किसी जगह नौकरी पर ज्वाइन करने और किसी जगह से नौकरी छोड़ने के कई नियम होते हैं। जहां तक नौकरी को ज्वाइन करने की बात है तो आप हमेशा टर्म्स एंड कंडीशन वाला कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं। पर जिस चीज़ पर शायद आपने या फिर अधिकतर लोगों ने ध्यान नहीं दिया होता है वो है नोटिस पीरियड और कंपनी छोड़ने से जुड़े नियम। अब किसी जगह को ज्वाइन करना है तो भला कोई उसे छोड़ने से जुड़ी चीज़ें क्यों पढ़ेगा। पर इन्हें पढ़ना बहुत जरूरी है।
दरअसल, हम ये नहीं समझ पाते हैं कि अगर हम किसी कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट साइन कर रहे हैं तो उस कंपनी से जुड़े सभी नियम फॉलो कर रहे हैं इसमें कंपनी छोड़ने का नियम भी शामिल है। नोटिस पीरियड कैसे सर्व करना चाहिए, क्या करना चाहिए और नोटिस पीरियड के दौरान क्या नहीं करना चाहिए और अगर नोटिस पीरियड नहीं सर्व किया तो क्या होगा ये सब कुछ कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट में दिया जाता है।
क्या होता है नोटिस पीरियड?
आसान शब्दों में समझाएं तो नोटिस पीरियड वो समय होता है जब एक कर्मचारी को रेजिग्नेशन देने के बाद भी कंपनी में रुकना पड़ता है। ये वो समय होता है जब कंपनी आपका रिप्लेसमेंट ढूंढती है ताकि आपके जाने के बाद कंपनी के काम पर कोई असर ना पड़े। आमतौर पर अलग-अलग कंपनियों में अलग तरह का नोटिस पीरियड होता है और कर्मचारी को रिजाइन करने के बाद उसे फॉलो करना होता है?
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क्या कंपनी में नोटिस पीरियड सर्व करना जरूरी है?
कानूनन कोई कंपनी आपको तब तक नोटिस पीरियड सर्व करने के लिए फोर्स नहीं कर सकती है जब तक आपने उसके साथ कोई कॉन्ट्रैक्ट ना साइन किया हो। अगर आपने कॉन्ट्रैक्ट में नोटिस पीरियड वाले क्लॉज को ठीक से पढ़ा है तो आपको पता होगा कि आपकी कंपनी में किस तरह से इसे पूरा किया जाता है।
अमूमन 2 हफ्तों से लेकर 3 महीने तक का नोटिस पीरियड हो सकता है और ये कई बार कर्मचारी की प्रोफाइल पर भी निर्भर करता है।
क्या नोटिस पीरियड सर्व किए बिना कंपनी छोड़ी जा सकती है?
ऐसे कई प्रावधान हैं जिसमें नोटिस पीरियड सर्व किए बिना भी कंपनी को छोड़ा जा सकता है। हालांकि, ये आपकी कंपनी पर भी निर्भर करता है जैसे-
लीव्स का एडजस्टमेंट
कई कंपनियां नोटिस पीरियड में लीव्स को एडजस्ट कर देती हैं। हालांकि, ये रूल अब धीरे-धीरे बदल रहा है क्योंकि इस रूल के कारण अधिकतर कर्मचारी बिना नोटिस पीरियड अपनी लीव्स एडजस्ट कर जल्दी ही चले जाते हैं। जो कंपनियां ये सुविधा देती हैं उनमें सिक लीव्स, अर्न्ड लीव्स, कैजुअल लीव्स आदि सभी एडजस्ट की जा सकती हैं। अगर कर्मचारी के पास छुट्टियां बची हैं तो वो अपने नोटिस पीरियड से इन्हें कटवा सकता है या फिर इसके बदले पैसे ज्यादा ले सकता है।(नौकरी के साथ करनी है पढ़ाई तो फॉलो करें ये टिप्स)
नोटिस बाई बैक
नोटिस बाई बैक यानी आपकी कंपनी को पैसे देकर आप अपना नोटिस पीरियड कम करवा सकते हैं। कई बार अगर कोई कर्मचारी किसी नई कंपनी को ज्वाइन करने जा रहा होता है तो वो कंपनी भी नोटिस बाई बैक के पैसे दे सकती है। अधिकतर कंपनियों में एक महीने की बेसिक सैलरी जितना पैसा बाई बैक के लिए दिया जाता है।
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गार्डन लीव्स
ये प्रावधान कुछ ही कंपनियों में होता है। ऐसे में आपको रिजाइन देते ही तत्काल छुट्टी पर भेज दिया जाता है और नोटिस पीरियड के अंतिम दिन रिलीविंग दी जाती है। ये सुविधा कई मल्टीनेशनल कंपनियों में होती हैं। गार्डन लीव्स की सुविधा को लेकर आप HR से बात कर सकते हैं।
अगर बिना कंपनी को नोटिस दिए चला जाता है कोई कर्मचारी तो?
अगर कोई कर्मचारी बिना नोटिस दिए एक ही दिन में कंपनी से चला जाता है तो कंपनी उसे साइन किए गए कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से लीगल नोटिस भेज सकती है। ऐसे में कंपनी आप पर कानूनी कार्यवाही करने की हकदार होती है। इसके लिए अलग तरह के प्रावधान हैं।
आपकी कंपनी में नोटिस पीरियड कैसा है और उसे सर्व करने को लेकर क्या नियम हैं इसके बारे में जानने के लिए आपको कंपनी के HR से बात करनी चाहिए। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है या फिर अपनी कंपनी से जुड़े कोई सवाल हैं तो आर्टिकल के कमेंट बॉक्स में हमें लिख भेजें। हम आपकी समस्या से जुड़ी स्टोरी आप तक पहुंचाएंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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