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next of kin in the Army How old was Anshuman Singh

आखिर क्या है सेना की Next of Kin Policy, जिसे शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता कर रहें बदलने की मांग

कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत से माता-पिता गहरे दुख में हैं। उन्होंने अपनी बहू स्मृति सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की यादों और सम्मान को अपने नाम कर लिया है।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-07-12, 17:20 IST

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता और उनकी पत्नी स्मृति सिंह के बीच तनाव बना हुआ है। शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह, जिन्होंने सियाचिन में अपने साथियों को बचाते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी थी, उनके माता-पिता ने हाल ही में एक बयान जारी कर अपने दुख और कुछ गंभीर आरोपों को व्यक्त किया है।

कीर्ति चक्र को छू भी न सके

कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत से माता-पिता गहरे दुख में हैं। उन्होंने अपनी बहू स्मृति सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की यादों और सम्मान को अपने नाम कर लिया है। स्मृति सिंह ने कैप्टन अंशुमान सिंह की यादों से जुड़ी वस्तुएं अपने कब्जे में रख ली हैं और माता-पिता को उनसे वंचित रखा है। शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 जुलाई को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया था, लेकिन स्मृति सिंह ने इस सम्मान का श्रेय खुद ले लिया है। कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत के बाद मिलने वाली सभी वित्तीय सहायता स्मृति सिंह द्वारा हड़प ली गई है। स्मृति सिंह ने माता-पिता का कहना है कि बेटे के साथ-साथ बहु को भी खो दिया है। यहां तक कीर्ति चक्र को छू भी न सके।

Who was Anshuman Singh's soldier

भारतीय सेना की 'नेक्स्ट ऑफ किन' यानी 'आश्रित' से जुड़ी पॉलिसी गाइडलाइंस का एक सेट है। यह तय करती है कि किसी जवान या अफसर के शहीद होने पर वित्तीय सहायता और दूसरे लाभ किसे मिलेंगे।  इस पॉलिसी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शहीद सैनिक के परिवार को पर्याप्त समर्थन और सुरक्षा प्रदान की जाए। इन लाभों में वित्तीय सहायता, बीमा, पेंशन और दूसरे लाभ शामिल हैं। 

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इसके अलावा, पूर्व सैनिकों को भी कई तरह के लाभ मिलते हैं

  • शिक्षा और होम लोन
  • दिव्‍यांगों की सुविधा
  • उत्तरजीवी के लाभ
  • जीवन बीमा और विकलांगता पर मुआवजा
  • चिकित्सीय एवं मृतक के क्रिया कर्म में लागत

नीति के तहत मिलने वाले लाभ

  • वित्तीय सहायता: शहीद या मृतक जवान या अधिकारी के परिवार को एकमुश्त अनुदान और मासिक पेंशन प्रदान की जाती है। अनुदान की राशि रैंक और सेवा की अवधि के आधार पर तय होती है।
  • बीमा: सभी जवानों और अधिकारियों का जीवन बीमा होता है। शहीद या मृतक जवान या अधिकारी के परिवार को बीमा राशि भी प्रदान की जाती है।
  • पेंशन: शहीद या मृतक जवान या अधिकारी के परिवार को पेंशन भी प्रदान की जाती है। पेंशन की राशि रैंक और सेवा की अवधि के आधार पर तय होती है।
  • अन्य लाभ: शहीद या मृतक जवान या अधिकारी के परिवार को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आवास जैसे अन्य लाभ भी प्रदान किए जाते हैं।

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सेवा-संबंधी अशक्तताओं, आय, एवं परिसंपत्तियों जैसे चीजों के आधार पर पूर्व-सैनिकों को आठ प्राथमिकता समूहों में विभाजित किया जाता है। साथ ही, राज्य सरकारें भी पूर्व सैनिकों के लिए कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराती हैं। इनमें शामिल हैं अर्द्ध सैनिक बलों में 10 प्रतिशत आरक्षण। विभिन्न राज्य सरकारों ने अपने अधीन सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था भूतपूर्व सैनिकों के लिए की है, जो 2 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक है। शहीद जवान की सेवा के अनुसार उनके परिवार को नियमित मासिक पेंशन दी जाती है। कुछ मामलों में, NOK को डिफेंस या दूसरे सरकारी क्षेत्रों में रिजर्वेशन मिलता है।

NOK लाभों के लिए क्या है पात्रता

शहीद या मृतक जवान, अधिकारी भारतीय सेना का नियमित सदस्य होना चाहिए। मृत्यु ड्यूटी के दौरान होनी चाहिए, या ड्यूटी पर लगी बीमारी या चोट के कारण होनी चाहिए। कुछ मामलों में, सेवानिवृत्त जवानों या अधिकारियों के परिवार भी NOK लाभों के लिए पात्र हो सकते हैं।

NOK के लिए आवेदन कैसे करें

NOK लाभों के लिए आवेदन करने के लिए, परिवार को संबंधित सेना इकाई को मृत्यु प्रमाण पत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज जमा करना होता है। सेना की युनिट दावे का मूल्यांकन करेगी और अगर पाया जाता है कि परिवार पात्र है तो लाभ प्रदान करेगी।

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