भारत में सदियों से सोना सिर्फ एक गहना नहीं, बल्कि एक सुरक्षित निवेश और आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक रहा है। घरों, मंदिरों और संस्थानों में बड़ी मात्रा में सोना बरसों से जमा है, जो ज़्यादातर समय बेकार ही पड़ा रहता है, इससे कोई डायरेक्ट बेनिफट्स होता है और ना ही यह आर्थिक गतिविधियों में योगदान देता है।
गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम(Gold Monetisation Scheme)
इसी सोने को देश की आर्थिक प्रणाली में लाने के लिए भारत सरकार ने नवंबर 2015 में गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम (GMS) शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य आम जनता और संस्थान अपने सोने को बैंकों में जमा कराएं,जिससे सरकार को सोने के आयात में कमी लाने में मदद मिले और जमाकर्ताओं को अपने इनएक्टिव गोल्ड पर ब्याज के रूप में इनकम मिल सके। इस योजना का उद्देश्य आम जनता और संस्थान अपने सोने को बैंकों में जमा कराएं,जिससे सरकार को सोने के आयात में कमी लाने में मदद मिले और जमाकर्ताओं को अपने इनएक्टिव गोल्ड पर ब्याज के रूप में इनकम मिल सके।
लेकिन मार्च 2025 में, लगभग साढ़े नौ साल बाद, वित्त मंत्रालय ने इस योजना को आंशिक रूप से बंद करने का फैसला लिया। अब केवल शॉर्ट टर्म गोल्ड डिपॉजिट स्कीम (1-3 साल) ही जारी रहेगी।
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गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम कैसे काम करती थी?(Functioning of the Gold Monetisation Scheme)
कोई भी व्यक्ति या संस्था कम से कम 10 ग्राम कच्चा सोना (जैसे कि सिक्के, बार, गहने—बिना पत्थरों के) योजना के तहत बैंक में जमा कर सकता था।
- शॉर्ट-टर्म बैंक डिपोजिट (Short-Term Bank Deposits-STBD)- इसकी अवधि 1 से 3 साल तक के लिए थी और इनको मैनेज सीधे बैंकों द्वारा किया जाता था।
- मीडियम-टर्म गवर्नमेंट डिपोजिट(Medium-Term Government Deposits-MTGD)- इसकी अवधि 5 से 7 साल तक की थी और इनको मैनेज सरकार द्वारा किया जाता था।
- लॉन्ग-टर्म गवर्नमेंट डिपोजिट(Long-Term Government Deposits-LTGD)- इसकी अवधि 12 से 15 साल तक की थी और इनको मैनेज सरकार द्वारा किया जाता था।
प्रोसेस क्या था?
- सबसे पहले, जमाकर्ता को अपना सोना कलेक्शन एंड प्योरिटी टेस्टिंग सेंटर (CPTC) में ले जाना होता था।
- वहां उसकी शुद्धता और वजन की जांच होती थी।
- फिर उस सोने को मान्य गोल्ड बार्स में बदला जाता और
- उसी के मूल्य के बराबर राशि जमाकर्ता के गोल्ड अकाउंट में दर्ज कर दी जाती थी, जिस पर ब्याज भी मिलना शुरू हो जाता था।
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में इंटरेस्ट रेट्स(Interest Rates Of Gold Monetisation Scheme)
- शॉर्ट बैंक डिपोजिट में दरें अंतरराष्ट्रीय लीज दरों और बाजार की स्थिति के अनुसार तय की जाती थी।
- मीडियम टर्म गवर्नमेंट डिपोजिट में ब्याज दर 2.25% प्रति वर्ष थी।
- लॉन्ग-टर्म गवर्नमेंट डिपोजिट में ब्याज दर 2.5% प्रति वर्ष थी।
कितना जमा हुआ सोना?(Performance Of Gold Monetisation Scheme)
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2024 तक सिर्फ 5,693 जमाकर्ताओं ने इस योजना में भाग लिया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल जमा हुआ सोना 31,164 किलोग्राम यानी करीब 31.164 मीट्रिक टन रहा।
लेकिन, यह आंकड़ा भारत के घरों में मौजूद सोने के मुकाबले बहुत कम था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में घरों के पास लगभग 21,000 टन सोना मौजूद है। इस हिसाब से देखें तो GMS के तहत जमा हुआ सोना कुल घरेलू भंडार का सिर्फ 0.15% ही था।
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योजना क्यों हुई बंद?(Discontinuation Of Gold Monetisation Scheme)
26 मार्च 2025 से, सरकार ने मीडियम और लॉन्ग टर्म डिपॉजिट स्कीम को पूरी तरह बंद कर दिया है। हालांकि, शॉर्ट टर्म स्कीम पहले की तरह चालू रहेगी। पहले से जमा हुआ सोना स्कीम की शर्तों के मुताबिक अपनी पूरी अवधि तक बना रहेगा।
योजना के बंद होने के कारण
- गोल्ड जमा करने की प्रक्रिया में कई स्टेप्स थे।
- बहुत से लोगों को इस योजना का पता तक नहीं था।
- निवेश के अन्य विकल्पों के मुकाबले कम रिटर्न मिल रहा था।
- कई लोगों को डर था कि सोना डिक्लेयर करने से टैक्स विभाग की नजर में आ जाएंगे।
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