herzindagi
Equal Pay for Equal Work

एक जैसा काम तो मिलनी चाहिए एक जैसी सैलरी, क्या है समान वेतन का अधिकार?

भारत में महिलाओं के लिए वेतन समानता अभी भी एक बड़ी चुनौती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे पास समान वेतन अधिनियम है, जिसमें सभी को समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए? 
Editorial
Updated:- 2025-01-10, 21:40 IST

Right To Equal Pay For Women In India: आज के दौर में महिलाएं, पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। वह घर की जिम्मेदारी के साथ-साथ अपने परिवार को वित्तीय रूप से भी मदद प्रदान कर रही हैं, लेकिन भारतीय समाज की विडंबना है कि आज भी कई वर्कप्लेस में पुरुषों के बराबर काम करने के बावजूद भी महिलाओं को उनके बराबर वेतन नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि महिलाओं को समान वेतन अधिनियम 1976 के बारे में पता होना चाहिए। 

आज हम इस आर्टिकल में कामकाजी महिलाओं को समान वेतन अधिनियम और उसके विभिन्न प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आप अपने हक का वेतन पा सकती हैं।

लैंगिक वेतन अंतर या असमान वेतन क्या है?(What Is Gender Pay Gap Or Unequal Pay?)

असमान वेतन तब होता है, जब एक महिला कर्मचारी को समान काम के लिए पुरुष कर्मचारी से कम वेतन दिया जाता है। इसे लैंगिक वेतन अंतर भी कहा जाता है, क्योंकि महिलाओं को उनके जेंडर के कारण असमान वेतन मिलता है। अतीत में बहुत सी महिलाएं इस असमानता का शिकार हुईं और फिर, उन्होंने असमानता के खिलाफ आवाज उठाई। परिणामस्वरूप, समान वेतन अधिनियम पारित किया गया।  

समान वेतन अधिनियम क्या है?(What Is The Equal Remuneration Act?)

महिलाओं को सम्मान और समानता के साथ जीने में सक्षम बनाने के लिए 1976 में समान वेतन अधिनियम पारित किया गया था। यह एक ऐसा कानून है, जो पुरुष और महिला दोनों को समान काम करने पर समान वेतन के भुगतान को सुनिश्चित करता है। आपको बता दें कि समान वेतन अधिनियम ने भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया है। 

इसे भी पढ़ें - ये भारतीय कानून महिलाओं को बनाते हैं ताकतवर

समान वेतन अधिनियम के प्रावधान क्या है?(Various Provisions The Equal Remuneration Act)

equal pay act

  1. इस अधिनियम के तहत नियोक्ता को समान काम करने पर पुरुष और महिला कर्मचारियों को समान वेतन का भुगतान करना अनिवार्य है। 
  2. इस अधिनियम के मुताबिक, नए कर्मचारियों की भर्ती के समय नियोक्ता लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है। उसे योग्यता के आधार पर भर्ती करने का अधिकार है। 
  3. इस अधिनियम के तहत, नियोक्ता द्वारा समान वेतन के साथ-साथ पुरुष और महिला कर्मचारियों को समान भत्ते, प्रमोशन, ट्रेनिंग और ट्रांसफर प्रदान करना अनिवार्य है।
  4. इस अधिनियम के तहत, किसी भी महिला कर्मचारी से शाम 7 बजे के बाद से लेकर सुबह 6 बजे तक काम नहीं करवाया जा सकता है। हालांकि, यह कैंटीन, हॉस्पिटल और मीडिया जैसे संस्थानों पर लागू नहीं होता है। 
  5. इस अधिनियम के मुताबिक, महिला कर्मचारियों के काम करने का समय सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे के बीच का होना अनिवार्य है। अगर कोई कंपनी महिला कर्मचारी से देर रात तक काम करवाती है, तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी। 
  6. कोई भी कंपनी अकेली महिला कर्मचारी को काम पर नहीं बुला सकती है, बल्कि उसके आस-पास दूसरे कर्मचारियों का होना आवश्यक है। 
  7. इस अधिनियम के तहत, छुट्टी वाले दिन आप महिला कर्मचारी को नहीं बुला सकते हैं। अगर आप उन्हें बुलाते हैं, तो उन्हें सुरक्षित घर भेजना सुनिश्चित करना होगा। 
  8. समान वेतन अधिनियम के तहत, महिला कर्मचारी को क्रच की सुविधा के साथ-साथ बच्चे को फीड कराने के लिए घर जाने का भी अधिकार है।
  9. अगर कोई कंपनी इस अधिनियम का उल्लंघन करती है, तो महिला कर्मचारी समान वेतन अधिनियम 1976 के तहत शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। 

इसे भी पढ़ें -हर महिला जानें अपने इन कानूनी अधिकारों के बारे में और इस्तेमाल करें क्योंकि अब समझौता नहीं कर सकते

कैसे कर सकते हैं शिकायत?

  • यदि किसी ऑफिस में महिला कर्मचारी के साथ समान वेतन अधिनियम का उल्लंघन होता है, तो उसकी शिकायत श्रम आयुक्त के ऑफिस में जाकर कर सकती हैं। 
  • इसके अलावा, किसी प्रावधान के उल्लंघन और समान कार्य पर समान वेतन नहीं मिलने से संबंधित शिकायतों की सुनवाई और निर्णय के लिए केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त निरीक्षक की नियुक्ति की जा सकती है।
  • जांच के दौरान जरूरी दस्तावेजों और रजिस्टर की अनुपस्थिति में नियुक्त निरीक्षक कंपनी के मालिक को 20,000 रुपये तक के जुर्माने से लेकर जेल तक की सजा सुना सकता है। 
  • इसके अलावा, निरीक्षक नियोक्ता को दिए जाने वाले वेतन और भुगतान किए गए वेतन के बीच के अंतर का भुगतान करने का निर्देश भी दे सकता है। 

समान वेतन अधिनियम के उद्देश्य(Objectives Of The Equal Remuneration Act)

equal pay act 1976

  • राष्ट्र की प्रगति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना। 
  • भारतीय समाज से पुरुष और महिलाओं के बीच पारंपरिक लैंगिक भेदभाव को दूर करना। 
  • योग्यता के आधार पर महिलाओं को पुरुषों की तरह उच्च पदों पर नियुक्ति या पदोन्नति मिलना।
  • महिलाओं को उच्च शिक्षा और पेशेवर कौशल में समान अवसर प्रदान करना। 

यदि आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो अपनी राय कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं। साथ ही, इसे जरूर शेयर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल्स को पढ़ने के लिए हर जिन्दगी वेबसाइट के साथ जुड़ी रहें।

Image Credti - Freepik


Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।