देश से गद्दारी करते हैं, तो क्या होता होगा? आज हम इस आर्टिकल में आपको बताने वाले हैं कि अगर देश की सुरक्षा से कोई भी जवान खिलवाड़ करता है, तो उसे कड़ी से कड़ी सजा देने का प्रावधान है।
सेना अधिनियम 1950, वायु सेना अधिनियम 1950 और नौसेना अधिनियम 1957 के तहत, अगर कोई सेना का जवान देश के दुश्मन से संपर्क करता है या जानकारी देता है, तो उसे आजीवन कारावास या मौत की सजा हो सकती है। वहीं, अगर सेना के कोई अधिकारी या जवान द्वारा विद्रोह किया जाता है, तो उसे 10 साल की जेल और जुर्माना भरना पड़ा सकता है। इसके अलावा, उसे आजीवन कारावास की भी सजा मिल सकती है।
भारतीय दंड संहिता(IPC) 1860 की धारा 121 के तहत अगर कोई जवान भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कोशिश करता है, तो उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है। वहीं, धारा 124ए के तहत, अगर कोई जवान राजद्रोह करता है, तो उसे आजीवन कारावास या 3 साल तक कारावास और जुर्माना देना पड़ सकता है।
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यह सजा तब दी जाती है, जब युद्ध के दौरान सेना का जवान दुश्मन देश की मदद करता है या उन्हें जानकारी भेजता है।
यह सजा तब दी जाती है, जब कोई सैन्य कर्मी देश की सुरक्षा को गंभीर रूप से खतरे में डाल देता है, लेकिन उसका दुश्मन देश के साथ किसी तरह से कोई संपर्क नहीं होता है।
आरोप साबित होने के बाद जवान को रैंक, सम्मान और विशेषाधिकारों से वंचित कर दिया जाता है।
दोषी जवान को सभी वेतन वृद्धि और भत्ते से वंचित कर दिया जाता है।
अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को कड़े कारावास की सजा दी जा सकती है।
जब किसी सैन्य कर्मी पर आरोप लगता है, तो उसकी जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (CoI) गठित की जाती है। इसके बाद, मामले की पूरी जांच की जाती है और गवाहों के बयान दर्ज किए जाते हैं। इसके बाद रिपोर्ट तैयार होती है और फिर जनरल कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
जिस सेना के जवान पर आरोप लगा है, उसका कमांडिंग ऑफिसर चार्जशीट तैयार करता है और ट्रायल शुरू होता है। इस दौरान आरोपी को अपनी सफाई देने का मौका मिलता है। साथ ही, Prosecution और Defense अपने-अपने पक्ष को रखते हैं। वहां पर गवाह, सबूत को पेश किया जाता है। इसके बाद, संबंधित कमांड को सजा का प्रस्ताव भेजा जाता है। फिर, सजा सुनाई जाती है।
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आर्मी एक्ट के तहत, आरोपी जवान प्री कंफर्मेशन पिटीशन और पोस्ट कंफर्मेशन पिटीशन दाखिल कर सकता है। आपको बता दें कि प्री कंफर्मेशन पिटीशन कमांडिंग ऑफिसर के पास जाती है और पोस्ट कंफर्मेशन पिटीशन केंद्र सरकार के पास जाती है। अगर दोनों जगह से पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिलता है, तो आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (AFT) का ऑप्शन चुना जा सकता है। AFT के पास सजा को रद्द करने का अधिकार होता है।
हालांकि भारतीय सशस्त्र बालों के अंदर देशद्रोह के मामले कम ही सुनने को मिलते हैं, लेकिन जब भी ऐसा होता है, तो सेना के सम्मान और अखंडता को बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाते हैं।
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