अगर निचोड़ते हैं टूथपेस्ट की आखिरी बूंद तो ये खबर जरूर पढ़ें

अगर आप टूथपेस्ट का यूज तब तक करते हैं जब तक उसका ट्यूब सिकुड़ न हो जाए तो यह लेख जरूर पढ़ें। 

Shrink Inflation Technique

अगर आप भारत के उन लोगों में से हैं जिन्हें टूथपेस्ट की ट्यूब को तब तक निचोड़ने की आदत है जब तक वह पूरी तरह से खत्म न हो जाए और यह काम आप बाकी प्रोडक्ट्स के साथ भी यही करते हैं तो आपको बता दें कि बड़ी-बड़ी कंपनियों ने आपकी इस आदत को पहचान लिया है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कंपनियों की इस बिजनेस स्ट्रेटेजी के बारे में।

क्या होता है श्रिंक इन्फ्लेशन( Shrink-inflation)?

shrink inflation

आपको बता दें कि टूथपेस्ट, तेल, शैम्पू, साबुन आदि चीजें बनाने वाली कंपनियां आपको झांसा देने के लिए अपने प्रोडक्ट के पैकेट को छोटा कर देते हैं और उसके दाम वही रखे हैं। ताकि आपका सामान जल्दी खत्म हो जाए और फिर आप उसी दाम पर उनके नए पैकेट खरीद लें।

महंगाई के चलते इससे आपकी जेब पर भारी असर पड़ता है। यह तो आप जानते ही होंगे कि अंग्रेजी में महंगाई को इन्फ्लेशन कहते हैं।

बड़ी कंपनियां जब अपने प्रोडक्ट के पैकेट को छोटा कर देते हैं और उसके दाम वही रखे हैं तो इस तरह की बिजनेस स्ट्रेटेजी को श्रिंक इन्फ्लेशन कहते हैं। श्रिंक इन्फ्लेशन के तहत सामान का दाम तो उतना ही रहता है लेकिन पैकेट में उसकी मात्रा श्रिंक यानी कम कर दी जाती है।

आपको बता दें कि कंपनियां रेवेन्यू बढ़ाने के लिए अपने प्रोडक्ट की कीमत को इसलिए जल्दी नहीं बढ़ाती हैं क्योंकि इससे उनके उपभोक्ता कम हो सकते हैं।

जबकि श्रिंक इन्फ्लेशन में ऐसा होने का खतरा बहुत कम होता है। यह कंपनियों के लिए काफी सुरक्षित तरीका है और इसके बारे में लोगों को पता भी नहीं चल पाता है।

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कोविड के समय बढ़ गई थी ये स्ट्रेटजी

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कोविड के समय दुनियाभर की कंपनियां इस बिजनेस स्ट्रेटजी को अपना रही थी पर अब ये काफी सामान्य हो गया है। कोविड की वजह से इन कंपनियों की सप्लाई चेन पर खर्च पहले से ज्यादा बढ़ गया था।

कर्मचारियोंकी कमी ने भी इन कंपनियों के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी थी। इसलिए ये कंपनियां तब से ही अपना रेवेन्यू बढ़ाना चाहती हैं और यह स्ट्रेटेजी कंपनियों के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हुआ है।

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मुनाफे पर पड़ता है बहुत बड़ा असर

what is shrink inflation

हमारे देश में टूथपेस्ट की ट्यूब को लोग तब तक इस्तेमाल करते हैं जब तक उसमें से आखिरी बूंद बाहर नहीं आ जाती है। लोग ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वह ट्यूब अगर 1 महीना चलता है तो वो तीन-चार दिन और चल जाए।

आपको बता दें कि टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनियां आपकी इस आदत के बारे में जानती इसलिए वो कंपनियां भी अपने टूथपेस्ट की ट्यूब के होल का साइज ज्यादा बड़ा कर देती है और एक बार में इतना टूथपेस्ट निकलने लगा जितना पुराने होल से तीन बार में निकलता था। तो इस तरह से कंपनी के सामान की बिक्री दोगुनी हो जाती है।

आपको बता दें कि इससे उन्हें बहुत मुनाफा होता है साथ ही यह गैर कानूनी भी नहीं होता है।

तो यह थी श्रिंक इन्फ्लेशन से जुड़ी हुई जानकारी।

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Image Credit- freepik/unsplash

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