UPSC: क्या होती है Lateral Entry? जिसके जरिए मिलती है डायरेक्ट IAS की पावर

बिना परीक्षा आईएएस बनने वाले सिस्टम को लैटरल एंट्री प्रक्रिया कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके लिए क्या योग्यता होनी चाहिए।

  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2024-08-20, 19:35 IST
IAS lateral ॉprocess

अधिकारी बनने का सपना यूपीएससी क्रैक करने के बाद ही पूरा हो सकता है, लेकिन अगर हम कहें कि बिना यूपीएससी परीक्षा पास किया ही आप अधिकारी बन सकते हैं तो शायद आपको यह सुनकर थोड़ी हैरानी होगी। क्योंकि यूपीएससी सबसे ज्यादा टफ एग्जाम माना जाता है। बिना परीक्षा आईएएस बनने वाले सिस्टम को लैटरल एंट्री प्रक्रिया कहा जाता है।

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हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग ने लैटरल एंट्री के जरिए से मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारियों के 45 पदों पर भर्ती के लिए अपने आधिकारिक वेबसाइट पर नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के आते ही बवाल मच गया और अब इस भर्ती पर रोक लग गई है। आइए विस्तार से जानते हैं क्या होती है Lateral Entry?

लेटरल एंट्री प्रोसेस क्या है?

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साफ-साफ शब्दों में कहें तो लैटरल एंट्री का मतलब है किसी भी संगठन में सीधे किसी खास पद पर तैनात होना,लेटरल एंट्री लेने वाले व्यक्ति को किसी भी तरह की पारंपरिक परीक्षा को पास करने की जरूरत नहीं होती है। लेटरल एंट्री में व्यक्ति अपने अनुभव और खासियत के आधार पर प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश करते हैं। यूपीएससी में लैटरल एंट्री की शुरुआत साल 2018 में हुई थी। और इसके तहत पहली बार अलग-अलग सरकारी विभागों में संयुक्त सचिव के नौ पदों के लिए निजी क्षेत्र से बड़े अधिकारियों का चयन सिर्फ इंटरव्यू के माध्यम से किया गया था।

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बता दे की यूपीएससी लेटरल एंट्री के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति की जाती है जिन पदों पर आईएएस रैंक के ऑफिसर तैनात किए जाते हैं यानी इन सिस्टम में अलग-अलग मंत्रालयों विभागों और संगठनों में सीधे उप सचिव यानी जॉइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर या डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर उम्मीदवारों की नियुक्ति होती है।

बता दे की लेटरल एंट्री स्कीम के लिए निजी क्षेत्र में 15 साल काम करने के एक्सपीरियंस वाले आवेदन कर सकते हैं, आवेदक की उम्र अधिकतम 45 साल होनी चाहिए साथ ही मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से फील्ड से संबंधित विषय में काम से कम ग्रेजुएट होना जरूरी होता है।

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Image Credit-Social Media


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